वैशाख पूर्णिमा का हिन्दू धर्म एवं बौद्ध धर्म में काफी विशेष महत्व हैं।वैशाख पूर्णिमा के दिन ही बौद्ध धर्म के संस्थापक 'महात्मा बौद्ध' ने जन्म लिया ,इसी दिवस पर इन्हे ज्ञान की प्राप्ति भी हुई और वैशाख पूर्णिमा को ही उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में इन्हे महानिर्वाण प्राप्त (निधन) हुआ।इसीलिए वैशाख पूर्णिमा को 'बुद्ध पूर्णिमा ' भी बोला जाता हैं।इसीलिए बौद्ध धर्मं मे इस पर्व का विशेष स्थान हैं। 'एशिया का ज्योति पुंज' कहें जाने वाले महात्मा बौद्ध ,भगवान विष्णु के ही अवतार माने जाने के कारण इस पर्व का हिन्दुओं मे भी बड़ा महत्व हैं।इस साल भारत मे बुद्ध पूर्णिमा 26 मई को मनाई जायेगी।
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भारत मे बौद्ध धर्म के कई पवित्र स्थान एवं मठ हैं जो कई सालों से देश विदेशों से पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। आज चलते हैं बौद्ध धर्म के उन कुछ पवित्र स्थानों पर जिन्होंने बौद्ध धर्म के इतिहास को वर्तमान से जोड़ा हुआ हैं -
1. कुशीनगर ,उत्तर प्रदेश :
यह स्थान बौद्ध धर्म के चार पवित्र स्थानों मे से एक हैं। अन्य स्थान लुम्बिनी (नेपाल ), सारनाथ (उत्तर प्रदेश ) और बोधगया (बिहार ) हैं।यह स्थान वही हैं जहाँ भगवान बौद्ध को महानिर्वाण प्राप्त हुआ अर्थात यही उन्होंने अंतिम सांस ली थी। यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थानों में महापरिनिर्वाण मंदिर ,निर्वाण स्तूप ,रामभर स्तूप ,माथा कुँअर तीर्थ और वात-थाई मंदिर हैं।पूरा मंदिर सफ़ेद पत्थरो से बना हैं जिसके शिखर पर गोल्डन परत चढ़ाई गयी हैं।यहाँ के प्रसिद्ध स्थल इस प्रकार हैं -
महापरिनिर्वाण मंदिर: यह मंदिर इसके अंदर स्थित करीब 20 फ़ीट लम्बी बलुआ पत्थर से बनी लाल रंग की प्रतिमा के लिए प्रसिद्द हैं। यह प्रतिमा भगवान बौद्ध की लेटी हुई अवस्था में हैं एवं यही अवस्था उनके निर्वाण को दर्शाती हैं। मंदिर मे प्रवेश करते ही यह लेटी हुई मुद्रा की मूर्ति सीधी आपकी आँखों के सामने आ जाती हैं।जिसके चारो और कई बौद्ध भिक्षु और श्रद्धालु हमेशा देखे जा सकते हैं।यह मंदिर प्राचीन मठो के खंडहरों के पास स्थित हैं एवं यह करीब ढाई मीटर ऊँचे चबूतरे पर बना हुआ हैं।खुदाई के दौरान इसके आसपास कई स्तूप भी मिले हैं।
निर्वाण स्तूप एवं रामभर स्तूप :निर्वाण स्तूप महापरिनिर्वाण मंदिर के एकदम पीछे स्थित हैं ,जिसे भगवान बुद्ध का घर माना जाता हैं। जबकि रामभर स्तूप को भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार स्थल माना जाता हैं। रामभर स्तूप करीब 15 मीटर ऊँचा हैं। बौद्ध भिक्षुओं के द्वारा बौद्ध मंत्रो से यहाँ का प्रांगण हमेशा गूंजता रहता हैं।
माथा कुँअर तीर्थ :महापरिनिर्वाण मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित इस जगह पर प्राचीन खंडहरों के बीच भगवान बुद्ध की एक विशाल खंड पर उकेरी गयी मूर्ति हैं। जिसमे भगवान को "बोधि वृक्ष" के निचे बैठे हुए बताने का आभास करवाया गया हैं।
वात -थाई मंदिर :यह मंदिर एक विशाल थाई-बौद्ध स्थापत्य शैली में निर्मित विशाल परिसर है।इसका निर्माण एक थाई राजा ने करवाया था जिसका उद्घाटन 21 फरवरी, 1999 को किया था। इस मंदिर में भगवान बौद्ध की एक स्वर्ण मूर्ति विराजमान हैं।यह कुशीनगर के सबसे सुंदर गंतव्य स्थलों में से एक है। इस मंदिर में हर साल हजारों थाईलैंड के यात्री दर्शन करने आते है।परिसर में मठ, गार्डन, स्वास्थ्य केंद्र, स्कूल और एक पुस्तकालय भी स्थित है।
