शिवभक्तों के लिए एक अच्छी खबर है। शिवधाम यानी कैलाश पर्वत जाने के लिए उत्तराखंड के लिपुलेख में तैयार किया जा रहा रास्ता जल्द ही शुरू हो जाएगा। पीटीआई के मुताबिक इस साल सितंबर के बाद इस रास्ते को खोले जाने की उम्मीद है। अधिकारियों ने बताया कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने पिथौरागढ़ के नाभीढांग में केएमवीएन हटस से भारत-चीन सीमा पर लिपुलेख दर्रे तक 6.5 किमी लंबी सड़क की कटाई का काम शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि यह काम सितंबर तक पूरा हो जाएगा। सड़क के काम के साथ-साथ ‘कैलाश व्यू प्वाइंट’ भी तैयार होगा’। हीरक परियोजना को भारत सरकार ने ‘कैलाश व्यू पाइंट’ बनाने की जिम्मेदारी दी है। पिछले चार सालों ने कैलाश मानसरोवर यात्रा किसी ना किसी कारण से स्थगित हो रही है। कैलाश मानसरोवर यात्रा आखिरी बार साल 2019 में हुई थी। उसके बाद पहले कोरोना के कारण, फिर भारी बर्फबारी की वजह से यात्रा रोक दी गई थी।
कैलाश पर्वत के बारे में
कैलाश पर्वत श्रेणी कश्मीर से भूटान तक फैली हुई है। इसमें ल्हा चू और झोंग चू के बीच यह पर्वत स्थित है। यहां दो जुड़े हुए शिखर हैं। इसमें से उत्तरी शिखर को कैलाश के नाम से जाना जाता है। इस शिखर का आकार एक विशाल शिवलिंग जैसा है।
हिंदू धर्म में इसकी परिक्रमा का बड़ा महत्व है। परिक्रमा 52 किमी की होती है। तिब्बत के लोगों का मानना है कि उन्हें इस पर्वत की 3 या फिर 13 परिक्रमा करनी चाहिए। वहीं, तिब्बत के कई तीर्थ यात्री तो दंडवत प्रणाम करते हुए इसकी परिक्रमा पूरी करते हैं।
उनका मानना है कि एक परिक्रमा से एक जन्म के पाप दूर हो जाते हैं, जबकि दस परिक्रमा से कई अवतारों के पाप मिट जाते हैं। जो 108 परिक्रमा पूरी कर लेता है उसे जन्म और मृत्यु से मुक्ति मिल जाती है।
इस यात्रा में लगेंगे 4-5 दिन
पिथौरागढ़ में मिले नए दर्शन पॉइंट को स्थानीय ग्रामीणों ने तलाशा था। ग्रामीणों की सूचना पर अफसरों और विशेषज्ञों की टीम भी वहां पहुंची थी। उन्होंने वहां रोड मैप, लोगों के ठहरने की व्यवस्था, दर्शन के पॉइंट तक जाने का रूट सहित अन्य व्यवस्थाओं के लिए सर्वे किया था। इस व्यू पॉइंट से 4-5 दिन की यात्रा करके कैलाश पर्वत के दर्शन किए जा सकते हैं। श्रद्धालुओं को सड़क मार्ग से धारचूला और बूढ़ी के रास्ते नाभीढांग तक पहुंचना होगा। इसके बाद दो किलोमीटर की चढ़ाई को पैदल तय करना होगा।
उत्तराखंड के इन इलाकों से भी कर सकेंगे दर्शन
बीते महीने स्थानीय लोगों ने यह भी दावा किया था कि पिथौरागढ़ के ही ज्योलिंगकांग से 25 किलोमीटर ऊपर लिंपियाधूरा चोटी से भी कैलाश पर्वत के दर्शन हो सकते हैं। लिंपियाधूरा चोटी के पास ओम पर्वत, आदि कैलाश और पार्वती सरोवर हैं। यहां से कैलाश पर्वत के दर्शन होने से इस क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन का स्कोप बढ़ेगा।
अभी कैसे होती है कैलाश यात्रा?
कैलाश पर्वत जाते समय यह भी देखना होता है कि आप किस ओर से जा रहे हैं। यदि ल्हासा की ओर से कैलाश पर्वत जा रहे हैं तो तिब्बत का परमिट लेना पड़ता है। तिब्बतन गाइड बुरंग में माउंट कैलाश जाने के लिए एलियन यात्रा परमिट और सैन्य परमिट और विदेशी मामलों का परमिट दिलवाता है। वहीं, काठमांडू से कैलाश पर्वत जाते है तो ज़रूरी दस्तावेज़ों के साथ तिब्बत में एंट्री के लिए वैध पासपोर्ट के साथ चीन ग्रुप वीजा लेना होता है। इसमें 3 दिन का समय लगता है। इस साल यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन 1 मई से शुरू हुए हैं। हालांकि, चीन ने इस साल यात्रा के लिए नियम कड़े कर दिए हैं।
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