बिहार के यूनेस्को विश्व विरासत स्थल- जानिए क्या है ईतिहास

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Photo of बिहार के यूनेस्को विश्व विरासत स्थल- जानिए क्या है ईतिहास by Dr. Yadwinder Singh

बिहार में  दो जगहें यूनेस्को विश्व विरासत धरोहरों में शामिल हैं|
पहली महाबोधि मंदिर बोध गया और दूसरी नालंदा विश्वविद्यालय बिहार में देखने, जानने और खोजने के लिए बहुत कुछ हैं, बौद्ध भिक्षु जहां रहते हैं उस बौद्ध मठ को विहार कहते हैं, इसी विहार से ही बिहार प्रदेश का नाम बिहार पड़ा।  जैसा हमें पता ही हैं बौद्ध धर्म को बनाने वाले भगवान बुद्ध का जन्म भारत- नेपाल सीमा के पास नेपाल के लुम्बिनी में हुआ और बौद्ध धर्म विकसित भारत में हुआ और आज यह एशिया के बहुत सारे देशों में फैला हुआ है।
आज में बात करूंगा बौद्ध धर्म के महान तीर्थ बौद्ध गया की जो बिहार में गया शहर से कुछ ही दूरी पर हैं। बौद्ध गया में महाबोधी मंदिर बना हुआ हैं, जहां पर राजकुमार सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ और वह भगवान बुद्ध बन गए, फिर उन्होंने अपने विचारों को लोगों तक पहुंचाया। बौद्ध धर्म में यह जगह बहुत पवित्र मानी जाती हैं। यह जगह अब यूनैसको विश्व विरासत सथल बन चुकी हैं। नवंबर 2018 में बिहार यात्रा में मुझे बौद्ध गया भी जाने का मौका मिला। यहां बहुत सारे देशों द्वारा बनाए हुए बौद्ध मंदिर भी हैं, बौद्ध धर्म में चार सबसे पवित्र जगहों में तीसरी जगह हैं बौद्ध गया जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ। इस जगह में आपको बहुत शांति मिलेगी।

महाबोधि मंदिर बोध गया बिहार

Photo of Bihar by Dr. Yadwinder Singh

बोध गया - बिहार राज्य में बोध गया बौद्ध धर्म के अनुयायिओं के लिए बहुत पवित्र जगह है| बोध गया का नाम यूनैसको वर्ल्ड हैरीटेज साईट में भी आता है| बोध गया का नाम भी बौद्ध धर्म के चार महत्वपूर्ण जगहों में से एक है| ऐसा माना जाता है आज से 2600 साल पहले राजकुमार सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ और वह बुद्ध बन गए| बोधगया में बोधी वृक्ष के नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ| हर साल पूरे विश्व से लाखों बोधी बोध गया की यात्रा करते हैं|
महाबोधि मंदिर - बोधगया में सबसे महत्वपूर्ण जगह है महाबोधि मंदिर | यह वह जगह है जहाँ पर बोधी वृक्ष के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था| महाबोधि मंदिर का निर्माण छठीं शताब्दी में किया गया था| यह मंदिर यूनैसको वर्ल्ड हैरीटेज साईट में भी शामिल हैं| आप इस पवित्र मंदिर में मोबाइल या कैमरा नहीं लेकर जा सकते|
इसके अलावा भी बोध गया में बहुत सारे बौद्ध मंदिर बने हुए हैं जिनकी आप यात्रा कर सकते हो| बोधगया में महात्मा बुद्ध का 25 मीटर ऊंचा बुत भी बना हुआ है| इसके अलावा मयुजियिम भी देख सकते हो|

महाबोधि मंदिर बोधगया

Photo of महाबोधी मंदिर by Dr. Yadwinder Singh

बोधगया में घुमक्कड़

Photo of महाबोधी मंदिर by Dr. Yadwinder Singh

बोध गया कैसे पहुंचे- यहाँ पहुंचने के लिए आपको बिहार के गया पहुंचना होगा| गया जंक्शन रेलवे मार्ग द्वारा भारत के अलग अलग शहरों से जुड़ा हुआ है| बस मार्ग से भी आप गया, पटना, वाराणसी आदि शहरों से बोध गया आ सकते हो| वैसे बोधगया में अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट भी बना हुआ है कयोंकि हर साल विदेशी टूरिस्ट भी बोध गया की यात्रा करने के लिए आते हैं| रहने के लिए बोधगया में आपको हर बजट के होटल आदि मिल जाऐंगे|

