एकांत में वक्त बिताना है तो पहाड़, जंगल और नदी से घिरे इस होमस्टे में बिताओ छुट्टियाँ!

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हम अक्सर घर से दूर जाकर छुट्टियाँ मनाना पसंद करते हैं, लेकिन मेरे लिए सबसे खास यात्रा का अनुभव ये रहा है कि मुझे घर से दूर एक घर मिल गया था। बेहद यादगार अनुभव था जब मैंने अगस्त में लॉन्ग वीकेंड के दौरान देहरादून की यात्रा की। हिमाचल में भारी बारिश होने की वजह से पर्वतीय रास्ते बहुत ही कठिन हो गए थे, लिहाज़ा मैंने देहरादून में ठहरने का फैसला किया।

मैं ज्यादातर अपनी यात्रा के लिए एकांत जगहों को चुनता हूँ, इसलिए देहरादून में ठहरने को लेकर कई आशंकाएं थी। ऐसे में एक दोस्त ने जहाँ ठहरने का सुझाव दिया वो शहर से 15 कि.मी. दूर था - वंज़ारा, द फॉरेस्ट रिट्रीट। मैंने बुकिंग की और बहुत जल्द ही मेरी टैक्सी रिस्पना नदी के किनारे पहुँच चुकी थी। जहाँ कुछ ही दूरी पर वंज़ारा पड़ता था।

खूबसूरत 'वंजारा' की सैर

वंज़ारा स्थित खूबसूरत कॉमन रूम। श्रेय: सौमियाबी

Photo of Vanzara Forest Retreat, Village, Dhaulas, Uttarakhand, India by Rupesh Kumar Jha

श्रेय: सौमियाबी

Photo of Vanzara Forest Retreat, Village, Dhaulas, Uttarakhand, India by Rupesh Kumar Jha

मुख्य शहर से धौलास ग्राम की ओर जब आगे बढ़ा तो मेरी कार गाँवों और हरे भरे जंगलों से घिरी चौड़ी सड़कों के पास से गुज़रने लगी। यह दोपहर का समय था और हल्की बूंदाबांदी ने मेरा वेलकम किया! वंज़ारा के गेट पर पहुँचने तक मेरी कार घुमावदार रास्तों से गुज़रती रही। सामने मैं 2 एकड़ में फैला एक राजसी विला देख सकता था जो ऊँचे पेड़ों, पौधों और फूलों से गुलज़ार था। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि इतना सुंदर विला यहाँ मौजूद हो सकता है।

मैं बारिश से बचने के लिए अंदर घुस गया था और जैसे ही मेरी नज़र घर की बनावट पर पड़ी, मैं खुशी से हैरान रहा गया। मैं उस जगह चला आया था, जहाँ अपार सौंदर्य और पॉजिटिविटी की लहरें उठ रही थीं। मुझे लगने लगा था कि यह एक खास यात्रा होने जा रही थी। वंज़ारा सफेद रंग में नहाया हुआ था और हर कोने में दुनिया भर की यात्राओं से जुड़ी कलाकृतियों और किताबों से एक अलग ही माहौल बन रहा था!

मैं दिल्ली की तंग जगह से यहाँ आया था तो मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि घर काफी बड़ा और हवादार था। कंक्रीट की दीवारों को लम्बी-बड़ी खिड़कियों से भर दिया गया था जिसकी वजह से रौशनी से वातावरण जगमगा गया था। ठंडी और गीली मॉनसूनी हवाओं ने घर में जब घुसना शुरू किया तो अजीब संगीत बनने लगा और चारों तरफ एक प्रकार का सुगंध फ़ैल गई। यहाँ कुछ ही देर में जैसे मेरी आत्मा तृप्त सी महसूस कर रही थी। घर का पूरा माहौल किसी सपने सा लग रहा था और मेरा रोम-रोम रोमांटिक फील कर रहा था।

