बुरहानपुरः मध्य प्रदेश के इसी शहर में पहले ताजमहल बनाया जाना था

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Photo of बुरहानपुरः मध्य प्रदेश के इसी शहर में पहले ताजमहल बनाया जाना था by Musafir Rishabh

घूमना अपने आप में एक अलग एहसास है। ये किसी जगह को सिर्फ पैदल नापना नहीं है, घुमक्कड़ी तो किसी जगह के बारे में वो जानकारी देता है जो किसी को नहीं पता। आपको ये तो पता होगा कि ताजमहल आगरा में है? लेकिन क्या आपको पता है कि पहले ताजमहल को भारत के किसी दूसरे शहर में बनाया जाना था? आज मध्य प्रदेश के उसी शहर के सफर पर चलते हैं। जहाँ कदम-कदम वैभवशाली इतिहास और उनकी झलक हैं। वो इमारतें उस समय की कहानी बताती हैं। मध्य प्रदेश का बुरहानपुर में कभी भारत के समृद्ध जगहों में से एक था। मुगलों से जुड़ा बुराहनपुर में बहुत कुछ ऐसा है जो देखने लायक है।

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बुरहानपुर मध्य प्रदेश का एक जिला है। ताप्ती नदी के किनारे बसा बुरहानपुर निमाड़ क्षेत्र में आता है। भोपाल से 340 किमी. दूर बुरहानपुर मुगलों के लिए एक महत्वपूर्ण जगह थी। यहाँ से मुगल दक्षिण पर पकड़ बनाना चाहते थे इसी वजह से इस जगह को दक्षिण का दक्कन भी कहा जाता है। हालाँकि मुगल कभी ऐसा कर नहीं सके। आज बुरहानपुर में लगभग 158 ऐसी इमारतें हैं जो इतिहास से जुड़ी हुई हैं। इनमें से कुछ को ही भारत सरकार ने पुरात्व और पर्यटन में शामिल किया है। अगर आप बुरहानपुर आएँ तो यहाँ देखने को इतना कुछ है कि ये शहर आपको निराश नहीं करेगा।

क्या देखें?

1- असीरगढ़ फोर्ट

ये किला बुरहानपुर का सबसे बड़ा आकर्षण है। आपको बुरहानपुर में सबसे पहले इस जगह को देखने जाना चाहिए। शहर से 20 किमी. दूर असीरगढ़ किला सतपुड़ा की पहाड़ियों पर है। इस किले की वजह से ही बुरहानपुर को दक्कन का एंट्री गेट कहा जाता था। यहाँ से दूर-दूर तक हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है। जो इस जगह को और भी खास बनाता है। ये जगह सतपुड़ा को नर्मदा और ताप्ती नदी से जोड़ती है। इस किले को 1596-1600 में असा अहीर नाम के जमींदार ने बनवाया था। जिसे बाद नासिर खान ने जमींदार को मारकर किले पर कब्जा कर लिया। किले की बनावट काफी हद तक मुगल शैली, तुर्किश, पर्शियन और भारतीय शैली में है। किले के अलावा यहाँ प्रकृति की खूबसूरती देखते ही बनती है।

2- नागझिरी घाट

मुगलों की इमारतों के अलावा यहाँ एक जगह ऐसी है जो हिन्दुओं के लिए बहुत पवित्र है। यहाँ एक घाट है, नागझिरी। कहा जाता है कि भगवान राम जब वनवास पर गए थे तो यहाँ भी आए थे। ताप्ती के किनारे वो जहाँ तक गए थे वो हिन्दुओं के लिए आस्था का केन्द्र हो गई। यहीं पर भगवान राम ने अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया और एक शिवलिंग बनाया। इसका जिक्र स्कंद पुराण में भी है। नागझिरी घाट पर 12 शिव मंदिर हैं। यहीं पर झरोखा मंदिर है जिसमें राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्ति स्थापित है। आप यहाँ आएँ तो ताप्ती के इस घाट की सैर कर सकते हैं।

3- दरगाह-ए-हकीमी

यहाँ एक ऐसी भी जगह है जिसे मुसलमान बहुत मानते हैं। मुस्लिम समुदाय की पवित्र दरगाह-ए-हकीमी सैयद अब्दुल कादिर हकीमुद्दीन की कब्र है जो एक दाऊद बोहरा संत थे। दाउद बोहरा इस्लाम के शिया संप्रदाय से ताल्लुक रखता है। इस दरगाह में एक मस्जिद है जहाँ बुरहानपुर के लोग नमाज पढ़ने आते हैं। इसके अलावा खूबसूरत बगीचा है जहाँ कुछ देर सुकून के साथ बैठा जा सकता है। इसके अलावा मेहमानों के लिए बैठने की एक जगह है। सैयद अब्दुल कादिर अपने समय के जाने-माने संत थे। आज भी उनकी दरगाह पर मत्था टेकने दूर-दूर से लोग आते हैं। ये दरगाह बुरहानपुर से लगे गाँव लोधीपुरा में है जिसे लोदी वंश ने बसाया था। आप यहाँ आएँ तो इस दरगाह को जरूर देखें।

