कर्नाटक का बेहद पुराना कस्बा बनवासी लंबे वीकेंड के लिए बिल्कुल परफेक्ट है

Tripoto

आज के समय में हर कोई, हर जगह आधुनिक होने की अंधी दौड़ में भागा जा रहा है लेकिन क्या सच में पुराने को छोड़ना ही विकास है? मेरे ख्याल से नहीं। जब हर जगह बदल रही हैं तब कुछ जगह ऐसी हैं जो आज भी अपने पुरानेपन को बचाए हुए है। इन जगहों पर आना मतलब पुराने समय में लौटना है। ऐसा ही पुरानापन लेकर बैठा हुआ है कर्नाटक का एक छोटा-सा कस्बा, बनवासी। पहाड़ों से घिरा ये कस्बा उत्तरी कर्नाटक के वेस्टर्न घाट पर स्थित है। इस शहर को कर्नाटक की पहली राजधानी माना जाता है। जिसे चौथी शताब्दी में कदंब वंश के शासकों ने स्थापित किया था। वरदा नदी के तट पर हरेे-भरे जंगलों के बीच एक बहुत पुराना मंदिर है, बनवासी मंदिर। शायद इसी मंदिर की वजह से इस जगह का नाम पड़ा हो। यहाँ के बेहद खूबसूरत झरने और हरे-भरे खेतों के अद्भुत नजारे हैं जिसे कोई भी नहीं छोड़ना चाहेगा।

क्यों करें बनवासी की यात्रा?

इस प्राचीन शहर के बारे में दूसरी शताब्दी में ग्रीक-रोमन लेखक टॉलेमी और फारसी लेखक अलबरूनी ने अपने लेखन में चित्रित किया। आपको यहाँ की खूबसूरती और सुकून के बारे में तब पता चलेगा जब आप यहाँ आएँगे। जब आप खुद इस जगह के पुरानेपन की खूबसूरती को एहसास करेंगे तो आपको समझ में आएगा क्यों ये छोटा-सा शहर लोगों को लुभा रहा है? यकीन मानिए आपका यहाँ से जाने का मन नहीं करेगा।

मधुकेश्वर मंदिर

चौथी शताब्दी में कदंब वंश के राजा मयूर शर्मा ने कर्नाटक में शासन किया था। उन्होंने ही बनवासी को अपनी राजधानी चुना। इसके लिए उन्होंने एक बहुत बड़े मंदिर के बनवाने का आदेश दिया। जिसका नाम पड़ा, मधुकेश्वर मंदिर। इस मंदिर में भगवान विष्णु विराजमान हैं और लोग उनकी पूजा करते हैं। इस मंदिर का आर्किटेक्चर से आपको उस कारीगरी का अंदाज लग जाएगा। मधुकेश्वर मंदिर की वास्तुकला कदंबा, चालुक्य, होयसला, सोंडा और विजयनगर शैली का मिश्रित रूप है। मंदिर में कुछ बेहद शानदार मूर्तियाँ और नक्काशियाँ हैं जिसमें नृत्य मंत्प के पास त्रैलोक्य मंतप, एक अलंकृत लिथिक खाट, विशाल नंदी, शहद के रंग का शिव लिंगम और आठों दिशाओं के अभिभावकों की मूर्तियाँ शामिल हैं।

गुदनापुर

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बनवासी से लगभग 5 किमी. की दूरी पर गुदनापुर गाँव है। इस गाँव को कदंब वंश के राजाओं ने ही बसाया था। इस गाँव में कदंबा राजा रविवर्मा का एक स्तंभ है जो इस गाँव को खास बनाता है। इस शिलालेख में कदंब के वंश के बारे में लिखा गया है। जिसमें कदंब वंश की उत्पत्ति और वंशावली का पता चलता है। इसके अलावा इस शिलालेख में मंदिर, महल, नृत्य सभा के बारे में बताया गया है। आज इस पुराने गाँव के सभी अवशेष उस समय के बारे में बताते हैं। इसके अलावा यहाँ जैन तीर्थंकरों की मंदिर हैं जिसमें उनकी मूर्तियाँ हैं।

