कामाख्या: देवी शक्ति के स्त्रीत्व की आराधना का केंद्र

Tripoto

पीछे से मंदिर का दृश्य

Photo of Kamakhya Temple, Kamakhya, Guwahati, Assam, India by Kabira Speaking

मंदिर की घंटियाँ

Photo of Kamakhya Temple, Kamakhya, Guwahati, Assam, India by Kabira Speaking

मंदिर की चोटियां

Photo of Kamakhya Temple, Kamakhya, Guwahati, Assam, India by Kabira Speaking

मंदिर को जाती सीढ़ियां

Photo of Kamakhya Temple, Kamakhya, Guwahati, Assam, India by Kabira Speaking

भारत में स्थित ५१ शक्ति पीठों में से एक कामाख्या मंदिर आज भी हिन्दू भक्तों के बीच काफी प्रसिद्ध है। असम के गुवाहाटी शहर में नीलगिरि पर्वतों की चोटी में स्थित ये मंदिर देवी काली का एक मंदिर है। इसकी ऐतिहासिकता के बारे में कई किस्से कहानियां सुनने को मिलते हैं। देवी काली के 10 रूपों की यहाँ पूजा होती है और माना जाता है की सती की योनि भी यहाँ गिरी थी और इसीलिए यहाँ एक योनि के आकार की एक मूर्ती है जिसकी पूजा सालों से की जाती है।

लोगों के बीच माना जाट है की इस जगह में भगवान् शिव और देवी सती मिला करते थे। जब देवी सती की मृत्यु हुई तो उनके सरीर के अलग अलग अंग १०८ अलग अलग जगह गिरे। कामाख्या मंदिर उस जगह में है जगह देवी का जारभ और योनि गिरी। यह भी माना जाता है की यहाँ के पुरातन काल के एक राजा का तंत्र विद्या में विश्वास था इसीलिए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण तांत्रिक देवी के लिए किया और बाद में ये कामाख्या देवी के नाम से जाना गया।

अगर आप हिन्दू धर्म में विश्वास रखते हैं और सभी शक्ति पीठ जाने की इच्छा रखते हैं तो गुवाहाटी जब भी आएं, इस मंदिर में दर्शन ज़रूर करें। अगर आप धार्मिक प्रवित्ति के नहीं भी है तब भी आपको ये जगह बहुत सुन्दर लगेगा और शांति का अनुभव होगा। इस जगह में आपको इतिहास के बारे में भी काफी कुछ जानने को मिलेगा।

कामाख्या शब्द हिंदी के शब्द काम से आया है। इस विषय में कई कहानियां हैं। कुछ लोग मानते हैं की भगवान् शिव और देवी सती का कई बार यहाँ पर प्रेम पासंग हुआ था इसीलिए इस जगह का नाम काम शब्द पर पड़ा। वहीँ कुछ और लोग मानते हैं की इस जगह में कामदेवता ने अपने श्राप से मुक्ति पायी थी इसीलिए इस जगह का नाम उनके नाम पर पड़ा।

मुख्य मंदिर एक भव्य मंदिर प्रांगण के अंदर है। मंदिर प्रांगण के अंदर 10 और मंदिर हैं जहाँ काली के अलग अलग रूपों की पूजा होती है। मंदिर की वास्तुकला देखने लायक है। किसी भी मंदिर के जैसे यहाँ भी एक भव्य गुम्बदनुमा मंदिर है और एक बड़ा हॉल है।

इस जगह के बारे में एक रोचक बात यह है की आषाढ़ के महीने में ये मंदिर ३ दिन के लिए बंद रहता है। माना जाता है की ये देवी के मासिक धर्म का समय होता है। इस समय पर लोग कहते हैं की ब्रह्मपुत्र नदी का रंग भी लाल हो जाता है। कई लोग इन बातों की सच्चाई पर प्रश्न करते हैं पर श्रद्धालु हर साल ही लाखों की संख्या में यहाँ पहुंचते हैं। यहाँ पर देवी की एक झलक के लिए लोगों की भीड़ हमेशा ही लगी रहती है।

यहां पहुचने के लिए गुवाहाटी एयरपोर्ट या रेलवे स्टेशन से आपको एक टैक्सी लेनी होगी। गाड़ी से आपकी यात्रा बहुत ही आसान हो जाएगी। यहाँ पर बहुत सारे पण्डे हैं जो आपसे पैसे लेना चाहेंगे। उनसे सावधान रहें। आपको याद रखना होगा की आपकी आस्था सीधे भगवान से जुड़ी है और आपको किसी भी बिचौलिए की ज़रुरत नहीं। अगर आप हिन्दू धर्म में रूचि रखते हैं या फिर आपको घूमने का शौक है तो इस यात्रा पर ज़रूर जाएँ।

मंदिर में देखने के लिए बहुत कुछ है। जाएँ और अनुभव करें।