धर्म नगरी प्रयागराज

Tripoto
6th Jul 2019
Photo of धर्म नगरी प्रयागराज by dharmendra kumar
Day 1

दुर्ग से अलाहाबाद छेकी स्टेशन .... 7.40 pm
सुबह 10 बजे छेकी स्टेशन वहाँ से टैक्सी लेकर त्रिवेणी दर्शन हॉटल
रूम रेंट 3 व्यक्तियों के लिए 1350 मात्र विथ ac रूम सही था। होटल रूम की बालकनी से यमुना जी का दर्शन मनमोहक था । चूंकि होटल यमुना जी के किनारे पर बसा हैं।

Photo of धर्म नगरी प्रयागराज by dharmendra kumar


खाना

यहां का खाना पारम्परिक भारतीय खाना हैं।
सस्ता और अच्छा और दर्शनीय स्थल होने के नाते यहां भंडारा भी चलता रहता हैं। पर यहां आने पानी पूरी खाना न भूले भई मुझे तो स्वादिष्ट लगा।

दर्शनीय स्थल यात्रा खर्चा

वैसे यहां अभी भी घोड़ा गाड़ी चलती हैं , चाहे घोड़ा गाड़ी का आनंद लो प्रतिव्यक्ति 100 मात्र, या फिर टेक्सी पकड़ लो 100 रुपये ले के चलो
हम 3 लोग थे व्यतिगत गाड़ी किराया में लिए थे 600 रुपये पूरे जगह घूमने के, हां एक बात और धार्मिक स्थल होने के नाते यहां लूट बहुत हैं । सावधान रहें।

दर्शनीय स्थल

सबसे पहले हम आनंद भवन गये भारत के पहले महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी का जन्मस्थान यहां भवन आज भी सुरक्षित रखा गया हैं। उस समय का शानो शौक़त दर्शता हैं। 1930 में मोतिलाल नहेरु जी ने बनवाया था  
अब यह एक संग्रहालय के रूप में स्थापित हैं इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया हैं।
उसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय गये मुझे बड़े बड़े विश्वविद्यालय देखने और उसे समझने का बड़ा मन हैं क्योंकि मैं भी इन बड़े विश्वविद्यालय से शिक्षा ग्रहण करना चाहता था पर परस्थितियों के कारण न हो पाया ,कोई बात नहीं पर आज भी मुझे विश्वविद्यालय के कैंपस पसंद हैं।
फिर मिंटो पार्क और आज़ाद पार्क गए। अब एक पुराना चर्च गया था नाम अभी याद नहीं पर बहुत पुराना चर्च हैं मैंने बहुत आग्रह पर टेक्सी वाले भैया वहां ले गया बेहतरीन इमारत और उनपे की गई नकासी मुझें पुराने इमारतों से बहुत लगाव हैं। वहां सिर्फ एक व्यक्ति बस पेड़ो में पानी दे रहा था । उसी ने बताया कि यह चर्च सिर्फ संडे खुलता हैं प्राथना के लिए लेकिन उसे देख लगता था सालों से खुला न हों। खैर अब आगे चलते हैं , शाम हो चुकी थी गंगा आरती में जाना था त्रिवेणी संगम सो भव्य गंगा आरती के दर्शन करने के उपरांत हम होटल पहुँच गए भोजन का लुफ्त उठाने के बाद घण्टो यमुना किनारें बैठा रहा।

Photo of धर्म नगरी प्रयागराज by dharmendra kumar