
भारत का इतिहास बहुत ही पुराना है। इस देश में ना जाने कितने रहस्य छिपे हुए है जो सामने आते ही लोग अचंभित रह जाते हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक रहस्यमयी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। दुनिया के इस मंदिर में आज तक कभी पूजा नहीं की गई है। इस मंदिर को भगवान सूर्य के कोणार्क मंदिर के रूप में जाना जाता है। कोणार्क मंदिर उड़ीसा में पुरी से लगभग 35 किमी. दूर कोणार्क में चन्द्रभागा नदी के किनारे स्थित है। हर घूमने वाले को एक बार इस रहस्यमयी मंदिर की यात्रा ज़रूर करनी चाहिए।

भगवान सूर्य को समर्पित कोणार्क मंदिर दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है, कोण और अर्क। कोण यानि कि कोना और अर्क का अर्थ सूर्य है। इस मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में 1236 से 1264 ईस्वी के मध्यकाल में गंगवंश के प्रथम नरेश नरसिंह देव ने करवाया था। उड़िया स्थापत्य कला में बने इस मंदिर के निर्माण में बलुआ, ग्रेनाइट पत्थरों और क़ीमती धातुओं का इस्तेमाल किया गया है। कोणार्क मंदिर 229 फ़ीट ऊँचा है और इसमें एक ही पत्थर से निर्मित तीन मूर्तियाँ स्थापित हैं जो मंदिर का मुख्य आकर्षण भी है। इस मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है।
क्यों नहीं होती है पूजा?
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि उड़ीसा में स्थित कोणार्क मंदिर में आज तक कभी पूजा नहीं की गई है। इसके पीछे एक किंवदंती है। कहा जाता है कि जब इस मंदिर का निर्माण हो रहा था तभी इस मंदिर के मुख्य वास्तुकार की बेटी ने इसी मंदिर में आत्महत्या कर ली थी। इस घटना के बाद से इस मंदिर में पूजा या किसी भी धार्मिक अनुष्ठान पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। इस वजह से कोणार्क मंदिर में आज तक कभी पूजा नहीं की गई है।
इस मंदिर की बनावट और स्वरूप एक अद्भुत कला का बेजोड़ नमूना है। कोणार्क मंदिर को एक भव्य रथ के रूप में बनाया गया है जिसमें मंदिर के चारों तरफ़ 12 जोड़ी पहिये बने हुए हैं और 7 घोड़े भी बने हुए हैं जो रथ को खींच रहे हैं। देखने पर ऐसा लगता है कि मानों भगवान सूर्य देव रथ पर सवार हैं। वर्तमान में अब एक ही घोड़ा बचा है। मंदिर के 12 पहिए साल के 12 महीनों को परिभाषित करते हैं और 7 घोड़े हफ़्ते के 7 दिनों को दर्शाता है।
रहस्य
भगवान सूर्य के कोणार्क मंदिर में एक और रहस्य है। कहा जाता है कि मंदिर के ऊपर 51 मीट्रिक टन का चुंबक लगा हुआ था। इस वजह से पहले जब जहाज इस रास्ते से गुजरते थे तो चुंबकीय प्रभाव की वजह से रास्ता भटक जाया करते थे। कुछ जहाज़ तो समुद्र से किनारे तक अपने आप खींचे चले आते थे। जहाज़ के दिशासूचक यंत्र काम करना बंद कर दिया कर देते थे। इस वजह से उस समय के नाविकों ने मंदिर से चुंबक हटा दिया था। मंदिर बेहद खूबसूरत है। इस मंदिर को जो भी देखता है, मंत्रमुग्ध हो जाता है।
क्या आपने उड़ीसा के पुरी के कोणार्क मंदिर की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
बांग्ला और गुजराती में सफ़रनामे पढ़ने और साझा करने के लिए Tripoto বাংলা और Tripoto ગુજરાતી फॉलो करें।
रोज़ाना टेलीग्राम पर यात्रा की प्रेरणा के लिए यहाँ क्लिक करें।