कल्पना से परे है हिमाचल का ये छोटा सा गाँव कल्पा!

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Photo of कल्पना से परे है हिमाचल का ये छोटा सा गाँव कल्पा! by Disha Kapkoti

कहीं सुना था कि भ्रमड़ करो तो भ्रम मिटेंगे। घूमने फिरने के विचित्र शौक के बारे में कुछ और सच हो न हो, यह बात एकदम सच है। पहाड़ो का कठिन जीवन वैसे तो बुनियादी गुज़र बसर के जुगाड़ में ही बीत जाता है पर खोजा जाए तो इस जीवन में आपको कहानियाँ भी मिलेंगी, संस्कृति भी मिलेगी और वो रोमांस भी मिलेगा जिसकी तलाश में सालों से लेखक और कवी पहाड़ो की तरफ आकर्षित हुए हैं। बस थोड़ी फुर्सत चाहिए।

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में 2960 मीटर की ऊँचाई में बसा है छोटा सा गाँव, कल्पा। शिमला से रेकोंगपियो तक 10 घंटे के कमरतोड़ सफर क बाद हमने पियो से कल्पा जाने वाली बस ली। हिमाचल की बसों में सफर करने की सबसे ख़ास बात यह है की इस अनुभव में खोजो तो हिमाचल के जीवन का सार मिल जाएगा। बस में अपनी फसल बेचने वाले किसान भी होते हैं, स्कूल जाने वाले बच्चे भी, स्थानीय परिवार भी और आजकल काफी टूरिस्ट भी इन्ही बसों से चलते हैं। बहरहाल, कल्पा से पियो तक के एक घंटे के सफर में बस की खिड़की के बाहर सेब से लदे पेड़ और खिड़की के अंदर सेब सी चमक वाले पहाड़ी चहरे देख के हम थकान भूल गए।

लम्बे समय के लिए आएँ तो ये छोटा सा गाँव कब आपका घर बन जायेगा आपको पता भी नहीं चलेगा, ऐसे दिलफेंक हैं यहाँ के लोग।आस पास सेब के बगीचे, अगस्त- सितम्बर के महीने में सेब से लदे पेड़ और सामने बर्फ से इस कदर ढके हुए पहाड़ की दिन की धुप में ये बर्फीली चादर देखने के लिए आप सनग्लासेस निकाल ही लेंगे। हमने अपनी पहली छुट्टी में कल्पा में तीन दिन गुज़ारे और ये इस गाँव का मोह ही है के हम आने वाले सालो में बार बार लौट कर यहाँ आए।

अगर आप छुट्टियों के लिए कल्पा आएँ तो इस छोटे से गाँव में कुछ स्थान ऐसे हैं जो आप भूल कर भी मिस नहीं कर सकते, एक चेकलिस्ट बना लीजिए।

1.नारायण नागिनी मंदिर- कल्पा पहुँचते ही सामने दिखता है यहाँ का चर्चित नारायण-नागिनी मंदिर। लकड़ी की ऐसी कारीगरी वैसे तो किन्नौर के बहुत से गाँवों में मिलेगी पर किन्नेर-कैलाश पर्वत श्रंखला की पृष्ठभूमि इस नज़ारे को अतुल्य बना देती है, यहाँ ज़रूर जाएँ।

2. मॉनेस्ट्री- मंदिर से ही सट कर एक छोटी सी बौद्ध मोनेस्ट्री है जो दर्शाती है किन्नौर के गाँवों में बौद्ध और हिन्दू सभ्यता का साथ में फलता फूलता अस्तित्व.

3. गाँव के चौक से ऊपर की तरफ ले जाती है सीढ़ियों वाली एक पगडण्डी। कुछ दूरी पर पगडण्डी से दो रास्ते कट जाते हैं, दायीं तरफ कुछ दूर चले तो आपको गौतम बुध की एक प्रतिमा दिखेगी। हाल ही में इस व्यू पॉइंट को फिर से बनाया गया है। शाम क समय यहाँ से पूरे गाँव का नज़ारा देखने लायक होता है.

4.  कल्पा- रोघी ट्रेक- पहाड़ो में घूमने आएँ हैं तो एक छोटा-सा ट्रेक करना तो बनता है। सुबह जल्दी उठ कर कल्पा से रोघी गाँव तक अगर आप चल कर जाएँगे तो आप दिन बन जायेगा। 5 कि.मी. का ये रास्ता आपको प्रकृति की गोद में ला कर छोड़ देता है। ऐसे ही रास्तों के ऊपर प्रतिभावान लोग कविताएँ लिख जाते हैं। आप चुप चाप भी इस नैसर्गिक सुंदरता है आनंद ले सकते हैं।

5. सूसाइड प्वाइंट- रोघी जाने के रास्ते में एक सुसाइड पॉइंट भी आता है। नाम से शायद ये जगह आपको ना लुभाएँ पर इस सुसाइड पॉइंट से दिखने वाला नज़ारा आप भूल नहीं सकते। मीलों नीचे सतलुज नदी एक छोटे से नाले जैसी दिखती है। खाई के दूसरी तरफ चलती हुई गाड़ियाँ खिलौने जैसी लगती हैं। इस पॉइंट से कल्पा की असली ऊँचाई का पता चलता है।

कल्पा में होटल और होमस्टेस की कोई कमी नहीं है। रहने के लिए मेरी पसंदीदा जगह है चीनी बंगलो।  बैकपैकर्स और टाइट बजट पर चलने वाले यात्रियों की लिए ये एक सही विकल्प है। चीनी बंगलो चलाने वाले तोताराम जी कल्पा घूमने आने वालो के लिए एक अच्छे गाइड भी हैं। इस होमस्टे में खाने की व्यवस्था नहीं है। हांलाकि बाजार यहाँ से बेहद पास होने क कारण आप किसी भी रेस्टोरेंट में खाना खा सकते हैं।

बार बार इस छोटे से गाँव में आ कर यह तो पता चल गया है की प्रकृति ने इस जगह को स्वर्ग बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी है। आईये, आकर देखिये! आशा है आप अपनी यात्रा के दौरान इस गाँव की स्वछता का ध्यान रखेंग।

कल्पा के बारे में अगर आप और जानना चाहते हैं तो अपने सवाल कमैंट्स में लिख दीजिए। 

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