बोधगया महाबोधि मंदिर- यहां हुई थी गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति

Tripoto
Photo of बोधगया महाबोधि मंदिर- यहां हुई थी गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति by Hitendra Gupta
Day 1

बोधगया- जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जिस स्थान पर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई वहां एक विशाल खूबसूरत प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर को महाबोधि मंदिर या महाबोधि विहार कहा जाता है। बौद्ध धर्म के श्रद्धालुओं के लिए यह सबसे पवित्र स्थल है। यह भगवान बुद्ध के जीवन से संबंधित चार पवित्र स्थलों में से एक है। महाबोधि मंदिर परिसर में प्रार्थना, धार्मिक अनुष्ठान और ध्यान लगाने के लिए दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं।

Photo of बोध गया, Bihar, India by Hitendra Gupta

करीब 52 मीटर की ऊंचाई वाले इस मंदिर के अंदर भगवान बुद्ध की एक सोने की मूर्ति है। यहां भगवान बुद्ध अपनी भूमिस्पर्श मुद्रा में हैं। ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध बोधगया में सात रहे थे। भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद जहां-जहां अपने पैर रखे, वे स्थल पवित्र हो गएं। करीब 5 हेक्टेयर में फैले इस मंदिर परिसर में 50 मीटर ऊंचा भव्य महाबोधि मंदिर, वज्रासन, पवित्र बोधिवृक्ष और बुद्ध के प्रबोधन के अन्य छह पवित्र स्थल हैं। परिसर के दक्षिणी में सातवां पवित्र स्थान कमल का तालाब है।

Photo of महाबोधी मंदिर, Bodh Gaya, Bihar, India by Hitendra Gupta

महाबोधि मंदिर परिसर को यूनेस्को ने सन 2002 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है। बताया जाता है कि सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी से पूर्व में यहां एक मंदिर बनवाया था। इसके बाद कई बार इस मंदिर स्थल का विस्तार और पुनर्निर्माण किया गया। देश में गुप्तकाल से आज तक पूरी तरह से ईटों से बना यह सबसे प्राचीन बौद्ध मंदिरों में से एक है।

Photo of बोधगया महाबोधि मंदिर- यहां हुई थी गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति by Hitendra Gupta

महाबोधि मंदिर के पश्चिम में पीपल का विशाल बोधि वृक्ष है। इस पवित्र वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला सप्ताह बिताया था। बताया जाता है कि सम्राट अशोक की बेटी संघमित्रा धर्म प्रचार के लिए जब श्रीलंका गईं तो अपने साथ बोधगया से मूल बोधि वृक्ष की एक शाखा ले गईं। इसे उन्होंने श्रीलंका के अनुराधापुर शहर में लगा दिया। वह बोधि वृक्ष वहां अब भी है और माना जाता है कि वह दुनिया का सबसे पुराना वृक्ष है। ये भी मान्यता है कि बोधगया में अभी जो बोधि वृक्ष है वह श्रीलंका से लाए गए पौधे से उगाया गया है।

Photo of बोधगया महाबोधि मंदिर- यहां हुई थी गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति by Hitendra Gupta

मंदिर के उत्तर की ओर बीच में अनिमेश लोचन चैत्य है। यहां गौतम बुद्ध ने अपना दूसरा सप्ताह बोधिवृक्ष को एकटक देखते हुए बिताया था। कहा जाता ​​है कि भगवान बुद्ध ने अनिमेश लोचन चैत्य और बोधि वृक्ष के बीच चलते हुए एक सप्ताह बिताया था। इसे ज्वेल वॉक या विचरण पथ भी कहा जाता है।

Photo of बोधगया महाबोधि मंदिर- यहां हुई थी गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति by Hitendra Gupta

भगवान बुद्ध ने अपना तीसरा सप्ताह मंदिर की उत्तरी दीवार के पास रत्न चक्रमा या चंक्रमण में व्यतीत किया। बताया जाता है कि इस दौरान भगवान बुद्ध ने जहां-जहां कदम रखे, वहां कमल खिल गए। यहां पत्थर के एक वेदिका पर कमल के फूल बने हुए हैं। इसे ज्वेल प्रोमेनेड श्राइन्स भी करते हैं।

