कुल्लू घाटी, हिमाचल प्रदेश
यहां आने वाले सैलानियों के मन में बिजली महादेव को देखने की ईच्छा लालसा ज़रूर होती है. और जो इसके बारे मे जानते नहीं हैं उनके मन मे ये ईच्छा लालसा इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद हिलोरें लेने ही लगेगी.
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कभी सोचा है कि 2.5 किमी ऊंची पहाड़ की चोटी से एक ओर कुल्लू घाटी और दूजी ओर पार्वती घाटी और सामने पार्वती और व्यास नदी का संगम - कैसा होगा ये मंजर 😇😲
तो आइये फिर मेरे साथ जानते है इसके बारे मे सब कुछ....🚴
(आज हम) आपके मन में बिजली महादेव जाने को लेकर उठने वाले लगभग सभी सवालों के ज़वाब देंगे ताकि आपको बस प्लान बनाना ही बचे ना कि बस ब्राउजिंग करते रहना....
1. बिजली महादेव कैसे पहुँचे?
2. बिजली महादेव मंदिर की पूरी कहानी ?
3. रोड की स्थिति और दोनों रूट ?
4. पैदल ट्रेक की हालत, रूट और लगने वाला समय
5. क्या कैपिंग कर सकते हैं?
6. कहाँ खायें और रुके ?
7. मौसम कैसा होगा और कब जाना ठीक रहेगा?
8. शेयर या बुकिंग गाड़ी करना या अपनी गाड़ी?
9. बाकी अन्य इन्फॉर्मेशन?
तो चलिए फिर निकल पड़ते हैं इस सफ़र पर...⛰
बिजली महादेव कैसे पहुँचे?
• आपको हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी में कुल्लू के बस स्टैंड से चंसारी गांव के लिए बस और शेयर कैब मिल जाती है। ये दूरी करीब 18 किमी और 30 मिनट की है।
• दूसरा रास्ता भ्रैण गांव से जाता है जो 24 किमी और 45 मिनट की दूरी की ड्राईव है। इस रूट पर बस आपको भ्रैण गांव तक नहीं ले जाएगी, यहां आपको कुल्लू से शेयर या बुकिंग कैब करनी पड़ेगी या फिर अपनी गाड़ी से जा सकते हैं।
• तीसरा रास्ता नग्गर से जना वाटरफाल होते हुए बिजली महादेव ले जाता है। जना वाटरफाल तक तो सभी गाड़ियां जाती हैं पर उसके आगे 25 किमी का प्रॉपर ऑफरोड ट्रेल है. जिसके लिए 4x4 एसयूवी चाहिए।
• मोटरबाइक से हैं तो आप सीधे बिजली महादेव मंदिर तक जा सकते हैं। ये तो कहीं भी चली जाएगी 🏍
क्या है बिजली महादेव की पूरी कहानी ?
पौराणिक इतिहास के अनुसार कुलांत नामक दैत्य ने यहां के सभी जीवों को मारने के लिए ब्यास नदी का पानी रोक दिया था। महादेव ने इस समस्या का समाधान करने के लिए यहां आकर उस दैत्य से कहा कि उसकी पूंछ में रक्तफूल यानी आग लग गई है। ऐसा सुनते ही दैत्य जैसे ही पूंछ देखने के लिए पलटा शिव ने उसका अंत कर दिया। इसके बाद उस दैत्य का शरीर एक साँप के रूप मे बदलकर आज की कुल्लू की पहाडियाँ बन गया। महादेव के आदेश पर हर 12 वर्ष में मंदिर के ऊपर आकाशीय बिजली इंद्र आज्ञा लेकर गिराते हैं ताकि यहां के जीवन पर कोई आपदा नहीं आए। बिजली का आघात अपने ऊपर लेकर महादेव शिव जन जीवन की रक्षा करते हैं।🕉✴
बिजली गिरने से हुए आघात के उपचार के लिए मंदिर के शिवलिंग पर माखन या मक्खन लगाया जाता है। इसी कारण इन्हें मक्खन महादेव भी कहा जाता है। 🙏
रोड की स्थिति और दोनों रूट ?
