एक हिमाचली की नज़र से देखो टूरिज़म के कारण बदलते हिमाचल की तस्वीर!

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Photo of एक हिमाचली की नज़र से देखो टूरिज़म के कारण बदलते हिमाचल की तस्वीर! by Rishabh Dev

कुछ चीजें ऐसी होती हैं जो समय के साथ कभी नहीं बदलती और कुछ बदल जाती है। जो नहीं बदलने वाली कैटेगरी है, वो ट्रैवल है। यात्रा करते हुए आपको कितना भी टाइम क्यों ना हो गया हो, लेकिन हर बार नई जगह पर जाने का उत्साह बना ही रहता है। हम उस सफर की याद के रूप में कई फोटो और वीडियो का कैद करते हैं। यही कैद करना आज घुमक्कड़ी की सच्चाई बन गई है।

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इस तकनीक भरी दुनिया में हर पल कुछ नया आता रहता है। ऐसा ही कुछ ट्रैवलिंग में हो रहा है। हर पल ट्रैवल के नए ट्रेंड सेट होते रहते हैं, जिसकी तरफ ना चाहते हुए हम झुक ही जाते हैं। इससे ट्रैवलिंग तो बनी रहती है लेकिन असल ट्रैवल फीका लगने लगता है। जो इस ट्रैवल की मौलिकता थी वो चली जाती है। टूरिज्म की वजह से जगहें अपने आपको बदलने लगती है, जोकि बहुत गलत है। ट्रैवल सिर्फ उस जगह को ही नहीं बदलता, वहाँ के लोगों को बदलने लगता है। ऐसा ही कुछ हिमाचल के साथ हुआ है। हिमाचल प्रदेश कभी अच्छे और प्यारे लोगों के लिए जाना जाता है, जो स्वार्थी नहीं थे, घमंडी नहीं थे लेकिन जब से यहाँ पर्यटन आया है ये सब देखा जा सकता है। हिमाचल की ज्यादातर जगहों पर बहुत भीड़ आती है। हो सकता है इससे राज्य का विकास हो रहा हो लेकिन लंबे समय में इसका बुरा असर पड़ रहा है। मैं आपसे अपने कुछ व्यू शेयर कर रहा हूँ।

मैं क्यों परेशान हूँ?

मैंने हाल ही में हिमाचल के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के पास के एक छोटे-से गाँव की यात्रा की। मैंने इस जगह के बारे में एक ब्लाॅग पढ़ा था। मैंने उसमें पढ़ा था कि ये बेहद शांति और सुंदर जगह है। यहाँ के लोकल लोग भी बहुत अच्छे हैं। उसके बाद मैं कुछ दिनों के लिए इस जगह पर आकर शांति चाहता था, हिमाचली खाने का स्वाद लेना चाहता था। ये सब करने के लिए बहुत एक्साइटेड था लेकिन जब वहाँ पहुँचा तो कुछ और ही मिला।

सबसे पहले तो उस खूबसूरत जगह पर जाने के लिए हमसे टैक्सी किराया सामान्य से ढाई गुना लिया गया। मुझे ये पता नहीं था लेकिन बाद में लोकल लोगों ने बताया। हम जिस होम स्टे में ठहरे थे, उसके मालिक ने बताया, ‘थोड़े दिनों के बाद तो यहाँ रास्ता बताने के भी पैसे मांगेगे लोग। टूरिस्ट आता है, एक से बढ़कर एक चीज मांगता है। वो पैसे देते हैं और अब लोगों को पैसे की आदत लग गई है, बस ऐसा ही है अब हर जगह।

सिर्फ एक घटना की वजह से पूरे हिमाचल को ऐसा कहा जाए, ऐसा मैं नहीं कह रहा हूँ। लेकिन हाल के ही दिनों के मेरे कई अनुभव हैं जो बताने के लिए काफी हैं पर्यटन हमारी मौलिकता को बिगाड़ रहा है। मेरे पास ऐसी ही एक घटना है, जो मेरे घर के करीब के एक रेस्तरां की है। उसमें मुझे खराब ‘धाम’ परोस दिया गया। धाम हिमाचल की पारंपरिक दावत है। मैं लोकल था मुझे उसकी जानकारी थी इसलिए उनको उसे बदलना पड़ा। टूरिस्ट पहली बार इसका स्वाद लेते हैं, इसलिए शायद उनको वो खराब धाम ही दी जाती।

मैं आधुनिकता के खिलाफ बिल्कुल नहीं हूँ और न ही हिमाचल में लोगों की स्थिति बेहतर हो, इससे कोई गुरेज है। लेकिन जिस तरह से हम अपने अंदर से मानवीयता, संवेदना, मासूमियत और निस्वार्थ को खो रहे हैं, वो मुझे बहुत परेशान करता है। हिमाचल की सड़कों की स्थिति अच्छी नहीं है। इसके बावजूद टूरिस्ट शहरों और फेमस जगहों को छोड़कर छोटी जगहों पर पसंद करते हैं। क्योंकि हम अपने आपको खो रहे हैं, हम अपने हिमाचली वजूद को खो रहे हैं। हिमाचल में होने के बावजूद हम हिमाचल के नहीं हो पा रहे हैं।

आप इस बदलते हिमाचल की फिक्र क्यों करें?

अगर आपको हिमाचल से प्यार है और वहाँ के छोटे गाँवों और कस्बों में शांति चाहते हैं तो आपको इस बारे में फिक्र करनी चाहिए। और सिर्फ इसलिए नहीं क्योंकि बदलते माहौल से आप पर टूरिस्टों की तरह यहाँ ठगे जाने का खतरा बढ़ जाता है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर इस तरह की सोच अगर हिमाचल के बड़े और छोटे कस्बों में फैल गई तो आप उस हिमाचल की पहाड़ी संसकृति के, शांति के, ताज़गी के और जायके का वो अनुभव नहीं ले पाएँगे जो आज ले पा रहे हैं।

ये किसी जगह को खास बनाने पर जोर देना नहीं है। ये तो सिर्फ वो है कि जो जैसा है वैसा ही लोगों को देखने को मिले। लोग यहाँ आएँ या ना आएँ, उस जगह को, लोगों को वैसा ही रहना चाहिए। टूरिस्टों को लोकल लोगों के साथ घुलने का मौका दिया जाए। तभी वो उस जगह को भी समझ पाएँगे और तब उस जगह की असली खूबसूरती निखरकर आएगी।

क्या आपको भी लगता है टूरिज़म के चलते लोगों का व्यवहार बदल रहा है? यहाँ क्लिक करें और अपना अनुभव बाँटें।

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