मुस्कान के साथ मेरी प्यारी होस्ट उन्नति आंटी। श्रेय: सौमियाबी

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वंजारा स्थित मेरा फेवरिट कॉर्नर। श्रेय: सौमियाबी

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आलस के बावजूद टूर की प्लानिंग कर रहा प्यारा डॉगी। श्रेय: सौमियाबी

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वीकेंड पर वहाँ मेरा जबरदस्त स्वागत किया गया जो कि मेरे होस्ट की ओर से था जिसमें उन्नति आंटी और सुभाष अंकल शामिल थे। इस जोड़े ने रिटायर होने के बाद प्रकृति के बीच ऐसा घर बनाया है जो कि किसी को भी आकर्षित कर सकता है। यही वो 'वंजारा' है जिसे छोटा अभ्यारण्य भी कह सकते हैं। मुझे लगता है कि ये हमारे जैसे नेचर से प्यार करने वाले लोगों के लिए सौभाग्य से कम नहीं है कि उन्होंने इसे सबके लिए खुला रखा है। वहाँ मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि मैं अजनबियों के बीच हूँ, ऐसा बहुत ही कम होता है! होस्ट आंटी और अंकल के स्नेह ने मेरी वैकेशन को ख़ास बना दिया। आंटी ने इस ख़ास जगह के बारे में घूमते-फिरते मुझे बताया और मुझे एक पल के लिए भी नहीं लगा की मैं अकेला आया हूँ। जीवन में छोटी-छोटी चीजों में बड़ी खुशियाँ ढूढ़ने के ये तरीके मेरे लिए किसी बड़े अनुभव से कम नहीं थे।

मैं जहाँ कहीं भी जाता हूँ तो बाहर घूमना पसंद करता हूँ लेकिन यहाँ बारिश और वंजारा के आरामदायक माहौल ने मुझे अंदर ही टिकाए रखा। ये पहली बार हुआ कि बिना बाहर निकले मैंने वीकेंड एन्जॉय किया। कंबल में पड़े-पड़े किताबें पढ़ना और श्याम भैया के बनाए स्नैक्स खाते हुए बारिश का आनंद लिया। अमूमन अपनी यात्रा दौरान मैं जिस चीज़ का सबसे कम इस्तेमाल करता हूँ, उनमें मेरा कमरा पहले नंबर पर आता है। लेकिन यहाँ तो मामला पूरा उलट चुका था और कमरे में ठहरने को मैं एन्जॉय करने लगा था। यहाँ पर मुझे जो सुविधाएँ, कंफर्ट और स्नेह मिला था वो कोई होटल तो कभी नहीं दे सकता। यहाँ कमरे में भी मेरा पसंदीदा जगह वो कार्नर था जहां से खिड़की किनारे पैर लटका कर बैठना और अंतहीन नीले आसमान को निहारना संभव था।

मैंने इससे पहले कभी किसी नई जगह पर घर जैसा महसूस नहीं किया था, और मेरी इच्छा थी कि मैं वंज़ारा में हमेशा के लिए रह सकूँ।

घर का बना स्वादिष्ट खाना

मैं दिल्ली में अकेले ही रहता हूँ और ज्यादातर बाहर के खाने पर डिपेंड रहता हूँ, इसलिए जब मुझे एहसास हुआ कि मुझे घर का बना खाना मिलेगा, तो आप मेरे उत्साह की कल्पना कर सकते हैं। श्याम भैया खाना पकाने में माहिर हैं और वो वाकई शानदार खाना बनाते हैं। मेरे पास ज़ायकेदार नॉर्थ इंडियन खाने का विकल्प मौजूद था लेकिन इस बात पर हैरानी थी कि दाल और सब्ज़ी का स्वाद कैसा हो सकता है। दरअसल, वहाँ चिकन, मटन और मछली के साथ-साथ कॉन्टिनेंटल डिशों के ऑर्डर्स आ सकते हैं। चूंकि वंजारा एक घर है, इसलिए आपको समय से ऑर्डर दे देने होते हैं ताकि सारे इंतजाम हो सके।

वंजारा के आसपास क्या है ख़ास?

