हिमालय के उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत (चीन) में स्थित कैलाश मानसरोवर का नाम सुनते ही हर किसी का मन वहाँ जाने को बेताब हो जाता हैं।इस यात्रा का आयोजन भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा हर साल किया जाता हैं। इस यात्रा को दो अलग अलग मार्गो - लिपुलेख दर्रा,जो की उत्तराखंड मे हैं एवं दूसरा मार्ग,नाथुला दर्रा जो कि सिक्किम मे स्थित हैं,इन दोनों मार्गो मे से किसी भी मार्ग से पूरा कर सकते हैं।
कैसे करे आवेदन :
हर साल इसके लिए फरवरी महीने मे वेबसाइट http://kmy.gov.in/kmy/ पर ऑनलाइन आवेदन किये जाते हैं। लोटरी से यात्रियों को चुन कर जून से सितम्बर महीने के दौरान यह यात्रा चालू करवाई जाती हैं। यात्रा को करने के लिए केवल लोटरी मे निकलना ही सब कुछ नहीं हैं। लोटरी मे चुनने के दौरान ही यात्रियों को बैच नंबर और यात्रा की तारीख दी जाती हैं। यात्रियों को दिए हुए बैच की तारीख के हिसाब से दिल्ली जाकर रिपोर्टिंग करनी होती हैं। दिल्ली मे चार दिन रोक कर यात्रियों का मेडिकल टेस्ट किया जाता हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से सही यात्रियों को ही यात्रा के लिए आगे बढ़ाया जाता हैं।
कैसे चुने उचित यात्रा मार्ग :
नाथुला मार्ग से यात्रा मे 21 दिन एवं लिपुलेख से 25 दिन लगते हैं।लिपुलेख दर्रे वाले मार्ग को नाथुला दर्रे के मार्ग से कठिन माना जाता हैं क्योकि लिपुलेख दर्रे मे पैदल ट्रेक काफी करना पड़ता हैं। इसीलिए वरिष्ठ यात्रियों के लिए नाथुला दर्रे वाला रास्ता सबसे अच्छा माना जाता हैं।इसके अलावा इस यात्रा मे 18 से 70 वर्ष तक के यात्री ही आवेदन कर सकते हैं।70 की उम्र पार कर लेने वाले कुछ यात्री प्राइवेट एजेंसी से भी यात्रा करने जा सकते हैं,जिसमे कि एक तीसरे मार्ग से नेपाल होते हुए हेलीकाप्टर से यात्रियों को तिब्बत ले जाया जाता हैं। तीनो प्रकार के मार्ग मे कैलाश पर्वत तक पहुंचने का मार्ग अलग अलग होता हैं लेकिन कैलाश पर्वत की परिक्रमा के दौरान तीनों का रास्ता एक ही होता हैं।इस यात्रा पर अनुमानित खर्चा ढाई लाख रुपये तक हो जाता हैं।
कैलाश मानसरोवर को भगवान शिव का प्रिय स्थान कहा गया हैं। कैलाश पर्वत को भगवान शिव-पार्वती का घर माना जाता हैं।कई दुर्गम रास्तो से गुजरकर यात्री तिब्बत सीमा मे प्रवेश करते हैं।मुख्य रूप से इस यात्रा के दो चरण होते हैं। जिसमे सबसे पहला चरण होता हैं - कैलाश पर्वत की पैदल परिक्रमा। तीन तक चलने वाली इस परिक्रमा मे कई खतरनाक रास्ते व घाटिया आती हैं। कुछ जगह पर ऑक्सीजन की कमी होने से यात्रियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। परिक्रमा पूर्ण करने के बाद दूसरे चरण मे यात्रियों को मानसरोवर झील के किनारे दो रातो तक रोका जाता हैं।इस पवित्र झील मे नहा कर एवं यहाँ पूजा करने पर यात्री इस यात्रा की सारी समस्याएं भूल पवित्रता को प्राप्त कर लेता हैं।
यात्रा अवधि एवं जत्थे का चयन :
