ट्रेन के वो बुरे किस्से, जो ज़हन से नहीं निकल सके, सुनिए Tripoto लेखकों की कहानी

Tripoto

विश्व का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क भारतीय रेल का है। एक दिन के लिए अगर ये ट्रेनें रुक जाएँ तो मानो आधा भारत अपनी जगह पर जड़ हो गया है।

भारत का ट्रेन से वही रिश्ता है बचपन का खेलने से होता है, लेकिन इसके बाद भी हमारे Tripoto लेखकों के ट्रेनों को लेकर कुछ अलग ख़्यालात हैं, जिन्हें आप भी आसानी से नकार नहीं पाएँगे। ये हैं Tripoto लेखकों के ट्रेन यात्रा के सबसे बुरे अनुभव। पढ़िए, क्या कहते हैं वे अपनी कहानी...

1. मेरी सीट मेरी बची ही नहीं

एक मर्तबा दिल्ली से देहरादून के लिए मैंने शताब्दी ट्रेन बुक की। क़िस्मत बेहतर थी कि मुझे खिड़की वाली सीट मिली। लेकिन मेरी ये बेहतर क़िस्मत ट्रेन में बैठते ही ख़राब हो गई। मेरे बगल में सामान्य से ज़्यादा मोटे एक अंकल की सीट थी। वो अंकल पूरे रस्ते मुझे घूरते रहे और मेरी आधी सीट पर तो जैसे वो ही क़ब्ज़ा करके बैठे थे। एक तो करेला, दूजा नीम चढ़ा। ये ट्रेन पहुँची भी तो 5 घंटे देरी से। पसीने वाले इन अंकल और खिड़की वाली सीट के बीच में मेरा ये 12 घंटे का सफ़र जैसा बीता है, ऊपर वाला बचाए। - श्रेष्टि वर्मा

2. मेरी सीट मुझे मिली ही नहीं

Photo of ट्रेन के वो बुरे किस्से, जो ज़हन से नहीं निकल सके, सुनिए Tripoto लेखकों की कहानी 2/3 by Manglam Bhaarat
श्रेय: कंज सौरव

एक कॉलेज फ़ेस्ट में भाग लेकर हम 40 दोस्त कानपुर से दिल्ली आ रहे थे। सभी साथियों की टिकट बुक थी। लेकिन जैसे ही हम ट्रेन में पहुँचे तो वहाँ मिले सैकड़ों लोग, जो दिल्ली में अन्ना हज़ारे के धरने में शामिल होने जा रहे थे और हमारी सीट पर बैठे हुए थे। उनमें से किसी के पास भी टिकट नहीं था। वो न तो हमारी सीट से उठे और न ही हमें बैठने दिया। जब हमने उनको सीट से हटने बोला, तो वो हमें हक़, विशेषाधिकार जैसी चीज़ों पर प्रवचन देने लगे, पर सीट से न सरके। हम सारे दोस्तों को ट्रेन में खड़े खड़े आना पड़ा।- कंज सौरव

3. उड़ता हुआ मल

ये कहानी मेरी एक दोस्त की है लेकिन फिर भी मैं बताना चाहूँगी। मेरी एक दोस्त अपनी मम्मी के साथ कोलकाता से मुंबई जा रही थी। अंटी को ठंड लग रही थी, तो उन्होंने कंबल ले लिया और जैसे ही उन्होंने कंबल खोला, उसमें से उड़ता हुआ मल सीधा ज़मीन पर गिरा। टीटी ने आकर उनको सबसे साफ़ बाथरूम दिया जिसमें अंटी को नहाना पड़ा। आगे के सफ़र में भी अंटी की तबीयत ख़राब ही रही। इस घटना के बारे में जब भी सोचती हूँ तो सिहर जाती हूँ।- अदिति दहिया

4. ट्रेन वाला चोर पुलिस का खेल

फ़रवरी 2015 में मैं दिल्ली से मुंबई राजधानी में सफ़र कर रहा था। मैं अपने कोच में बैठा था कि एक अधेड़ उम्र का लड़का मेरा बैग लेकर ट्रेन से भागने लगा। ये तो चोर था और किसी तरह मैंने उसका कंधा पकड़ लिया। फिर साथ बैठे लोगों ने उसकी जमकर पिटाई की। लेकिन कहानी तो इसके बाद शुरू होती है।

मैं मुंबई सेण्ट्रल स्टेशन पर उसे पुलिस के हवाले करने जा रहा था, उसके पहले नारकोटिक्स विभाग की पुलिस ने मुझे ही पकड़ कर बैग की तलाशी करने लगी। उनको शक़ था कि मेरे पास ड्रग्स है। 10 मिनट बाद पुलिस ने मुझे छोड़ा, लेकिन तब तक वो चोर भाग चुका था।- प्रतीक धाम

5. टॉयलेट की बदबू से भरा वो सफ़र

क़िस्मत से मुझे गेट के सबसे नज़दीक वाली सीट मिली। गेट के नज़दीक ये सीट टॉयलेट के पास खुलती है। लोग इतने बेपरवाह कि टॉयलेट का गेट खुला छोड़ दे रहे थे। उसकी बदबू से मेरा दिमाग ख़राब हो गया। रात के उस सफ़र में बार-बार मुझे टॉयलेट जाकर गेट बन्द करना पड़ रहा था, जिससे कोई अभी-अभी बाहर आया था। मेरी ट्रिप की शुरुआत इतनी ख़राब होगी, मैंने कभी सोचा भी नहीं था।- महिमा अग्रवाल

ये तो सिर्फ़ कुछ छोटे क़िस्से हैं जो हमारे Tripoto लेखकों के साथ घटे, आपके साथ भी ऐसी सैकड़ों कहानियाँ गुज़री होंगी। अगर आपके पास कुछ हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएँ।

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यह एक अनुवादित आर्टिकल है। अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।