कैलाश मानसरोवर यात्रा की प्लानिंग से पहले यह जरूर पढ़ लेवें

Tripoto
Photo of कैलाश मानसरोवर यात्रा की प्लानिंग से पहले यह जरूर पढ़ लेवें by Rishabh Bharawa

कई लोग तो यह समझते हैं कि कैलाश पर्वत (om parvat) भारत में ही हैं ,इसके अलावा भी कई चीजें हैं जो अधिकतर को पता ही नहीं हैं। हर महीने कम से कम 3 से 4 मुझसे इस यात्रा की जानकारी लेते हैं और फिर जब उन्हें इस यात्रा का बजट ,अवधि ,इसका चीन में होना आदि के बारें में पता लगता हैं तब वे आश्चर्यचकित हो जाते हैं। असल में कई लोग आदि कैलाश ,श्रीखंड कैलाश या किन्नौर कैलाश यात्रा को ही कैलाश मानसरोवर यात्रा मान लेते हैं। इसीलिए आज कैलाश यात्रा से जुड़ीं कुछ बातें ही साझा कर रहा हूँ -

1.कैलाश मानसरोवर यात्रा असल दो भाग में होती हैं जिसमें एक भाग होता हैं कैलाश पर्वत की परिक्रमा और दूसरा भाग होता हैं मानसरोवर झील के किनारे पूजा पाठ। मानसरोवर झील की भी परिक्रमा होती हैं जो करीब 90KM की होती है।

2. कैलाश पर्वत की परिक्रमा को पैदल या खच्चर पर करना होता है जिसमें तीन दिन का समय लगता हैं।यह तीन दिवसीय ट्रेक काफी कठिन होता हैं। इसमें दूसरे दिन ''डोलमा ला '' दर्रे को पार करना होता हैं। जिसकी ऊंचाई करीब 19000 फ़ीट की मिलती हैं। यहाँ कई लोगों को सांस लेने में कठिनाई होती हैं और कई लोग AMS का शिकार हो जाते हैं।इस परिक्रमा में कैलाश पर्वत के चारों मुख दिखाई देते हैं ,जिनकी जानकारी आप मेरी पुस्तक 'चलो चलें कैलाश' में पढ़ सकते हैं। इन तीन दिनों में करीब 50 km का पैदल ट्रेक करना होता हैं। इसीलिए फिटनेस इधर मायने रखती हैं।

Photo of कैलाश मानसरोवर यात्रा की प्लानिंग से पहले यह जरूर पढ़ लेवें by Rishabh Bharawa

3. कैलाश पर्वत से मानसरोवर झील एक अच्छी खासी दूरी पर स्थित हैं।यहाँ श्रद्धालु कुछ दिन रुकते हैं ,नहाते हैं ,रात्रि में ज्योति दर्शन के लिए जागते हैं यज्ञ करते हैं। वैसे तो मानसरोवर झील की परिक्रमा लगभग कोई नहीं करता हैं फिर भी मैंने देखा हैं कुछ प्राइवेट कम्पनीज गाड़ियों में मानसरोवर झील की परिक्रमा भी करवाती हैं।

4. अगर आपके पास ज्यादा समय और बजट हैं तो आप कैलाश पर्वत की इनर कोरा यात्रा भी कर सकते हैं। जिसमें कैलाश पर्वत के परिक्रमा मार्ग में से कैलाश पर्वत के चारो मुखों काफी समीप जाने की कोशिश की जाती हैं। कैलाश परिक्रमा के दौरान आप कैलाश पर्वत से काफी दूर होते हो लेकिन इनर कोरा में आप पर्वत के काफी समीप जाने की कोशिश करते हैं और उस समय आप यह जानते हैं कि पर्वत के एकदम समीप चारो तरफ क्या हैं। यह यात्रा अत्यधिक खतरनाक होती हैं और चीन सरकार इसकी दुर्गमता को देखकर इसके ज्यादा पास नहीं जाने देती हैं। फिर भी कई लोग रिस्क लेकर चुपके से काफी आगे तक पहुंच जाते हैं और एक लेवल के बाद वातावरण ऐसा मिलता हैं कि उन्हें लौट कर आना पड़ता हैं। आप ''चलो चलें कैलाश'' में का वृतांत भी पढ़ सकते हैं।

Photo of कैलाश मानसरोवर यात्रा की प्लानिंग से पहले यह जरूर पढ़ लेवें by Rishabh Bharawa

5. अब बात करते हैं कि यह यात्रा कैसे की जाती हैं।सबसे पहले आपके पास पासपोर्ट होना अनिवार्य हैं। यह यात्रा दो तरह से होती हैं - A . भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा और B. कुछ मान्यता प्राप्त प्राइवेट एजेंसीज के द्वारा। फ़िलहाल 2020 से विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित यात्रा बंद हैं और प्राइवेट यात्रा भी इसी साल मई 2023 से ही शुरू हुई हैं। मतलब अभी इस साल तो आप केवल प्राइवेट एजेंसीज से ही यात्रा पर जा सकते हैं। यह यात्रा जत्थे में ही होती हैं।

6. विदेश मंत्रालय की यात्रा भी दो रुट से होती हैं - A. उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से और B. सिक्किम के नाथुला दर्रे से। जबकि प्राइवेट यात्रा में नेपाल से होते हुए तिब्बत में प्रवेश करवाया जाता हैं। नाथुला दर्रे वाली यात्रा और प्राइवेट कम्पनी की नेपाल से यात्रा सबसे सरल मार्ग हैं जिनमें कैलाश परिक्रमा के अलावा कोई पैदल ट्रेक नहीं करना होता हैं। प्राइवेट कम्पनी इस यात्रा को 10 दिन में ही करवा देती हैं ,वही विदेश मंत्रालय वाली यात्रा कम से कम 25 दिन लेती हैं।

