सुजाता गढ़ स्तूप: यहीं भक्त सुजाता से खीर खाकर भगवान बुद्ध को हुई थी ज्ञान का प्राप्ति

Tripoto
Photo of सुजाता गढ़ स्तूप: यहीं भक्त सुजाता से खीर खाकर भगवान बुद्ध को हुई थी ज्ञान का प्राप्ति by Hitendra Gupta
Day 1

बिहार के गया में निरंजना नदी के किनारे बकरौर गांव में स्थित सुजाता गढ़ बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है। यह जगह धार्मिक के साथ पुरातात्विक दृष्टि से भी काफी महत्‍वपूर्ण है। खुदाई के दौरान यहां भगवान बुद्ध की विशाल खंडित प्रतिमा और भगवान विष्णु की एक फीट ऊंची काले प्राचीन पत्थर की प्रतिमा मिली थी। यहां खुदाई में पाल वंश कालीन अभिलेख और प्रतिमा मिले हैं। यहां मिले स्तूप का व्यास 150 फीट और ऊंचाई 50 फीट है। बताया जाता है कि इस स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने करवाया था।

Photo of सुजाता स्तूप සුජාතා ස්ථූපය, Sujata, Bihar, India by Hitendra Gupta
Photo of सुजाता स्तूप සුජාතා ස්ථූපය, Sujata, Bihar, India by Hitendra Gupta

सुजाता गढ़ स्थित इसी प्राचीन स्तूप के पास भगवान बुद्ध यानी राजकुमार सिद्धार्थ ने आत्मज्ञान प्राप्त होने से पहले कठिन तप किया था। भगवान बुद्ध ने छह वर्षों तक हठयोग के तहत ढूंगेश्वरी पहाड़ी की प्रागबोधि गुफा में कठिक तप किया। इस दौरान उन्होंने खाना-पीना भी छोड़ दिया था। खाना-पीना छोड़ देने के कारण उनका शरीर कंकाल की तरह बन गया था। गुफा में उनकी कंकाल वाली एक प्रतिमा भी है। यह गुफा गया शहर से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर है।

Photo of सुजाता गढ़ स्तूप: यहीं भक्त सुजाता से खीर खाकर भगवान बुद्ध को हुई थी ज्ञान का प्राप्ति by Hitendra Gupta
Photo of सुजाता गढ़ स्तूप: यहीं भक्त सुजाता से खीर खाकर भगवान बुद्ध को हुई थी ज्ञान का प्राप्ति by Hitendra Gupta

साधना से संतुष्ट ना होने पर भगवान बुद्ध ढूंगेश्वरी पहाड़ी से नीचे आ नदी पार कर सेनानी गांव में एक बरगद के पेड़ के नीचे विश्राम करने लगे। खाना-पीना ना खाने के कारण कमजोर मरणासन्न की हालत में देख वहां गाय चराने वाली एक महिला सुजाता ने उन्हें जलपान करा और खीर का एक प्याला दिया।

Photo of सुजाता गढ़ स्तूप: यहीं भक्त सुजाता से खीर खाकर भगवान बुद्ध को हुई थी ज्ञान का प्राप्ति by Hitendra Gupta
Photo of सुजाता गढ़ स्तूप: यहीं भक्त सुजाता से खीर खाकर भगवान बुद्ध को हुई थी ज्ञान का प्राप्ति by Hitendra Gupta

जलपान और खीर खाकर उनके शरीर में शक्ति का संचार हुआ और वे बोधि वृक्ष के पास गए। वहां उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। बताया जाता है कि इसी घटना के बाद उन्हें मध्यम मार्ग का ज्ञान हुआ। उसी समय के बाद सुजाता के नाम पर इस जगह का नाम सुजाता गढ़ रखा गया। भगवान बुद्ध के जीवन में इस स्थान के महत्व को देखते हुए सम्राट अशोक ने यहां सुजाता के नाम पर इस स्तूप का निर्माण कराया।

Photo of सुजाता गढ़ स्तूप: यहीं भक्त सुजाता से खीर खाकर भगवान बुद्ध को हुई थी ज्ञान का प्राप्ति by Hitendra Gupta
Photo of सुजाता गढ़ स्तूप: यहीं भक्त सुजाता से खीर खाकर भगवान बुद्ध को हुई थी ज्ञान का प्राप्ति by Hitendra Gupta

यहां हर साल हजारों बौद्ध अनुयायी और पर्यटक आते हैं। तभी से यह एक तरह से कह सकते हैं कि परपंरा है कि बुद्ध जयंती पर श्रद्धालु भगवान बुद्ध को खीर भी समर्पित करते हैं। बौद्ध भिक्षु जयंती पर खीर फल-फूल लेकर शोभायात्रा के साथ बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर पहुंच खीर अर्पित करते हैं।

Photo of सुजाता गढ़ स्तूप: यहीं भक्त सुजाता से खीर खाकर भगवान बुद्ध को हुई थी ज्ञान का प्राप्ति by Hitendra Gupta

नजदीकी दर्शनीय स्थल

सुजाता गढ़ के पास स्थित बोधगया में महाबोधि मंदिर के साथ ही कई और मंदिर और म्यूजियम हैं। बोधगया से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर गया है। यहां आप विष्णुपद मंदिर के साथ सीताकुंड, राम कुंड, रामशीला के साथ अक्षय वट का दर्शन कर सकते हैं। बोधगया से करीब 13 किलोमीटर की दूरी पर है विश्‍व प्रसिद्ध नालन्‍दा विश्‍वविद्यालय। आप इस विश्‍वविद्यालय के अवशेष को देख सकते हैं। यहां एक संग्रहालय भी है। यहां से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध जैन तीर्थस्‍थल पावापुरी है। यहां से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर राजगीर हैं। आप यहां विश्व शांति स्तूप का दर्शन कर सकते हैं।

Photo of सुजाता गढ़ स्तूप: यहीं भक्त सुजाता से खीर खाकर भगवान बुद्ध को हुई थी ज्ञान का प्राप्ति by Hitendra Gupta
Photo of सुजाता गढ़ स्तूप: यहीं भक्त सुजाता से खीर खाकर भगवान बुद्ध को हुई थी ज्ञान का प्राप्ति by Hitendra Gupta

कैसे पहुंचे-

सुजाता गढ़ महाबोधि मंदिर के पास ही है। यहां आप आसानी से पहुंच सकते हैं। यह स्थल गया से करीब 15 किलोमीटर और पटना से करीब 115 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गया शहर पटना के साथ देश के सभी प्रमुख शहरों से रेल और सड़क मार्ग से बेहतर तरीके से जुड़ा हुआ है। गया में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है। आप यहां आसानी से हवाई जहाज से भी आ सकते हैं।

कब पहुंचे-

वैसे तो यहां सालों भर लोग आते रहते हैं लेकिन हो सके तो बारिश और गर्मी में यहां आने से बचना चाहिए। बुद्ध जयंती पर यहां लाखों लोग आते हैं।

-हितेन्द्र गुप्ता