अगर किसी प्राकृतिक आपदावश कोई जत्था तिब्बती क्षेत्र या भारतीय क्षेत्र मे कही फंस जाता हैं तो उनके रहने ,खाने पीने का सारा खर्चा और इंतजाम भी विदेश मंत्रालय द्वारा करवाया जाता हैं। वर्ष 2018 के लिपुलेख मार्ग के 9वे बैच मे मुझे इस यात्रा पर जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।करीब 25 दिन मे पूर्ण हो जाने वाली इस यात्रा मे साल 2018 मे लिपुलेख दर्रे के यात्रियों को कई कारणों से काफी दिन ज्यादा लगे।कुछ बैच ने तो इस यात्रा को 50 दिनों से भी ज्यादा दिनों मे खत्म किया। इसी साल ही यात्रीयों को कुछ रास्ता पार करवाने के लिए हेलीकाप्टर भी चलाने पड़ गए।हमारे बैच को भी इस यात्रा को करने मे 32 दिन लग गए,लेकिन इस दौरान हमने उत्तराखंड की कई ख़ूबसूरत जगहों का भ्रमण कर लिया।
एक आवेदन से ज्यादा से ज्यादा दो यात्री एक ही बैच मे जा सकते हैं।एक बार बैच नंबर मिल जाने के बाद आप उसमे बदलाव आसानी से नहीं करवा सकते हैं। आप केवल किसी के साथ बैच एक्सचेंज कर सकते हैं।2020 एवं 2021 मे यह यात्रा संचालित नहीं करवाई गयी और इन्ही सालों के दौरान इस यात्रा मे काफी बदलाव करने का भी फैसला लिया गया। जैसे कि अब जिस भी साल यह यात्रा शुरू होगी ,तब से दिल्ली मे यात्रियों को 'गुजरात समाज धर्मशाला ' मे रुकवाने के बजाय उन्हें अब गाजियाबाद मे बने नवनिर्मित 'कैलाश मानसरोवर भवन ' मे रुकवाया जायेगा। दूसरा ,लिपुलेख मार्ग मे चाइना बॉर्डर तक पक्की सड़क के निर्माण हो जाने से अब यात्रियों का पैदल ट्रेक करीब 100 किमी (राउंड ट्रेक) तक कम हो जायेगा जिससे यात्रा पुरी करने मे काफी कम दिन लगेंगे।
सरकारी पदों पर कार्यरत ऑफिसर्स के लिए नियम :
विदेश मंत्रालय से यात्रा पूरी करने पर आपको विदेश मंत्रालय से एक और चीन की तरफ से भी एक यात्रा सम्पन्न होने का सर्टिफिकेट मिलता हैं। सरकारी पदों पर कार्यरत कोई व्यक्ति अगर यह यात्रा करने के लिए चुना जाता हैं तो उसको यात्रा के लिए अवकाश भी आसानी से मिल जाता हैं। इस यात्रा पर दो लायसनिंग ऑफिसर्स भी साथ भेजे जाते हैं जो कि केवल उच्च लेवल के सरकारी ऑफिसर्स ही चुने जाते हैं। उनके लिए भी आवेदन kmy.gov.in से किया जाता हैं एवं उनकी यात्रा का खर्चा भी विदेश मंत्रालय द्वारा दिया जाता हैं।
राज्य सरकार द्वारा सब्सिड़ी :
विदेश मंत्रालय द्वारा यात्रा पूरी कर लेने पर कई राज्य अपने यहाँ से यात्रा पर गए यात्रियों को सब्सिडी देती हैं। जैसे उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान सरकार अपने राज्य के यात्रियों को एक लाख रूपये की सब्सिडी देती हैं।इसके अलावा कर्नाटक मे 35000 रुपये, दिल्ली 30000 ,गुजरात 20000 रूपये की सब्सिडी राज्य के यात्रियों को दी जाती हैं।अन्य राज्यों के भी सब्सिडी के अलग अलग नियम हैं।एक या दो राज्यों के अलावा सभी राज्यों मे सब्सिडी केवल विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित यात्रा करने पर ही मिलती हैं ,प्राइवेट एजेंसी से करने पर नहीं।
आशा हैं आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी। इस यात्रा की सम्पूर्ण जानकारी लेने एवं यात्रा के हर एक दिन के रोमांचक वृत्तांत को पढ़ने के लिए आप मेरी किताब 'चलो चले कैलाश /Chalo Chale Kailash' पढ़ सकते हैं जो कि अमेज़न एवं फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध हैं।(All photos credit:Ravi Kiran Photography)
-ऋषभ भरावा
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