• कुल्लू बस स्टैंड से चंसारी गांव के लिए बस, शेयर कैब, बुकिंग कैब सभी मिल जाती है। बस और शेयर कैब आपको चंसारी गांव तक ले जाती हैं, जिसके बाद पैदल ट्रेक शुरू होता है। अपनी गाड़ी से आने वालों के लिए बता दूँ कि रास्ता संकरा है पर आराम से जाएं तो किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी। रूट की गूगल अर्थ इमेज देखें।👇
कुल्लू से जिया ब्रिज पहुंचे जहां से मेन रोड आगे सीधा मंडी के लिए जाता है और बायीं ओर का रास्ता (व्यास और पार्वती नदी के संगम से) कसोल, मणिकरण को चला जाता है। यहां आपको शेयर या बुकिंग कैब ही करनी होगी। दरअसल मणिकरण मार्ग पर छरौड़ नाला से ब्रिज पारकर आप कशावरी गांव जाने वाले रोड पर आ जाते हैं। जहां से भ्रैण गांव के लिए रास्ता बायीं ओर चढ़ जाता है, वहां तक बस आती है। इसके आगे आपको कैब शेयर या बुक करके भ्रैण जाना होता है। यहां से पैदल ट्रेक शुरू होता है। ये रास्ता बहुत ही संकराऔर खतरनाक है। कई जगह खासकर ऊपर रास्ता पूरी तरह से कच्चा, उबड़ खाबड़ और छोटे छोटे पत्थरों और धूल से भरा है। कई लूप आपको चढ़ने होते हैं। यहां गाड़ी चलाते वक़्त गलती की कोई गुंजाइश नहीं है क्यूंकि आप करीब 1750 मीटर गहरी खाई के बिल्कुल छोर पर टर्न ले रहे होंगे।
गूगल अर्थ इमेज देखें।👇
• तीसरा रास्ता जणा गांव / जणा जलप्रपात से होकर आता है। इसके लिए आपको कुल्लू या मनाली से 1 घंटे की ड्राइव करके नग्गर पहुंचना होगा, फिर वहां से 12 किमी दूर जणा गांव तक आप किसी भी गाड़ी से आ सकते हैं। जणा से आगे 25 किमी का ऑफरोड ट्रेल है जो सीधा बिजली महादेव तक जाता हैI इसके लिए आपको 4x4 SUV गाड़ी या मोटरसाइकिल चाहिए होगी। सबसे अच्छी बात इसकी ये है कि आपको पैदल नहीं चलना है तो सीधा मंदिर तक गाड़ी जाएगी।
पैदल ट्रेक की हालत, रूट और लगने वाला समय
चंसारी गांव पहुंचने के बाद पैदल ट्रेक शुरू होता है ड्रीम कैचर रेस्टोरेंट के पास से। यहां से करीब 2-2.5 किमी का ट्रेक है जिसे आमतौर पर 1.5 से 2 घंटे में पूरा कर सकते हैं। पार्किंग और बाकी अन्य जरूरत की चीजें यहां गांव में आपको मिल जाएंगी। पानी और कुछ खाना अपने साथ जरूर रखें। ये ट्रेक समान्य है लेकिन कुछ एक जगह ठीक ठीक चढ़ाई भी है। पहली मर्तबा ट्रेक करने वालों के लिए अच्छा अनुभव होगा।
• भ्रैण गांव से जाने वाला पैदल ट्रेक थोड़ा छोटा है लेकिन, यहां गाड़ी पार्क करने के बाद दो ट्रेल है जो बिजली महादेव ले जाते हैं। एक में आपको कुछ दूर बहुत खड़ी चढ़ाई वाले स्टोन स्टेप्स मिलेंगे जो प्रॉपर शेप में नहीं हैं और उतरते वक़्त फिसलन वाले महसूस होते हैं, सावधानी जरूर बरतें। दूसरा ट्रेल नॉर्मल है और पहले वाले से आसान और थोड़ा लंबा है। करीब 1 से 1.5 घंटे का समय लगता है।
