नए साल के आने से कुछ दिन पहले हमने उत्तराखंड जाने का प्लान किया पर मन में यही विचार आ रहे थे कि इस समय हर जगह बहुत भीड़ भाड़ होगी जो की सुकून के सारे पल छीन लेगी। हर जगह शोर शराबा , लोगो की भीड़ , हर जगह लगी लाइनों के बारे में सोच कर ही प्लान कैंसिल करने का मन किया क्योंकि नए साल पर सभी टूरिस्ट प्लेसेज का यही हाल होता है।
इसी उधेड़बुन में हम निकल तो पड़े पर जाना कहाँ है ये नहीं पता था। काठगोदाम के आगे हमने भीमताल वाला रास्ता चुना और सोचा कि अगर कहीं शांत जगह और बढ़िया सा होटल मिलेगा तो वहीं रुक जाएँगे नहीं तो मुक्तेश्वर ही निकल जाएँगे।
आमतौर पर मुक्तेश्वर में भीड़ बाकी जगहों से कम होती है और हो सकता है कि अगर किस्मत ने साथ दिया तो स्नोफॉल भी देखने को मिल सकता है।
भीमताल से भवाली होते हुए हम मुक्तेश्वर की तरफ बढ़े। रास्ते में गागर में हिमालय के खूबसूरत दर्शन हुए । बादल नहीं होने की वजह से हिमालय बिल्कुल साफ दिखाई दे रहा था।
थोड़ा आगे बढ़ने पर सड़क के दोनों तरफ बर्फ गिरी हुई थी जिसे देखकर हम सब बहुत excited हो गए। लोगों से पूछा तो पता चला कि 2 दिन पहले ही इस एरिया में बर्फबारी हुई है। गागर से करीब 10 कि.मी. चलने पर एक जगह आयी जिसका नाम था रामगढ़। हमने लोगों से रामगढ़ के बारे में जानने के लिए कुछ देर किसी होटल पर चाय पीने का सोचा।
लोगों से पूछने पर पता चला कि रामगढ़ दो हिस्सों में बटा हुआ है, तल्ला रामगढ़ और मल्ला रामगढ़। दोनों जगह ही बेहद खूबसूरत और शांतिप्रिय हैं। तल्ला रामगढ़ सड़क से काफी नीचे जाकर है और मल्ला रामगढ़ सड़क के थोड़ा ही नीचे बसा हुआ है।
यहाँ पर कई होटल हैं। यहाँ सरकारी डाक बंगला भी है। यहाँ सबसे प्रसिद्ध होटल रामगढ़ हेरिटेज होटल है जो रामगढ़ के राजा का निवास हुआ करता था पर अब होटल में बदल गया है।
हमने मल्ला रामगढ़ में रुकने का निर्णय किया। यहाँ कई होटल्स और होम स्टे भी हैं। रामगढ़ हेरिटेज होटल थोड़ा महँगा होता है इसलिए हमने अपने बजट के अनुसार एक होम स्टे (संखनी होमस्टे) में रूम लिया। ये होम स्टे पहाड़ के बिल्कुल आखिर में बना हुआ है। इसमें खाने पीने का भी अच्छा इंतजाम है। इस में कई कमरे हैं । कुछ कमरे एक टावर नुमा जगह पर भी बने हैं जहाँ से पहाड़ों का नज़ारा देखते ही बनता है।
यहाँ आपको वेज, नॉनवेज , पहाड़ी खाना और हर तरह का खाना मिलेगा। रात को यहाँ का तापमान 2 डिग्री हो गया था। यहाँ आसपास एक छोटी सी बस्ती है। शाम को अन्धेरा होने के बाद यहाँ इतनी शांति रहती है कि आप दूर से आने वाली झिंगुरों की आवाज़ भी सुन सकते हैं। रामगढ़ आकर सच में ऐसा लगा जैसे पूरे पहाड़ों में सिर्फ अकेले आप ही हैं।
Temperature को देखते हुए हम बर्फबारी की उम्मीद कर रहे थे पर बर्फबारी नहीं हुई।
अगली सुबह हम तैयार होकर नाश्ता कर के आगे के लिए निकल पड़े । होटल वालों ने बताया कि करीब 10 कि.मी. दूर सूफी में कुछ दिन पहले बहुत बर्फबारी हुई है तो हम बर्फ देखने सूफी की ओर निकल पड़े।
सूफी में करीब 2 या 3 दिन पहले बर्फबारी हुई थी इसलिए यहाँ पहाड़ अभी भी बर्फ से लदे हुए थे। यहाँ आकर ऐसा लग जैसे बर्फ के एक बड़े मैदान में आ गए हों चारों ओर बर्फ ही बर्फ थी।
यहाँ से मुक्तेश्वर की दूरी 12 किलोमीटर है इसलिए हम मुक्तेश्वर घूमते हुए वापस काठगोदाम आ गए।
और इस तरह हम बजट के अंदर रहते हुए एक बेहद खूबसूरत और शांतिप्रिय जगह पर अपना वीकेंड मना कर आ गए और बर्फबारी के भी खूब आनंद उठाया।