Photo of बोधगया महाबोधि मंदिर- यहां हुई थी गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति by Hitendra Gupta

भगवान ने अपना चौथा सप्ताह रतनगढ़ या रत्नाघर चैत्य नामक स्थान पर व्यतीत किया था। इसे ज्वेल हाउस भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दौरान उनके शरीर से छह रंगों की किरण निकली थी। इसलिए बौद्ध अनुयायी ने इन्हीं रंगों से अपना झंडा बनाया।

Photo of बोधगया महाबोधि मंदिर- यहां हुई थी गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति by Hitendra Gupta

इसके बाद अपना पांचवां सप्ताह पूरब की ओर अजपाला निग्रोध वृक्ष के नीचे व्यतीत किया था। यहां पर पत्थर का एक स्तंभ अजपला वृक्ष का प्रतीक है।

Photo of बोधगया महाबोधि मंदिर- यहां हुई थी गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति by Hitendra Gupta

भगवान ने अपना छठा सप्ताह परिसर के दक्षिण में स्थित कमल के तालाब या मूचालिंडा सरोवर के पास बिताया था। बताया जाता है कि भगवान बुद्ध के ध्यान लगाते ही यहां मूसलाधार बारिश होने लगी। बारिश से उनकी रक्षा के लिए झील के सर्प राजा मूचालिंडा ने भगवान के सिर पर अपना फण फैला दिया। यहां सरोवर के बीच में फण फैलाए सांप के साथ भगवान बुद्ध की एक मूर्ति है।

Photo of बोधगया महाबोधि मंदिर- यहां हुई थी गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति by Hitendra Gupta

भगवान बुद्ध ने अपना सातवां सप्ताह को मंदिर के दक्षिण-पूर्व में स्थित राजयत्न या राजयातना वृक्ष के नीचे व्यतीत किया था। इस दौरान उन्होंने यहां आने वाले लोगों को उपदेश भी दिया। ये सातों स्थल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र और पूजनीय हैं।

Photo of बोधगया महाबोधि मंदिर- यहां हुई थी गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति by Hitendra Gupta

खरीदारी

मंदिर के आसपास स्थित दुकानों से आप भगवान बुद्ध की मूर्तियां और बौद्ध साहित्य की किताबें खरीद सकते हैं। हस्तशिल्प के सामान भी यहां मिलते हैं। लोग यहां से इन चीजों को यादगार के रूप में ले जाते हैं।

Photo of बोधगया महाबोधि मंदिर- यहां हुई थी गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति by Hitendra Gupta

नजदीकी दर्शनीय स्थल

बोधगया में कई महाबोधि मंदिर के साथ ही कई और मंदिर और म्यूजियम हैं। यहां से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर राजगीर हैं। आप यहां विश्व शांति स्तूप का दर्शन कर सकते हैं। बोधगया से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर गया है। यहां आप विष्णुपद मंदिर के साथ सीताकुंड, राम कुंड, रामशीला के साथ अक्षय वट का दर्शन कर सकते हैं। बोधगया से करीब 13 किलोमीटर की दूरी पर है विश्‍व प्रसिद्ध नालन्‍दा विश्‍वविद्यालय। आप इस विश्‍वविद्यालय के अवशेष को देख सकते हैं। यहां एक संग्रहालय भी है। यहां से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर प्रसिद्ध जैन तीर्थस्‍थल पावापुरी है।

सभी फोटो अतुल्य भारत- बिहार टूरिज्म

Photo of बोधगया महाबोधि मंदिर- यहां हुई थी गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति by Hitendra Gupta

कैसे पहुंचे-

महाबोधि मंदिर गया से करीब 15 किलोमीटर और बिहार की राजधानी पटना से करीब 115 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गया शहर पटना के साथ देश के सभी प्रमुख शहरों से रेल और सड़क मार्ग से बेहतर तरीके से जुड़ा हुआ है। गया में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है। आप यहां आसानी से हवाई जहाज से भी आ सकते हैं।

कब पहुंचे-

वैसे तो यहां सालों भर लोग आते रहते हैं लेकिन हो सके तो बारिश और गर्मी में यहां आने से बचना चाहिए।

-हितेन्द्र गुप्ता