मुसाफिरों सावधान! अगर इन बातों का ध्यान ना रखा तो शायद फिर कभी यात्रा ना कर पाओ!

Tripoto

जब हम अपनी रोजमर्रा वाली जिंदगी से ऊब जाते हैं तो रूटीन तोड़कर किसी नए सफर पर, एक नए और अनोखे अनुभव की खोज में निकल पढ़ते हैं। लेकिन हम अक्सर अपने इस जुनून मेंअंधे हो जाते हैं। जिस नई दुनिया में हम खोजने निकलते हैं हम उसे ही नज़रअंदाज़ कर देते गैं। वो दुनिया और प्रकृति जिससे हम कुछ न कुछ हमेशा लेने के लिए तैयार रहते हैं, वो हमारे फैलाए हुए कबाड़ के लिए नहीं बनी है।

Photo of मुसाफिरों सावधान! अगर इन बातों का ध्यान ना रखा तो शायद फिर कभी यात्रा ना कर पाओ! 1/7 by Bhawna Sati

पुरानी झीलें, नदियाँऔर समंदर, ये इतने मजबूत हैं कि इन्हें मिटाया नहीं जा सकता लेकिन इतने भी मजबूत नहीं हैं कि ये हमारा सारा कचरा निगल जाएँ। जिन पक्षियों और जानवरों को देखने के लिए हम घंटों और मीलों घूमते हैं, वो इतने काबिल नही हैं कि वो हमारे फेंके प्लास्टिक के टुकड़े चबा जाएँ।

भारत में ट्रैवलिंग का जुनून काफी बढ़ गया है। मगर इस प्रेम और उत्साह के साथ हमारा गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार भी बढ़ता जा रहा है । आलस और लापरवाही से प्रकृति को भरपाई न होने वाला नुकसान पहुँच रहा है।

वक्त आ गया है जब हम भारतीयों को हमारे प्राकृतिक खज़ानों का सम्मान करना होगा, क्योंकि ये इसके हकदार भी हैं और इसकी जरूत में भी।

Photo of मुसाफिरों सावधान! अगर इन बातों का ध्यान ना रखा तो शायद फिर कभी यात्रा ना कर पाओ! 2/7 by Bhawna Sati

एक्सप्लोर करने के नाम पर बर्बादी ना करें

किसी जगह पर सिर्फ टूरिस्टों के बहुत ज्यादा आ जाने से वहाँ की हालत खराब नहीं होती बल्कि ये ट्रैवेल करने वालों के गैर ज़िम्मेदाराना तरीकों का भी नतीजा होता है।

अब बिना आगे कुछ और कहे, चलिए खुद को और हमारे आस-पास के ट्रैवेलर्स को सिखाते हैं कि कैसे ज़िम्मेदारी के साथ ट्रैवेल करने के लिए वो बुनियादी कदम उठाएँ, जिससे हमारे सफर के बाद पीछे कोई कचरा ना रहे।

कूड़ा न फैलाएँ

एक ट्रैवेलर पहला और सबसे जरूरी कदम ये उठा सकता है कि वो कूड़ा फैलाने से बचे। यहाँ कुछ टिप्स है जिनसे आप अपने ट्रिप में कूड़ा कम करने की प्रैक्टिस कर सकते हैं।

-अपनी पानी की बोतल लेकर चलें और एक या दो प्लास्टिक बोतल से ज्यादा न खरीदें। आप इसे अपने रास्ते में पड़ने वाले ढाबे, झरनों या घरों से दोबारा भर सकते हैं।

- कूड़ा कम करने का एक बढ़िया तरीका तो ये ही है कि खाने के लिए दोबारा इस्तेमाल होने बर्तन लेकर जाएँ और पैकेज्ड फूड तो बिलकुल भी ना लें। अगर आप पैकेज्ड फूड लेते हैं दुकानदार को कहें कि अगर संभव हो तो इसे एक पेपर बैग या दोबारा इस्तेमाल होने वाले बॉक्स में दे।

Photo of मुसाफिरों सावधान! अगर इन बातों का ध्यान ना रखा तो शायद फिर कभी यात्रा ना कर पाओ! 3/7 by Bhawna Sati

- पानी का किफायती इस्तेमाल करें: ये तो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में भी नियम होना चाहिए कि हम पानी का समझदारी के साथ इस्तेमाल करें। जब आप ज्यादा ऊँचाई पर जाते हैं तो आपको इसकी कीमत समझ में आती है।

प्रकृति के साथ छेड़छाड़ न करें

एक मुसाफिर को अपने पर्यावरण और वातावरण का सबसे ज्यादा सम्मान करना चाहिए। आपकी मंजिल चाहे जो भी हो, लेकिन वहाँ के आसपास के परिवेश में बाधा न डालें, आखिर आपकी मंजिल भी तो किसी का घर है।

लाउड स्पीकर्स को ना कहें

पहाड़ों पर ब्लूटूथ/वायरलेस स्पीकर्स बिल्कुल ना ले जाइए। ऊँची आवाज़ से उस जगह रहने वाले प्राकृतिक बाशिंदो (जैसे पक्षी,वन्य जीवन और स्थानीय गाँव वाले) को काफी परेशानी होती है।

Photo of मुसाफिरों सावधान! अगर इन बातों का ध्यान ना रखा तो शायद फिर कभी यात्रा ना कर पाओ! 4/7 by Bhawna Sati

