इन 2 लड़कियों ने बाइक पर पूरा किया कन्याकुमारी सेलेह का सफर, वो भी सिर्फ 129 घंटे में!

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कभी कभी दुनिया को देखकर आप परेशान हो जाते होगे, कि दुनिया क्या क्या कर रही है और हम लोग घुइयाँ भी नहीं छील रहे हैं। दुनिया घूमना तो हर कोई चाहता है, लेकिन सबसे अच्छे मौक़े का ही इंतज़ार करते रह जाते हैं हम।

अगर आप भी बाइक चलाने के शौक़ीन हैं तो कुछ प्रेरणा इन दो लड़कियों से ले सकते हैं। अमृता काशीनाथ और शुभ्रा आचार्य, इन दो लड़कियों ने बाइक पर कन्याकुमारी से लेह का सफ़र महज़ 129 घंटे में पूरा किया है। भारत के दक्षिणी छोर से शुरू होकर उत्तरी छोर पर ख़त्म कर इन दोनों ने लिम्का बुक में भी अपना नाम दर्ज किया है। भारत के दक्षिणी कोने से उत्तरी कोने तक बाइक से पहुँचने किसी महिला द्वारा बनाया गया ये अनूठा रिकॉर्ड है।

अमृता का प्लान पहले सिर्फ़ घूमने जाना था। लेकिन बाद में उन्होंने ख़ुद को इतनी बड़ी चुनौती दी कि रिकॉर्ड ही दर्ज कर लिया। भारत में महिलाओं द्वारा इतनी बड़ी चुनौती पूरी करना अपने आप में बड़ी बात है। जहाँ एक लड़की अपने घर के बाहर निकलने से पहले अपने भाई को बुलाती है, वहाँ पर इन दोनों ने इतना लम्बा सफ़र पूरा किया।

पूरे सात सालों की दोस्ती में दोनों ही लड़कियाँ कई बार साथ में सफ़र पर निकली हैं। उन्होंने इस बड़े सफ़र के लिए ट्रेनिंग भी ली थी। दोनों साथ में भूटान, नेपाल और श्रीलंका में भी बाइकिंग कर चुकी हैं।

सफ़र पर कितना लगा खर्च

बड़ी बात ये है कि इस सफ़र में इन दोनों कन्याओं ने एक चवन्नी भी खर्च नहीं की। एक निजी कम्पनी ने पूरा सफ़र के खर्च का ज़िम्मा अपने ऊपर लिया। और फ़ायदा तीनों को हुआ। कंपनी और दोनों कन्याएँ।

कौन सी चुनौतियाँ रहीं सबसे कठिन

इतने लम्बे और कठिन सफ़र में नींद सबसे बड़ी चुनौती होती है। एक पूरा दिन बाइक चलाओ, रात को अपनी नींद पूरी करो और अगले दिन सुबह तड़के फिर से सफ़र पर निकल चलो। पाँच घंटे की नींद पूरी करना अपने आप में सबसे बड़ी चुनौती होता है।

वहीं लद्दाख में, जहाँ बर्फ़ के तूफ़ान और बारिश का अंदेशा हमेशा रहता है, रात गुज़ारना दिल दुखा देने वाला था।

नींद और तूफ़ान के बाद चुनौती खाने की भी थी। आप ठीक खाना नहीं खाएँगे तो तबीयत ख़राब, तबीयत ख़राब तो सब कुछ चौपट। पर इन दोनों लड़कियों ने इन चुनौतियों का सामना किया और उनपर जीत पाकर ये अनोखा रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया।

रूढ़िवादिता यानि स्टीरियोटाइप से जंग

सबसे बड़ी चुनौती थी रूढ़िवादी सोच को तोड़ना। दोनों बाइकर्स बताती हैं कि पहले वो भी किसी पुरुष के साथ ही घूमना पसन्द करती थीं क्योंकि अपनी सुरक्षा का ख़्याल हर कोई रखना चाहता है। लेकिन इसके बाद इन दोनों लड़कियों ने ही अपना सफ़र आगे बढ़ाया। रूढ़िवादिता को चुनौती देना कठिन है, लेकिन उसके बाद जो सुकून मिलता है, उसका भी कोई जवाब नहीं।

सफ़र से क्या-क्या सीखने को मिला

दोनों बाइकर्स के लिए सफर अद्भुत था। उनका मानना है कि जब आप सफ़र करते हैं तो दिमाग खुलता है। संस्कृति के जितने अमलीजामे हैं, वो सब इस सफ़र में टूट जाते हैं। एक देश को आप बहुत अच्छे नज़रिए से जान पाते हैं, और गहराई तक देख पाते हैं। जो आज तक नहीं सोचा, वो सोच पाते हैं।

दूसरी लड़कियों के लिए क्या है संदेश

भारत का चक्कर लगा चुकी इन जाबाज़ बाइकर्स की सलाह है कि किसी पुरुष साथी के भरोसे ना रहें। अकेले निकलें। भारत एक सुरक्षित जगह है। बाकी सब आपकी मानसिकता पर निर्भर करता है कि आप दुनिया को किस नज़रिए से देखती हैं।

दोनों ही लड़कियों के इस जज़्बे को सलाम। ऐसी ही दिलचस्प कहानियाँ हिन्दी में आप Tripoto हिंदी पर पढ़ सकते हैं।

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