कुशीनगर मे अन्य दर्शनीय स्थलों मे जापानीज़ मंदिर ,बर्मा मंदिर एवं म्यांमार स्तूप भी हैं जो सभी बौद्ध धर्म से सम्बन्धित हैं।
2. बोधगया ,बिहार :
बोधगया में ही भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। अतः यह स्थल बौद्ध धर्म मे बेहद पवित्र माना गया है।फल्गु नदी के किनारे बसा यह स्थान हिन्दू धर्म मे इसीलिए सबसे महत्वपूर्ण हैं क्योकि पुराणों के हिसाब से यहाँ पर भगवान राम , युधिष्ठिर, भीष्म पितामह, मरिचि इत्यादि के द्वारा पिंड दान हुए हैं। यहां पूरे भारत से लोग श्राद्ध के दौरान पिंडदान करने आते हैं। पितृपक्ष के दौरान यहां काफी भीड़ होती है। बोधगया में पितृपक्ष मेला भी लगता है।
बोधगया अंतराष्ट्रीय पर्यटन की दृष्टि से बिहार राज्य को बहुत आगे ले गया हैं। बोधगया महाबोधि मंदिर के पास इर्द गिर्द बसा हुआ है।आस पास बने खूबूसरत अन्य देशों के बौद्ध मंदिरों एवं कई सारे विदेशी पर्यटकों को देखकर आपको यहाँ अन्तराष्ट्रीयता की झलक दिखाई देगी। बोधगया मे ही बिहार राज्य का एक विश्व धरोहर स्थल स्थित हैं।यहाँ के प्रमुख बौद्ध पर्यटन स्थल इस प्रकार है -
महाबोधि मंदिर – विश्व धरोहर स्थल : यह मंदिर बोधगया का सबसे ऊँचा मंदिर हैं जो शहर के कई अलग अलग क्षेत्र से आपको आसानी से दिखाई देगा। मन्दिर मे प्रवेश करने के लिए आपको कई प्रकार की सिक्योरिटी चेकिंग व्यवस्था से गुजरना होता हैं।भूरे मंदिर के शिखर को लिए इस खूबसूरत मंदिर मे आपके एकदम सामने आप बौद्ध की एक मूर्ति पद्मासन अवस्था मे पाएंगे जिसके ही दर्शन करने लोग विदेशों से यहाँ आते हैं। यह मंदिर एक बहुमंजिला ईमारत हैं जिसकी अन्य इमारतों पर जाने की अनुमति पर्यटकों को नहीं मिलती हैं। मंदिर के आसपास ही कई सारे स्तूप भी बने हुए हैं। यह मंदिर वास्तुकला व बौद्ध धर्म की परम्पराओं का सुन्दर नमूना है। विभिन्न धर्मों एवं सम्प्रदायों के लोग यहां आध्यात्मिक शांति की तलाश में आते हैं।मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक द्वारा किया गया था।
पवित्र महाबोधि वृक्ष : यह पेड़ महाबोधि मंदिर के ठीक पीछे हैं इसी वृक्ष के निचे भगवान बौद्ध को ज्ञान प्राप्ति हुई थी। कई शासकों ने इस वृक्ष को नष्ट करने का प्रयास किया लेकिन ऐसा माना जाता है कि हर ऐसे प्रयास के बाद बोधि वृक्ष फिर से पनप गया। आज का पेड़ शायद बोधि वृक्ष की पाँचवी पीढ़ी है।इस पेड़ के आसपास कई बौद्ध भिक्षु अपने धार्मिक परिवेश मे शांतचित्तता से ध्यानमग्न होते ,कुछ हाथों में माला लिए मंत्रों का उच्चारण करते , भजन गीत गाते , तो कुछ पवित्र पुस्तके पढ़ते हुए भी देखे जा सकते हैं।
दी ग्रेट बुद्धा स्टैचू : भगवान बौद्ध की यह खूबसूरत मूर्ति बौद्ध गया का एक और सबसे बड़ा आकर्षण हैं।इस मूर्ति मे भगवान 6 फ़ीट ऊँचे पत्थर के बने गोल्डन कमल पर बैठे हुए नजर आते हैं।इस मूर्ति की ऊंचाई करीब 80 फ़ीट हैं।इसी के आसपास बोधगया के कई प्रसिद्द मठ भी बने हुए हैं जिन्हे आप यही से पैदल भी घूम सकते हैं।
अनेक देशो के मठ: यहाँ कई देशों के बौद्ध मठ बने हुए हैं जिनको देख कर आपको अंदाजा लग जायेगा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बोधगया का कितना बड़ा महत्व हैं। ये सभी मठ आपस मे ज्यादा दूर भी नहीं हैं।हर एक मठ की अपनी एक विशेष खूबसूरती हैं जो अपने देश की वास्तुकला को दर्शाती हैं। यहां श्रीलंका, बर्मा, तिब्बत, वियतनाम, भूटान, जापान, थायलैंड और चीन आदि देशों के मठ स्थित हैं। इन सभी को घूमने मे आपको पूरा एक दिन चाहिए।