7. अगर आपके पास समय कम हैं और आप सीधे कैलाश पर्वत की परिक्रमा और मानसरोवर झील के दर्शन करना चाहते हैं तो प्राइवेट एजेंसी आपके लिए ठीक हैं। कई प्राइवेट कंपनियां तो कैलाश परिक्रमा पर भी नहीं जाने देती और मौसम बिगड़ा हुआ बताकर यात्रियों को हतोत्साहित कर देती हैं और अपना समय बचा लेती हैं। ऐसा मेरे काफी परिचितों के साथ हुआ हैं ,वें परिक्रमा पर जाना चाहते थे लेकिन उन्हें दूर से ही कैलाश पर्वत के दर्शन करवाकर वापस भारत ले आया गया। प्राइवेट एजेंसी से बात करते समय इस बिंदु का विशेष ध्यान रखे।

8. प्राइवेट और विदेश मंत्रालय की यात्रा में खर्चा करीब ढाई लाख रूपये आता हैं।लेकिन विदेश मंत्रालय वाली यात्रा में आपको कई राज्य सब्सिडी के तौर पर 50000 से लेकर एक लाख रूपये तक वापस दे देते हैं। मतलब विदेश मंत्रालय की यात्रा सस्ती पड़ जाती हैं।

9. लिपुलेख रूट से होने वाली यात्रा सबसे कठिन मानी जाती हैं । जिसमें करीब 250 किमी से ज्यादा पैदल चलना होता हैं।इसमें आपको उत्तराखंड में अल्मोड़ा ,पिथौरागढ़ ,चौकौरी ,पाताल भुवनेश्वर ,नीम करोरी आश्रम ,नारायण आश्रम ,ॐ पर्वत ,नाबी गाँव जैसी जगहों को भी घुमाया जाता हैं। मैं 2018 में इस यात्रा करीब 33 दिन में 300 KM के लगभग चला और उत्तराखंड की कई जगहें भी घूमी। लिपुलेख दर्रे की चढ़ाई की जिसे केवल कैलाश यात्रियों के अलावा किसी को भी चढ़ने नहीं दिया जाता हैं। तो हम ऐसी ऐसी जगहों पर गए जहाँ कैलाश यात्रियों के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति को जाने की परमिशन ही नहीं मिलती।

Photo of कैलाश मानसरोवर यात्रा की प्लानिंग से पहले यह जरूर पढ़ लेवें by Rishabh Bharawa

10. गडकरी साहब ने कुछ महीनों पहले लिपुलेख दर्रे तक सीधी सड़क मार्ग द्वारा यात्रा करवाने की बात कही। यह काम 2018 में भी चल रहा था। तो अब जब यह यात्रा वापस खुलेगी ,तब इस रुट से कैलाश यात्रा करने वाले यात्रियों को भी 250 KM पैदल ट्रेक नहीं करना पड़ेगा। ये यात्री भी केवल कैलाश परिक्रमा ही पैदल करेंगे। जहाँ हम 10 से 12 दिन का पैदल सफर कर लिपुलेख तक पहुंचते थे वहां अब सीधा एक या दो दिन में ही पहुंचना सम्भव हो जाएगा। हालाँकि मैं मानता हूँ कि इस से यात्रा की जान खत्म हो जायेगी। हमारे द्वारा किया गया यह सफर अब केवल पुस्तकों में ही मिलेगा , जिसे आप चलो चलें कैलाश में भी पढ़ सकते हैं।

11. मेरा मानना हैं कि कैलाश यात्रा विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम से ही करना चाहिए। इसमें लॉटरी से सेलेक्शन होता हैं ,फिर दिल्ली में चार दिन सभी को रोका जाता हैं। जहाँ मेडिकल चेकअप ,itbp द्वारा ट्रेनिंग सेशन ,विदेश मंत्रालय के अंदर विजिट , बड़े अधिकारियों और ITBP की देखरेख में यात्रा सब शामिल हैं। ये विदेश मंत्रालय की बसे जिन गाँवों से गुजरती हैं वहां जगह जगह रोक रोक कर लोग सभी श्रद्धालुओं का सम्मान करते हैं ,हर जगह मीडिया वाले हर जत्थे की रिपोर्टिंग करने पहुंचते रहते हैं। एमर्जेन्सी केस में हर सुविधा सरकार निशुल्क देती हैं।भूस्खलन और बारिश के कारण हमें भी हेलीकाप्टर की सुविधा निशुल्क मिली थी। 25 दिन की यात्रा हमने 33 दिन में की थी बिना अलग से पैसा दिए। इसमें विदेश मंत्रालय और चीन सरकार दोनों अलग अलग प्रमाण पत्र भी सभी को देती हैं।

कैलाश यात्रा से जुड़ीं जानकारी आप सीधे मुझसे ले सकते हैं ,मेरी पुस्तक ''चलो चलें कैलाश '' को मंगवा कर पढ़ सकते हैं। पुस्तक हर बड़े ऑनलाइन प्लेटफार्म पर उपलब्ध हैं।आप साइन की हुई कॉपी मुझसे सीधा खरीद सकते हैं।

ॐ नमः शिवाय।

Further Reads