बंगाल का शांतिनिकेतन बना UNESCO की विश्व धरोहर, जानिए इस जगह का अनूठा इतिहास

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Photo of बंगाल का शांतिनिकेतन बना UNESCO की विश्व धरोहर, जानिए इस जगह का अनूठा इतिहास by Rishabh Dev

पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन को हाल ही में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया गया है। बंगाल की कला और संस्कृति का केन्द्र कहे जाना वाला शांति निकेतन बंगाल के अनेक गौरवशाली अध्याय का साक्षी रहा। शांति निकेतन को कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर के लिए भी जाना जाता है। शांतिनिकेतन के बिना बंगाल का इतिहास और संस्कृति का केन्द्र रहा। आइए आज आपको बंगाल के शांतिनिकेतन के इतिहास से रूबरू कराते हैं।

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शांति निकेतन का शाब्दिक अर्थ है शांति का निवास यानि कि वह जगह जहां शांति हो। शांति निकेतन अपने शांत वातावरण और साहित्यिक पृष्ठभूमि के लिए जाना जाता है। ये जगह पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से लगभग 180 किमी. दूर उत्तर की ओर बीरभूमि ज़िले के बोलपुर में स्थित है। 1862 में रवीन्द्रनाथ टैगोर के पिता महर्षि देबेन्द्रनाथ टैगोर को एक शांत जगह मिली, जहां वह शांति से ध्यान कर सकते थे। उन्होंने इस जगह का नाम शांति निकेतन रख दिया।

शांतिनिकेतन

1863 में शांति निकेतन में देबेन्द्रनाथ टैगोर ने एक आश्रम की नींव रखी। 1901 में देवेन्द्रनाथ टैगोर के बेटे रविन्द्रनाथ टैगोर ने इसी आश्रम में एक स्कूल को शुरू किया। दुनिया भर में मशहूर शांति निकेतन विश्वविद्यालय की स्थापना 1921 में की गई थी। इस स्कूल को विश्व भारती विश्वविद्यालय के नाम से भी जाना जाता है। विश्वविद्यालय के संचालन के लिए 1922 में विश्व भारती सोसायटी का गठन किया गया। इस विश्वविद्यालय को एक अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में विस्तार मिला।

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शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में भारतीय संस्कृति और परंपरा के अनुसार किताबें पढ़ाई जाती हैं। यहाँ पढ़ाई के नीचे ज़मीन पर बैठकर छात्रों के पढ़ने का चलन है। शांतिनिकेतन कला प्रेमियों को पसंद है। विश्व भारती विश्वविद्यालय पश्चिम बंगाल का एकमात्र केन्द्रीय विश्वविद्यालय है और इसके कुलाधिपति प्रधानमन्त्री हैं। 1951 में सांसद के एक अधिनियम द्वारा इसे केन्द्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व का संस्थान का घोषित किया गया था।

कवि रविन्द्रनाथ टैगोर 1878 में पहली बार पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन में आए थे। 2वीं सदी की शुरूआत में ये जगह संस्कृति और कला का एक केन्द्र बन गया था। शांति निकेतन ने बंग भंग और आज़ादी की लड़ाई में मुख्य भूमिका निभाई थी। महात्मा गांधी से रविन्द्रनाथ टैगौर की मुलाक़ात इसी जगह पर हुई थी। जालियाँवाला हत्याकांड के बाद रविन्द्रनाथ टैगोर ने नाइट की उपाधि को त्याग दिया था। अगर आप कोलकाता और बंगाल की यात्रा करते हैं तो आपको शांतिनिकेतन ज़रूर जाना चाहिए। शांतिनिकेतन में आप टैगोर हाउस, कला भवन, रविन्द्र भारती संग्रहालय और सोनाझुरी हाट को देख सकते हैं।

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