नदी के किनारे टहलना

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वंज़ारा के पास ही एक नदी बहती है, इसलिए आप जंगल के साथ ही नदी के किनारे टहलने का आनंद ले सकते हैं। आप नदी के किनारे एकांत में घंटों बैठ सकते हैं या फिर चाहें तो नदी में उतरकर खेल सकते हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि ये कोई ज्यादा फेमस जगह नहीं है लिहाजा अन्य टूरिस्ट स्पॉट की तरह यहाँ भीड़-भाड़ होने के कोई चांस ही नहीं बनते हैं!

करणी माता मंदिर तक ट्रेक

वंज़ारा के सामने पहाड़ की चोटी पर करणी माता मंदिर स्थित है। आधे घंटे का ट्रेक आपको मंदिर तक ले जाएगा, जहाँ से आप घाटी के शानदार दृश्यों को देखकर रोमांचित हो सकते हैं।

गाँवों से होकर टहलना

वंज़ारा से थोड़ी दूर पर कई गाँव हैं जो शाम को चहलकदमी से भरे होते हैं। गाँव के जीवन को निकट से देखें, जंगलों में विचरण करें और प्रकृति के बीच जाकर कुछ समय के लिए दुनियादारी भूल जाएँ। बारिश होने के बावजूद मैं टहलने निकला था और इसे बेहतरीन अनुभव को ना कहने का कोई बहाना नहीं मिल सकता है!

देहरादून हो आएँ

अगर आपने आसपास सब कुछ देख लिया है तो देहरादून शहर भी हो आएँ। रॉबर्स केव, सहस्रधारा झरना, माइंड्रोलिंग मॉनेस्ट्री पर जाएँ या मसूरी और लैंडोर के पहाड़ों में एक दिन बिताने का प्लान करें।

कैसे पहुँचें

सड़क: अगर आप दिल्ली से सड़क मार्ग से आ रहे हैं, तो वंजारा लगभग 270 कि.मी. दूर है। इस रूट को फॉलो करें:

दिल्ली – शहादरा – खतौली – देवबंद – नांगल – देहरादून – धौलास – वंजारा।

इसके अलावा आपको दिल्ली से देहरादून आने-जाने के लिए वोल्वो बसें मिलेंगी।

रेल: वंज़ारा तक पहुँचने का सबसे सुविधाजनक तरीका दिल्ली से देहरादून के लिए ट्रेन लेना है। शताब्दी एक्सप्रेस जो दिल्ली से सुबह 6 बजे चलती है और देहरादून से शाम 4.30 बजे लौटती है। इस यात्रा को पूरा करने में केवल पाँच घंटे लगते हैं। स्टेशन से वंंज़ारा केवल एक छोटी ड्राइव पर मौजूद है।

हवाई यात्रा: आप दिल्ली से देहरादून के लिए भी उड़ान भर सकते हैं। स्पाइसजेट, एयर इंडिया और इंडिगो जैसी एयरलाइंस लगातार उड़ान भरती हैं। यात्रा केवल 45 मिनट से 1 घंटे की है! यहाँ से, वंज़ारा केवल एक छोटी ड्राइव पर मौजूद है।

इसलिए अगर आप छोटी-सी छुट्टी की तलाश में हैं जो आपको फिर से जीवंत कर देगी, तो वंज़ारा हो आएँ। यहाँ आपको प्रकृति का स्नेह महसूस तो होगा ही, लगेगा जैसे किसी परिलोक में आ चुका हूँ!

अगर आपने किसी ऐसी जगह की यात्रा की है जिसे आप बेहद पसंद करते हैं तो उसके बारे में यहाँ Tripoto पर यहाँ शेयर करें

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