जगन्नाथ पुरी: जहाँ साक्षात भगवान बसते हैं

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Photo of जगन्नाथ पुरी: जहाँ साक्षात भगवान बसते हैं 1/2 by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र तीर्थस्थल पुरी को जगन्नाथ पुरी (ब्रह्मांड के भगवान) के रूप में भी जाना जाता है| ओडिशा को भगवान जगन्नाथ के मंदिर के लिए पूरे भारत में जाना जाता है | हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार पुरी भगवान विष्णु का विश्राम स्थल है।

पुरी में भारतीय, ख़ासकर ओडिशा की कला और वास्तु का भंडार है | कोणार्क, भुवनेश्वर और पुरी मिलकर ओडिशा का गोल्डन त्रिकोण बनाते हैं | इन तीनों जगहों की ऐतिहासिक विरासत और तीर्थ स्थल काफ़ी सराहनीय है और इन सभी के बीच पुरी में सबसे ज़्यादा सैलानी आते हैं |

जगन्नाथ यात्रा के लिए सलाह

- खुद के सामान की देखभाल करें।

- रात 8 बजे के बाद समुद्र तट पर ना जाएँ |

- समुद्र तट पर खाने की स्टलों पर कुछ भी खाने से बचें

- किसी भी मंदिर के पंडों/ पंडितों से दूर रहें।

- किसी भी जीवित मंदिर के अंतरतम गर्भगृह में प्रवेश ना करें |

- बंदरों से दूर रहें व उन्हें भोजन और अन्य सामान का लालच ना दें।

जगन्नाथ पुरी का इतिहास

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पुरी के आश्चर्यजनक इतिहास में पौराणिक कहानियों और तथ्यों का ज़बरदस्त मेल देखने को मिलता है | जगन्नाथ पुरी पुराने समय में पूर्वी और दक्षिणी भारत को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण स्थल था|

पुरी में गोवर्धन मठ है जो आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किए हुए चार मठों में से एक है | बाकी चार शृंगेरी, द्वारका और ज्योतिर्मठ या जोशीमठ में हैं | हुआन त्सांग के अनुसार पुरी को पहले चारित्र के नाम में जाना जाता था। हालांकि इस तथ्य के बारे में कुछ भी ठोस रूप नहीं कहा जा सकता है। इतिहासकारों का तो यह भी मानना है कि इस जगह को पुरुषोत्तम मंदिर (जिसे आज जगन्नाथ मंदिर भी कहते हैं) होने की वजह से पुरुषोत्तम क्षेत्र भी कहा जाता था | ये मंदिर चोगन्गा देव के शासन काल में बनवाया गया था |

सन् 1135 में जब जगन्नाथ पुरी मंदिर की स्थापना हुई, उसके बाद से 12 वीं शताब्दी के दौरान पुरी को एक धार्मिक केंद्र का दर्जा मिला | कहते हैं सन् 1107 से 1117 तक प्रसिद्ध संत रामानुज यहाँ रहे थे | सभी साशनों में से गंगा वंश का साशन यहां सबसे ज्यादा प्रभावशाली रहा है|

15वीं शताब्दी में मुग़लों ने भी इस जगह पर अपना राज घोषित कर दिया था | पुरी के इतिहास में अफ़ग़ानों का भी ज़िक्र आता है जिन्होंने जगन्नाथ मंदिर को तबाह करके खंडहर में बदल दिया था | ब्रिटिश राज के हाथ में राज जाने से पहले यहाँ मराठा साम्राज्य का शासन रहा जिन्होंने फिर से इस मंदिर का निर्माण करवाया | ब्रिटिश राज के दौरान मंदिर का रख-रखाव पुरी का राजा करता था |

सन 1948 में पुरी को ओडिशा का भाग घोषित कर दिया गया |

पुरी की संस्कृति

पुरी को ओडिशा की सांस्कृतिक राजधानी भी कहते हैं | पुरी में पुराने हिन्दुस्तान और पारंपरिक हिंदू धर्म की सांस्कृतिक धरोहर दिखती है | यहाँ के ऐतिहासिक मंदिर और पवित्र अनुष्ठान धार्मिक सैलानियों को एक ज़िंदगी भर याद रखने लायक अनुभव के लिए पुरी आकर्षित करते हैं |

जगन्नाथ पुरी यात्रा पर कहाँ ठहरें?

पुरी में दुनियाभर से श्रद्धालु आते हैं इसलिए पहले से ही यहाँ कमरा बुक कर लेना चाहिए | गर्मियों में यहाँ सैलानियों की तादात बढ़ जाती है | वैसे देखा जाए तो पुरी साल भर जाया जा सकता है |

हनीमून मनाने वाले जोड़ों से लेकर विद्यार्थियों तक सभी प्रकार के सैलानियों को पुरी में रुकने के लिए होटलों के बढ़िया पैकेज मिल जाते हैं | ₹1000 से 1500 में आपको दो लोगों के लिए कमरा मिल जाएगा | जगन्नाथ मंदिर के पास स्थित होटल ज़्यादा किराया वसूल करते हैं | गर्मियों में AC की ज़रूरत पड़ती है |

Photo of पुरी, Odisha, India by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

भुवनेश्वर हवाई अड्डे / भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन / पुरी रेलवे स्टेशन पर पहुँचने के बाद हमें पूरी के समुद्रतट पर बने मेफेयर बीच रिसॉर्ट में ले जाया गया | भुवनेश्वर से पुरी की दूरी मात्र 60 कि.मी. है।

Photo of जगन्नाथ पुरी: जहाँ साक्षात भगवान बसते हैं by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

सुबह होने पर पता चला कि होटल वालों ने एक पंडे (जगन्नाथ मंदिर का पंडित) की पहले ही व्यवस्था कर दी है | वो हमें जगन्नाथ मंदिर और मार्कंदेश्वर मंदिर की ओर ले गए | इन मंदिरों की शांति की तुलना नहीं की जा सकती | सुबह की आरती के बाद हम सड़क के किनारे खरीदारी करने निकल गए | रात के भोजन में हमने जगन्नाथ प्रभु का महाप्रसाद ग्रहण किया और फिर होटल में आराम करने चले गए |

Photo of चिल्का झील, Odisha by सिद्धार्थ सोनी Siddharth Soni

नाश्ते के बाद हमें वापसी के लिए पुरी रेलवे स्टेशन आना था | होटल से चेक आउट करने के बाद हम सतपाड़ा में चिल्का झील (खारे पानी की सबसे बड़ी झील) पर पहुँच गये | वहाँ से नाव में बैठ कर इरावाडी डॉल्फ़िन और राजहंस द्वीप की ओर निकल पड़े | सी माउथ, पक्षी अभयारण्य और डॉल्फिन पार्क की नाव द्वारा यात्रा लगभग 5 घंटे का समय लेती है। जैसे ही हमने यहाँ की यात्रा पूरी की, वापसी के लिए हम लौट चले |

अगर आप भी कभी पुरी यात्रा पर गए हैं तो अपने अनभव के बारे में हमें बताएं और अपने सफर को Tripoto के ज़रिए अन्य यात्रियों के साथ बांटे!

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