कन्याकुमारी मंदिर, विवेकानन्द रॉक मेमोरियल ,सूर्यास्त

Tripoto
24th Aug 2020
Photo of कन्याकुमारी मंदिर, विवेकानन्द रॉक मेमोरियल ,सूर्यास्त by नवल किशौर चौला
Day 1

Dakshin Bharat Yatra : kanyakumari temple

दक्षिण भारत का सुहाना और धार्मिक सफर

दक्षिण भारत : कन्याकुमारी मंदिर 
       [[  28 - 03 - 2016  ]]

तमिलनाडु के सुदूर दक्षिण तट पर बसे कन्याकुमारी शहर का पर्यटक स्थल के रूप में अपना महत्व है। दूर-दूर फैले समुद्र की विशाल लहरों के बीच सूर्योदय और सूर्यास्त का बहुत ही सुंदर नजारा यहां देखने को मिलता है। यहां कई स्थान ऐसे हैं जहां आप घूम सकते हैं... दिल्ली से कन्याकुमारी कि दुरी लगभग 2920 किलोमीटर है

 कन्याकुमारी जाने के लिए दिल्ली से दो ही ट्रेन है  एक तिरुक्कुरल एक्सप्रेस दुसरी  हिमसागर एक्सप्रेस है  हमारा सफर तिरुक्कुरल एक्सप्रेस से शुरू हुआ जो सुबह 7.10 पर निजामुद्दीन से चल कर 48धंटे 40 मिनट का सफर कर के कन्याकुमारी पहुंचती है सुबह जल्दी जाना था इसलिए रात को धर में किसी को नींद नहीं आई सफर में मेरे साथ मेरा पुरा परिवार गया था  हम सब समय पर स्टेशन पहुंचे गये  पहले मुझे लगता था कि दो दिन का रेल का सफर काफी  थकान भर और काफी बोरिंग होगा परन्तु ऐसा नहीं था सफर काफी मजेदार था दो दिन कैसे कटे पाता ही नहीं चला मैंने पहली बार इतना लंबा रेल सफर किया था।

Photo of Kanyakumari by नवल किशौर चौला
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Photo of Kanyakumari by नवल किशौर चौला
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                     [[  30 -03 -2016  ]]

सुबह 9.05 पर हम कन्याकुमारी पहुंचे स्टेशन से बाहर आते ही ओटो वालों ने घेर लिया कन्याकुमारी में सस्ते महंगे दोनों तरह के होटल है   मेरे प्रोग्राम के अनुसार हमें सिर्फ एक रात ही कन्याकुमारी रूकना था हमने एक दिन के लिए होटल बुक कर लिया कुछ देर आराम कर के हम कन्याकुमारी मंदिर देखने चला दिये कन्याकुमारी मन्दिर पहुँचते ही जैसे ही अन्दर प्रवेश किया तो वहाँ मौजूद पहरेदार बोले पुरुष कमर से ऊपर के कपड़े उतार कर जायेंगे मंदिर में अधिक भीड़ नहीं थी जल्दी ही दर्शन कर के हम बाहर आ गाये 

Photo of कन्याकुमारी मंदिर, विवेकानन्द रॉक मेमोरियल ,सूर्यास्त by नवल किशौर चौला
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Photo of कन्याकुमारी मंदिर, विवेकानन्द रॉक मेमोरियल ,सूर्यास्त by नवल किशौर चौला

कन्याकुमारी मंदिर के आ‌गे से होते हुए हम उस जगह जा पहुँचे जहाँ लिखा हुआ था त्रिवेणी संगम, तीन सागर इस जगह मिलते है पहला अपना देश के नाम वाला हिन्द महासागर, दूसरा बंगाल की खाड़ी वाला समुन्द्र, तीसरा अरब सागर तीन सागर मिलने से इस स्थान का महत्व बढ़ गया है। कुछ देरआराम कर फिर हम बाजार से होते हुऐ  विवेकानन्द रॉक मेमोरियल चल दिये रास्ते में ही अन्नापूर्णा भोजनालय के नाम से राजस्थानी बन्दे का होटल था वहां भोजन करा सामने ही विवेकानन्द रॉक जाने वाली बड़ी नाव चलने वाला स्थान था नाव से आने जाने का किराया एक बार में ही ले लिया जाता था। उस समय प्रति सवारी 20 रुपये का टिकट दर से किराया लिया गया था। विवेकानन्द रॉक पहुँचकर विविकानन्द भवन देखा, पार्वती मन्दिर देखा पास में लगी तमिल कवि थिरूवल्लूवर की विशाल मूर्ति दुर से ही देखी क्यों कि पानी कम होने कि वजह से नाव वहां नहीं जा रही थी यहाँ आकर सबसे ज्यादा रोमांच यहाँ चलने वाली तेज हवाओं ने हमारा खूब स्वागत किया। परन्तु गर्मी होने से दिक्कत हो रही थी। विवेकानन्द रॉक देखकर पुन: अपने कमरे पर आये। कुछ देर आराम किया उसके बाद हम चल दिऐ जहां सूर्यास्त होता है बाहर आते तो पता चला वो जगह यहां से काफी दूर है जहां सूर्यास्त होता है एक जीप बुक कर ली  विवेकानन्द रॉक मेमोरिय समुद्र कि लहरें जीप से हम वहां पहुंच वहां अधिक भीड़ नहीं थी अभी सूर्यास्त होने भी काफी समय था समुंद्र कि लहरें जब हमारे पैरों पर लग रही थी तो एक अलग नहीं आनंद प्राप्त हो रहा था  मौसम बिल्कुल साफ था समय कब बीत गया पता ही नहीं चला अभी सूर्य डूबने में कुछ मिनट बाकि थे सोच जब तक चाय पी ली जाये जैसे-जैसे सूर्यास्त हो रहा था उतना ही उसका आकर्षण बढ़ता जा रहा था धीरे-धीरे सूर्य समुन्द्र में डुबने लगा। आखिरकार वह समय भी आया जब सूर्य दिखायी देना बन्द हो गया। सूर्य दिखना बन्द होते ही लोगों ने वहां से चलना शुरु कर दिया। हम भी देर किये बिना वहां से चल दिये। ढ़ेर सारी यादें लिए जो हम सारी उम्र नहीं भुला सकते। खाना खाकर अपने कमरे पर आकर सो गये। सुबह सूर्योदय से पहले ही उठना था इसलिये रात को जल्दी ही सो गए

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