4- पार्श्वनाथ मंदिर

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कभी बुरहानपुर को जैन नगरी कहा जाता था। यहाँ कई खूबसूरत जैन मंदिर थे, इनमें सबसे खूबसूरत और फेमस पार्श्वनाथ मंदिर था। 1857 में मंदिर में आग लगने की वजह से खाक हो गया। बाद में इसे दोबारा बनाया गया। अब भी ये मंदिर खूबसूरत ही है। मंदिर के प्रवेश द्वार संगमरमर से बना हुआ है। जिसमें कुंड कलाकृति उकेरी गई है। मंदिर के भीतर बड़े-बड़े चार खंभे हैं। मंदिर में जैन धर्म के तीर्थकारों की मूर्तियाँ हैं। इसके अलावा लक्ष्मी और सरस्वती की भी मूर्तियाँ हैं। मंदिर की छत पर काँच से बनी चित्रकारी आपका मन मोह लेगी। इसमें भगवान शांतिनाथ और 24 जैन तीर्थकारों के चित्र बने हुए हैं। आप बुरहापुर आएँ तो इस खूबसूरत मंदिर को देख सकते हैं।

5- शाही किला

बुरहानपुर की कुछ महत्वपूर्ण इमारतों में से एक है शाही किला। ये किला थोड़ा अलग है। बाकी किलों में बगीचा बाहर होता है। मगर इस किले में गाॅर्डन इसकी छत पर है। इस किले का फारुख राजवंश ने बनवाया था। मुगल काल में यहाँ शाहजहाँ का शासनकाल लंबे समय तक रहा। ये वही जगह है जहाँ शाहजहाँ की बेगम मुमताज ने अपनी आखिरी साँस ले थी। कहा जाता है कि पहले इसी जगह पर ताजमहल को बनाया जाना था लेकिन बाद में कुछ वजहों से इस जगह पर नहीं बनाया गया।शाहजहाँ ने अपनी बेगम की याद में ताजमहल आगरा में बनवाया।

6- जामा मस्जिद

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देश के कइे बड़े-शहरों में जामा मस्जिद है। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर में भी एक जामा मस्जिद है। जिसे आपको जरूर देखना चाहिए। पहले बुरहानपुर की अधिक आबादी शहर के उत्तर में रहती थी, इसलिए इस मस्जिद को उत्तर में बनाया गया। उसी समय आजम हुमायू ने इटावा में जामा मस्जिद बनवाई जिसे आज बीबी की मस्जिद के नाम से जाना जाता है। 1590 में आदिल शाह ने बुरहानपुर में जामा मस्जिद की नींव रखी। इस मस्जिद को बनाने में 5 साल लगे।

7- सिखों का भी है जुड़ाव

श्रेय: बुरहानपुर।

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बुरहानपुर हिन्दू, मुस्लिम और जैन समुदाय के लिए खास है ही। इसके अलावा सिखों का ये धार्मिक पर्यटन स्थल है। कहा जाता है कि सिखों के पहले गुरू नानकदेव और दसवें गुरू गोविंद सिंह यहाँ आए थे। कुछ समय तक यहाँ पर ठहरे भी थे। लोधीपुरा और रामघाट में गुरूद्वारे भी हैं। जहाँ पूरे देश से लोग मत्था टेकने आते हैं। सिख समुदाय के लिए ये पवित्र स्थान हैं। बुरहानपुर आएँ तो इन गुरूद्वारों में भी जाना चाहिए।

8- कुंडी भंडारा

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बुरहानपुर में एक ऐसा कुंड है जो कभी सूखता नहीं है। मुगल काल में ये कुंड पानी की कमी न हो इसलिए बनवाया गया था। ये उस समय की इंजीनियरिंग की एक मिसाल है। इस कुंड का पानी कहाँ से आ रहा है ये आज भी रहस्य बना हुआ है। इस कुंड को मुगल सूबेदार अब्दुल रहीम खान-ए-खाना ने बनवाया था। ये जगह अब भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग के अधीन है। बुरहानपुर के इस जगह को तो आप अपने ट्रेवल लिस्ट में जरूर रखें।

कैसे पहुँचे?

बुरहानपुर मध्य प्रदेश का एक बड़ा जिला है जो भोपाल से 340 किमी. दूर है। बुरहानपुर रेल, सड़क और फ्लाइट से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। अगर आप ट्रेन से जाना चाहते हैं तो सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन बुरहानपुर ही है। अगर आप फ्लाइट से आना चाहते हैं तो सबसे निकटतम एयरपोर्ट जलगाँव में है। जहाँ से बुरहानपुर की दूरी 97 किमी. है। वहाँ से बुराहानपुर आप टैक्सी बुक करके आ सकते हैं या बस से। अगर आप खुद की गाड़ी से बुरहानपुर आना चाहते हैं तब भी आपको कोई दिक्कत नहीं आएगी।

बुरहानपुर मध्य प्रदेश का एक बड़ा शहर है हालाँकि घुमक्कड़ी के नजरिए से अभी ये अनछुआ है। यहाँ रूकने के लिए बुरहानपुर में छोटे-बड़े हर बजट में आपको होटल मिल जाएँगे। बुरहानपुर अभी घुमक्कड़ों की नजरों में आया नहीं है। जब इसको अच्छे-से एक्सप्लोर किया जाएगा। तब बुरहानपुर के बारे में वो पता चलेगा जो अभी किसी को नहीं पता।

क्या आप कभी बुरहानपुर के सफर पर गए हैं? अपने सफर का अनुभव यहाँ लिखें।

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