• नग्गर से जणा गांव होते हुए आने वाला रोड मुख्यतः 4x4 SUV या बाइक के लिए है। वैसे यहां से भी पैदल जा सकते हैं, लेकिन ट्रेक 25 किमी का हो जाएगा और आपको एक रात रुकना भी पड़ सकता है।
5. कैपिंग की जगह 🏕
आप यहां बिजली महादेव पर कैपिंग कर सकते हैं। कुछ स्थानीय लोग यहां दुकाने चलाते हैं। वही यहां पर कैपिंग की व्यवस्था करते हैं। आप चाहें तो अपना खुद का टेंट भी लगा सकते हैं। मौसम के अनुसार यह सुविधा चलायी जाती है। शाम को अंधेरा होते ही बोनफायर जला लीजिए, खुद का खाना पकाइये और सो जाइए सितारों के नीचे।
6. खानेपीने, रुकने की सुविधा 🍎🥘
बिजली महादेव पर रुकने के लिए की केवल कैपिंग ही है। खाने के लिए या तो आप खुद इंतजार कीजिए मतलब बनाओ और खाओ अन्यथा दिन में बिजली महादेव पर कुछ दुकाने हैं जो आपको ठीक ठीक सुविधा दे देते हैं। रात के लिए पैदल ट्रेक से पहले गांव में पता कर लें।🛖
7. मौसम कैसा होगा और कब जाएं ?🌏
सर्दियों में मंदिर के पट बंद हो जाते हैं पर ट्रेक खुला रहता है। इस दौरान पूरा बिजली महादेव बर्फ़ की सफेद चादर से ढक जाता है। ट्रेक पर काफ़ी बर्फ जमा होती है, इसका विशेष ध्यान रखें और साथ ही मिलने वाली सुविधाएं भी न्यूनतम हो जाती हैं। गर्मियों में मौसम थोड़ा उमस से भरा या आर्द्र हो जाता है और दिन में गर्मी भी हो जाती है। मॉनसून में यहां का दृश्य बिल्कुल ड्रामेटिक हो जाती है, पीक के दोनों तरफ गहराते बादल एक ओर पार्वती घाटी और दूसरी ओर कुल्लू घाटी को ढक लेते है। बारिश का दृश्य लाजवाब और ट्रेक काफी फिसलन भरा हो जाता है इसलिए विशेष सावधानी बरतें। साथ ही बिजली गिरने के अनुपम दृश्य रोंगटे खड़े कर देने वाले अनुभव अविस्मरणीय है। घबराए नहीं यह स्थान हर लिहाज से काफी सुरक्षित है, बस आधारभूत नियमों और अपने विवेक का प्रयोग करें। अविस्मरणीय अनुभव आपका इंतजार कर रहा है। सबसे अच्छा समय सितंबर से नवंबर के बीच और मार्च में शिवरात्रि के आसपास रहेगा। मार्च में शिवरात्रि का दिन यहां गुजारिये और स्थानीय पहाड़ी जीवन शैली को देखिए और ये अनुभव आपके साथ रहेगा हमेशा।✌🙏
बिजली महादेव के आसपास आप जणा प्रपात, नग्गर, मणिकरण, कसोल, तोष, गृहण और मलाना आदि स्थान हैं जोकि सैलानियों के लिए मुख्य आकर्षण हैं। रहने के लिए आप को goStops नग्गर में 150 रुपये प्रतिदिन में बंक बेड मिल जाता है और इसकी साफ़ सफाई अच्छी है। रहने के लिए आप अपनी जरूरत के हिसाब से अन्य स्थान भी चुन सकते हैं।🏘 अगर आप अच्छे एथलीट हैं तो यहां जणा गांव से बिजली महादेव तक साइकिल से ऑफ रोड ट्रेल कवर कीजिए "यू विल बी थ्रिल्ड"🚵♂️
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कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।
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