बोधगया

Photo of बोधगया by Dr. Yadwinder Singh

भारत के बिहार राज्य का ईतिहास बहुत प्राचीन और महान है| नालंदा विश्वविद्यालय भारत के प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक है| नालंदा विश्वविद्यालय को दुनिया का सबसे पहला अंतर्राष्ट्रीय रिहायशी विश्वविद्यालय माना जाता है| नालंदा एक अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय था जहाँ भारत के एलावा दूसरे देशों से भी छात्र आते थे| आज नालंदा कुल 14 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है हालांकि अभी भी काफी क्षेत्र की खुदाई बाकी है| मुझे भी नवंबर 2018 ईसवीं में बिहार यात्रा के समय बोधगया, राजगीर के बाद नालंदा घूमने का मौका मिला| मैं राजगीर से नालंदा पहुंचा था | दोपहर का समय था मैं और मेरी वाईफ दोनों नालंदा विश्वविद्यालय घूम रहे थे| हमने नालंदा में गाईड बुक कर लिया जिसने हमें नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में काफी जानकारी दी| ऐसा कहा जाता है कि किसी समय नालंदा विश्वविद्यालय में 10,000 छात्र शिक्षा ग्रहण करते थे और 2000 शिक्षक उनको शिक्षा देते थे | इस विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के लिए छात्रों को पेपर पास करना पड़ता था|
2006 ईसवीं में भारत, चीन, सिंगापुर और जापान आदि देशों ने एक प्रसातव रखा है कि नालंदा विश्वविद्यालय को दुबारा चालू किया जाए एक अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रुप में| इस नये विश्वविद्यालय की जगह नालंदा से कोई 12 किलोमीटर दूर है| नालंदा विश्वविद्यालय की सथापना पांचवी शताब्दी में की गई थी| बौद्ध धर्म में स्तूपों और चैत्यों  की तरह विहार भी बहुत महत्वपूर्ण थे| चैत्य एक तरह के पूजा सथल थे| स्तूप समाधि समारक थे | विहार में बौद्ध संघ निवास करता था | बौद्ध समारकों में आपको यह तीनों चीजें मिलेगी| विहार एक तरह के मठ थे | विहार में ही बौद्ध भिक्षु धर्म की साधना करते थे| भारत में मौर्य, कुशाण और शुंग वंश में राजाओं द्वारा विहार बनाए गए| आधुनिक बिहार राज्य का नाम भी विहार से ही लिया गया है| यह सारी जानकारी हमें नालंदा में गाईड ने बताई| मैंने अपने गाईड के साथ तसवीर भी खिचवाई| इन विहारों के बारे में चीनी यात्रियों ने लिखा है कि कुछ विहार छह या आठ मंजिलों के भी होते थे| यहाँ बौद्ध भिक्षु रहते और पढ़ते थे| नालंदा विश्वविद्यालय में छात्र बौद्ध धर्म के बारे में शिक्षा ग्रहण करते थे| इसके अलावा और भी बहुत सारे विषय थे जिसकी शिक्षा नालंदा विश्वविद्यालय में दी जाती थी| नालंदा विश्वविद्यालय में आठ हाल तथा तीन सौ कमरे थे| इस विश्वविद्यालय में नौ मंजिला पुस्तकालय भी थे| नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने लिखा है कि इसकी बहुमंजिली इमारतें, लंबाई और चौढाई में आकर्षक थी| नालंदा में भिक्षुओं का हर विहार चार मंजिला था| मुस्लिम आक्रमणकारियों ने ज्ञान के महान केंद्र नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया| नालंदा के भवनों और पुस्तकालयों में आग लगवा दी इस तरह यह प्राचीन विश्वविद्यालय नष्ट हो गया| नालंदा विश्वविद्यालय की भवन कला के बारे में चीनी यात्रियों के विवरणों से पता लग जाता है| मैं नालंदा विश्वविद्यालय की पवित्र भूमि को देखकर और इसके ईतिहास के बारे में जानकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा था| आज नालंदा विश्वविद्यालय की यह धरोहर यूनैसको की विश्व विरासत सथल की सूची में शामिल हैं| बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय और बोध गया दो जगहें यूनैसको विश्व विरासत सथल में शामिल हैं|

नालंदा विश्वविद्यालय में घुमक्कड़

Photo of नालंदा विश्वविद्यालय का अवशेष by Dr. Yadwinder Singh

नालंदा विश्वविद्यालय बिहार

Photo of नालंदा विश्वविद्यालय का अवशेष by Dr. Yadwinder Singh

नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों में हमने दो घंटे तक गाईड के साथ घूमा| हमारे गाईड ने हमें नालंदा विश्वविद्यालय के बारे में बहुत उपयोगी जानकारी दी | मैं जब भी किसी हैरीटेज या ईतिहासिक जगह पर जाता हूँ तो वहाँ गाईड जरूर लेता हूँ जिससे हमें उस जगह के बारे में काफी कुछ जानने के लिए मिल जाता है| इस तरह नालंदा विश्वविद्यालय की यात्रा मैंने पूरी की और शाम को नालंदा रेलवे स्टेशन से ही ट्रेन पकड़ कर पटना के लिए रवाना हो गया| आप भी आईए बिहार की इस ईतिहासिक धरोहर को देखने के लिए जो कभी ज्ञान का प्रकाश देती थी देश विदेश के छात्रों को |
कैसे पहुंचे- नालंदा बिहार राज्य में राजगीर से 12 किमी, गया से 90 किमी और पटना से 120 किमी दूर है| आपको राजगीर, पटना या गया से नालंदा विश्वविद्यालय का पलान बनाना होगा| रहने के लिए राजगीर में आपको होटल मिल जाऐगे|

नालंदा विश्वविद्यालय बिहार

Photo of नालंदा by Dr. Yadwinder Singh