बल्लीगावी केदारेश्वर मंदिर

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बनवासी से लगभग 43 किमी दूर एक गाँव है, बल्लीगावी। ये गांव होयसला और चालुक्य वंश के खूबसूरत मंदिरों का घर है। ये मंदिर चालुक्य और होयसला वंश के आर्किटेक्चर का एक शानदार नमूना है। आज यहाँ सिर्फ दो मंदिर हैं लेकिन कभी ये गाँव 54 मंदिरों और मठों का घर था। यहाँ पर शैव, वैष्णवों, जैन और बौद्धों के मंदिर थे लेकिन अब सब खंडहर बन चुके हैं। आपको इस गाँव में दो ही मंदिर मिलेंगे।

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बल्लीगवी गाँव में एक और मंदिर है, त्रिपुरंतकेश्वर मंदिर। ये मंदिर प्राकृतिक आपदाओं का शिकार हुआ है जिसकी वजह से ये कई जगहों से टूट चुका है। इसके बावजूद इस मंदिर में अभी देखने लायक बहुत कुछ हैं। आपको मंदिर के पत्थरों पर अभी भी नक्काशी दिखाई देगी। बस उनको देखने के लिए आपको इस मंदिर में नजर गहरी करनी होगी। ये मंदिर भी होयसला वंश का मंदिर है लेकिन ये मंदिर उन मंदिरों से काफी अलग है।

बनवासी का जायका

बनवासी में खानवलिस या यूँ कहें कि छोटे-छोटो होटल आपका स्वागत प्यारी मुस्कान के साथ करेंगें। आपको इस जगह पर चावल, ज्वार और मकई के साथ-साथ कई प्रकार के ब्रेड भी मिलते हैं। चावल को कई प्रकार के मीठे, खट्टे, तीखे मसाले और करी-सॉस के साथ परोसा जाता है। भोजन के साथ, दाल, मिर्च, और इमली से बने ताजी चटनी आपका खाना और भी लजीज बना देती है।

कब जाएँ?

अगर आप यहाँ के मंदिरों को अच्छे से देखना चाहते हैं तो आपको अक्टूबर से फरवरी के बीच में इस जगह पर आने का प्लान बनाना चाहिए। अगर आप यहाँ की खूबसूरती को देखना चाहते हैं। आप चाहते हैं कि आप भी यहाँ के खेत में उगने वाले धान को छू सकें तो फिर आपके लिए जून से अगस्त का समय सबसे बेस्ट है।

कैसे पहुँचे?

हवाई मार्ग सेः अगर आप फ्लाइट से बनवासी जाने चाहते हैं तो सबसे निकटतम एयरपोर्ट बैंगलोर है। बैंगलोर से बनवासी की दूरी लगभग 400 किमी. है। यहाँ से आप बनवासी टैक्सी बुक करके पहुँच सकते हैं।

ट्रेन सेः अगर आप ट्रेन से आना चाहते हैं तो सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन शिमोगा और हावेरी हैं। शिमोगा की दूरी 122 किमी. और हावेरी की दूरी 70 किमी. है। आप रेलवे स्टेशन से टैक्सी बुक करके बनवासी जा सकते हैं।

सड़क मार्ग सेः बनवासी जाने के लिए बैंगलोर से सिरसी केएसआरटीसी का फेमस रूट है। जहाँ से कभी-कभी बसें बनवासी पर भी रुकती हैं। अगर नहीं रूकती हैं तो आप सिरसी में उतर सकते हैं और वहाँ से टैक्सी बुक करके बनवासी जा सकते हैं।

बनवासी एक छोटा-सा शहर हैं जहाँ आप आसानी से जगहों को खोज सकते हैं। फिर भी देखने वाली जगहों पर जाने के लिए टैक्सी ले सकते हैं। टैक्सी को आप 800 से 1000 रुपए में बुक कर सकते हैं। जिसको आप बारगेनिंग करके कम भी करवा सकते हैं।

कहाँ ठहरें?

बनवासी एक छोटा-सा कस्बा है यहां ठहरने के लिए आपके पास ज्यादा ऑप्शन नहीं हैं। यहाँ पर ठहरने के लिए एक ही लाॅज है। जिसको बुक करने के लिए आप इस 91 81055 45777 पर संपर्क कर सकते हैं। वे यहाँ आने के लिए हावेरी से गाड़ी की भी व्यवस्था कर सकते हैं। अगर आपको बनवासी में नहीं ठहरना तो आप हावेरी में ही रह सकते हैं। हावेरी में शिवशक्ति पैलेस है जहाँ पर दो लोगों के लिए एक रात के 1000 रुपए लगेंगे। आप इन दोनों जगहों में से किसी एक जगह पर ठहर सकते हैं।

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