बोधगया मे एवं इसके नजदीक ही अन्य कई प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं जैसे मुचलिंद झील ,ध्यान उपवन ,नालंदा ,डुंगेश्वरी गुफा और पुरातत्व म्यूजियम।इन सब जगहों की भी पर्यटन मे अपनी विशेष जगह हैं।
3. सारनाथ ,उत्तर प्रदेश :
सारनाथ ,वाराणसी से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो कि हिन्दू ,बौद्ध और जैन धर्म की धार्मिक आस्थाओ का एक त्रिवेणी संगम हैं। गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था ,जैन धर्म के ग्यारवें तीर्थंकर श्रेयांशनाथ जी का जन्म यही नजदीक ही हुआ था एवं वही , हिन्दू धर्म का प्रसिद्द मंदिर सारंगनाथ महादेव मंदिर भी यही स्थित हैं जो कि सावन के मेले के लिए प्रसिद्द हैं।इसी स्थान पर महान भारतीय सम्राट अशोक ने कई स्तूप बनवाए थे। उन्होंने यहां प्रसिद्ध अशोक स्तंभ का भी निर्माण करवाया, जिनमें से अब कुछ ही शेष बचे हैं। इन स्तंभों पर बने चार शेर आज भारत का राष्ट्रीय चिन्ह है।
यहाँ के कुछ महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल इस प्रकार है -
चौखंडी स्तूप: इसी स्थान पर भगवान गौतम बुद्ध ने पांचों शिष्यों को प्रथम उपदेश यहीं पर सुनाया था। यह स्तूप सीढ़ीदार तरीके से बना हुआ हैं। जिसके एकदम मध्य मे ऊंचाई पर एक बुर्जनुमा सरंचना भी बनी हैं। यहाँ पर्यटक शान्ति की अनुभूति लेने के लिए आते हैं। इस स्तूप को सम्राट अशोक ने ईंटों से चौकोर आकार मे बनवाया था।
मूलगंध कुटी विहार: यह जगह बौद्ध धर्म मे इसलिए पवित्र हैं क्योकि भगवान बौद्ध ने पहला उपदेश यही दिया था। इस मंदिर में कई खूबसूरत भित्ति चित्र हैं। जापान के सबसे बड़े चित्रकार कोसेत्सु नोसू ने ये रंगीन भित्ति चित्र बनाए।प्रवेश द्वार पर आपको एक बड़ी सी ताम्बे की घंटी मौजूद हैं।मंदिर में एक बोधि पेड़ भी है। इस मंदिर को 8 वी शताब्दी का माना जाता हैं।
अशोक स्तंभ : सम्राट अशोक ने अपने शासन काल मे कई सारे अशोक स्तम्भो का निर्माण करवाया था। जिनमे से सबसे प्रसिद्द स्तम्भ सारनाथ का ही माना जाता हैं। सारनाथ के स्तंभ में चार शेर एक दूसरे से पीठ से पीठ सटा कर बैठे हुए है जिसे कि हमारा राष्ट्रीय चिन्ह माना जाता हैं।इसकी ऊंचाई उस समय काफी थी ,लेकिन आक्रमको ने इसे तोड़ दिया। अब केवल इसके कुछ अवशेष यहाँ देखने को मिलते हैं।
सारनाथ मे अन्य प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों मे यहाँ का पुरातत्व संग्राहलय ,सारनाथ डिअर पार्क ,सारंगनाथ मंदिर ,धर्मराजिका स्तूप,थाई मंदिर एवं तिब्बती मंदिर हैं ,जिन्हे घूमने के लिए एक पूरा दिन पर्याप्त हैं।
हमने यहाँ बौद्ध धर्म के चार तीर्थ स्थानों में से सारनाथ , बोधगया और कुशीनगर के बारे मे पढ़ा हैं जो की तीनो भारत मे ही स्थित हैं। चौथा स्थान 'लुम्बिनी ' नेपाल मे स्थित हैं जहाँ बौद्ध भगवान का जन्म हुआ था। बौद्ध धर्म के इतिहास को समझने के लिए ये चारो जगहों का भृमण आवश्यक हैं। भारत मे बौद्ध धर्म के अन्य प्रसिद्द मठ और मंदिर इस प्रकार है -
तवांग मोनेस्ट्री ,अरुणाचल प्रदेश
गोल्डन टेम्पल ,कूर्ग,कर्नाटक
श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश
राजगीर, बिहार
हेमिस मठ ,लद्दाख
नामग्याल मोनेस्ट्री,धर्मशाला ,हिमाचल प्रदेश
आशा है आपको यह लेख पसंद आया होगा।
-ऋषभ भरावा
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