जितना हो सके फ्लाइट से आना जाना टालिए

मुझे पता है कि ये सुनने में अजीब लग रहा होगा और असुविधा भी काफी होगी, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पर्यावरण पर उड़ानों का सबसे खराब असर पड़ता है। कैसे? ये पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें

स्थानीय लोगों की तरह ट्रैवेल कीजिए

रोड ट्रिप्स में मज़े तो आते हैं, लेकिन ये पर्यावरण के हिसाब से सफर करने बेस्ट तरीका नहीं है। अगर आप सच में भारत के किसी हिस्से में वहाँ की ज़िंदगी देखना चाहते हैं तो स्थानीय लोगों की तरह सफर कीजिए। शेयरिंग जीप और बसों में स्थानीय लोगों के साथ घूमने पर आपके पास बताने के लिए कई कहानियाँ होंगी।

अपना नॉन-बायोडिग्रेडेबल कूड़ा वापस लेकर आएँ

Photo of मुसाफिरों सावधान! अगर इन बातों का ध्यान ना रखा तो शायद फिर कभी यात्रा ना कर पाओ! 5/7 by Bhawna Sati

चाहें आप ट्रेकिंग कर रहे हों या बीच पर आराम फरमा रहे हों, अपना कूड़ा वापस लेकर आइए। ऐसे कूड़े से निपटने के लिए मेट्रोपॉलिटन शहर ज्यादा कारगर हैं। इसके अलावा, इससे आपको नॉन-बायोडिग्रेडेबल चीजें कम इस्तेमाल करने की प्रेरणा मिलेगी।

स्थानीय समुदाय की मदद करें

भारत के कई हिस्सों में टूरिज्म से वहाँ के विकास में काफी मदद मिलती है। पर्यटन मंत्रालय दावा करता है कि इस क्षेत्र में निवेश किए गए हर दस लाख रुपये में लगभग 78 रोजगार पैदा होते हैं - जो किसी भी अन्य इंडस्ट्री से लगभग दोगुना है।

स्थानीय स्नैक्स खरीदें

किसानों की मदद करें और सीधा फार्म से सही कीमत देकर चीजें खरीदें। भारत के तमाम हिस्सों में उन जगहों के अपने स्नैक्स हैं, अपने रोज़ाना के चिप्स के पैकेट के बदले में इन स्थानीय चीजों को ट्राई करें।

Photo of मुसाफिरों सावधान! अगर इन बातों का ध्यान ना रखा तो शायद फिर कभी यात्रा ना कर पाओ! 6/7 by Bhawna Sati

स्थानीय गाइड की मदद से ही घूमें

ये काफी आकर्षक होता है कि आप ऑनलाइन कंपनी और ऑपरेटर्स से घूमने के लिए बुकिंग करा लेते हैं, लेकिन इस चुनाव में आप उन ऑपरेटर्स को चुनें जो स्थानीय गाइड के साथ काम करते हों। इससे आपको वहाँ के लोगों और कम्युनिटी को और करीब से जानने में मदद मिलेगी।

होम-स्टे को चुनें

जब आजकल होमस्टे आसानी से मौजूद हैं और लोकप्रिय भी हैं तो होटल लेना लगभग मूर्खता है। जब आप होटल की बजाय होमस्टे लेते हैं तो आपको अच्छी खासी 3 स्टार की सुविधा मिलती है और वहाँ के लोगों की मदद भी होती है।

अगर आप ये काम पहले से कर रहे हैं और जिम्मेदारी के साथ सफर करने वाले लोगों में हैं तो आपके लिए मेरे पास एक मैसेज है।

हिचकिचाइए मत !

अपने दोस्तों को सड़क पर या नदियों में पैकेट्स और प्लास्टिक फेंकते देखिए तो उन्हें रोकने से बिलकुल मत डरिए। शुरुआत में शायद आपको कोई नाम दे दिया जाए और मजाक उड़ाया जाए, लेकिन याद रखिए उन नामों से ज्यादा असरदार, प्रदूषण के खिलाफ आपका ये कदम होगा।

अपने आप को एक्टिविस्ट कहवाने से बिलकुल मत भागिए। प्रकृति की देखभाल और उसकी चिंता करने को अपना सम्मान समझिए और लोगों की जितना गाइड कर सकते हैं उतना करिए।

Photo of मुसाफिरों सावधान! अगर इन बातों का ध्यान ना रखा तो शायद फिर कभी यात्रा ना कर पाओ! 7/7 by Bhawna Sati

जब आप इस छोटी सी गाइड को पढ़ लेंगे तो एक छोटी सी प्रतीज्ञा भी लीजिए।

ये प्रतीज्ञा इतनी छोटी भी हो सकती है कि "मैं ज्यादा पानी के बोतल नहीं खरीदूंगा/खरीदूंगी" या इतनी बड़ी भी हो सकती है कि "मैं त्रिउंड को साफ करने के लिए एक अभियान शुरू करूँगा/करूँगी"। ये मायने नहीं रखता कि आप कहाँ से शुरू करते हैं लेकिन ये मायने ज़रूर रखता है कि आपने काफी देर हो जाने से पहले अपना पहला कदम तो उठाया।

आपने अपने सफर में किस तरह से पर्यावरण को बचाने में कदम उठाया। अपने इस जिम्मेदार अनुभव के बारे में हमे कॉमेंट्स में बताएँ या अपनी कहानी यहाँ लिखें।

ये आर्टिकल अनुवादित है। ओरिजनल आर्टिकल पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें