पाराशर धाम-:एक अनछुआ मोती

Tripoto
23rd Aug 2020
Photo of पाराशर धाम-:एक अनछुआ मोती by Om Prakash Meghwal
Day 1

सच कहूं तो मार्च 2020 से ही कहीं भ्रमण करने जा नहीं सका क्यूंकि कोरोना महामारी के चलते घर वाले कहीं जाने की आज्ञा ही नहीं देते थे।अनलॉक 3 में अलवर राजस्थान में स्थित अरावली पर्वतमाला की सुरम्य वादियों में एक अनछुआ मोती मेरी नजरो में है पाराशर धाम क्यूंकि अभी ये इतना प्रसिद्ध नहीं वरन् जगह शानदार है।

23अगस्त को मै ,दीपक सोनी,पदम चंद, शेरसिंह,जेपी सहित स्वय की गाड़ी से सबसे पहले अलवर पहुंचे फिर जयपुर_सिकंदरा रोड पर होते हुए राजगढ़ को पार करते हुए बड़ी विकट घाटी को पार करते हुए तहला पहुंचे,इस घाटी को पार करते समय सभी विशेष सावधानी रखें नहीं तो कोई अनहोनी हो सकती है।घुमाव पर अपना वाहन नहीं रोके और ओवरटेक नहीं करे।परन्तु एक कहावत है कि "डर के आगे जीत है"चारो और बिछी हुई हरियाली ने मन को मोह लिया। टेहला आप यहां पर खाने पीने का सामान लेे सकते है हमने भी नाश्ते में चाय और अलवर की प्रसिद्ध कचोरी ली,कुछ फल भी लिए ताकि कोई परेशानी नहीं हो सके।

पाराशर धाम पर खाने पीने की कोई व्यवस्था ना होने के कारण आप यही से ही जरूरत का सामान लेे सकते है।तेहला से मुश्किल से दस या बारह किमी है पाराशर धाम सड़क के दाहिने और एक बड़े से द्वारा ने हमारा स्वागत किया जिस पर लिखा हुआ था पराशर धाम में आपका स्वागत है।इस द्वार से लगभग दो किमी है पाराशर धाम रास्ता ज्यादा सही नहीं क्यूंकि रोड़े पड़े हुए है खड़े है बड़ी मुश्किल से वहा तक पहुंचे ।एक बात अगर आपके पास बाइक है तो आप आसानी से पहुंच सकते है।यह सरिस्का अभ्यारण्य के अंदर ही आता है अतः घना जंगल है किसी भी जंगली जानवर से मुठभेड़ हो सकती थी। वहा पर पहुंचे तो ऐसा लगा जैसे स्वर्ग लोक में आ गए रास्ते के दोनों और धोंक के वृक्ष मानो हमारा स्वागत करने को आतुर है ।और कह रहे हो आओ आपका स्वागत है।आप अपने वाहन को कहीं भी खड़ा कर सकते है पार्किंग का कोई झंझट नहीं है।हल्के कदमों से हम अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहे थे।सामने ही प्रसाद बेचने वालो की एक दो स्टाल लगी है,दुकान के नाम पर यही है।सामने ही भगवान शिव का एक मंदिर है ।श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं हमने मथा टेका और भगवान से इस महा मारी को समाप्त करने की दुआ मांगी। यही से रास्ता जाता है पाराशर मुनि की कुटिया के लिए करीब 250_300 सीढ़ियों की चढ़ते हुए बड़ी मुश्किल से वहा तक पहुंचते पहुंचते सांस उफन आती कुछ देर तक आराम करने के बाद हमे वहा की खूबसरती को देखने और महसूस करने का आनंद उठाया।मेरे मित्रो ने कुछ फोटो ग्राफ लिए ताकि इन दिनों को याद रख सके।अब जिस के लोग यहां आते है वो है यहां का झरना को घने जंगल के बीच है वैसे मंदिर के पास घाट बने हुए आप यहां भी स्नान कर सकते है परन्तु जो एडवेंचर के शौकीन है वो यहां तक (झरने) भी चले जाते है।

मैंने कहा यार पदम चलना तो पड़ेगा नहीं तो यहां आना बेकार ही समझो क्योंकि ज़िन्दगी के मज़े तो खट्टे में ही है।। हंसते हुए कहा चलो चलते है फिसलन भारी चट्टानों पर से बड़ी सावधानी पूर्वक सधे पैरो से चढ़ रहे थे अभी थोड़े ही चल पाए थे कि हमारे दीपक जी का सांस भर आया और वो पीछे रह गए क्यूंकि वह आराम के लिए रुक गए.......एक सलाह जिसको दमा हो वो यहां पर नहीं आए नहीं तो परेशानी होने वाली है।लगभग पंद्रह मिनट बाद हम झरने तक पहुंच गए थे।करीब दो सौ मीटर ऊपर से झरना नीचे आ रहा था झरना का वेग भी खूब था । यहां पर विशेष सावधानी की जरुरत है पानी के कारण सारे पत्थर काई से अटे हुए है थोड़ी सी लापरवाही बड़ी वारदात की अंजाम सकती है अतः यहां पर सतर्क रहे।सच कहूं तो दर के मारे मेरे मित्र पदम, शेर सिंह,जेपी ने स्नान करने से मना कर दिया ।और कहने लगे हम तो दूर से देख लेंगे।इतने में दीपक जी भी आ गए और अब तय किया की मै और दीपक जी ही स्नान करेंगे वैसे वहा पर काफी लोग थे।जूते खोलकर धीरे धीरे चलकर झरने के नीचे आ गए।लोग खूब एंजॉय कर रहे थे।हम भी फोटो लेे। रहे थे परन्तु फोन भीगने का डर लगातार बना हुआ था।ऊपर से गिरने वाली बूंदे पत्थरो पर नाच रही थी।मेरे मन में विचार आया जैसे मै बूंदों से कह रहा हूं कि तुम इतनी ऊपर से गिर रही हो,क्या तुम्हे दर्द नहीं होता और शायद ये जवाब दे रही है कि किस बात का डर हम तो धरती मा की गोद में ही गिर रहे है।

एक घंटे तक आंनद लेने के बाद हम वहां से निकल आए ।और आते गी मित्रो से कहा तुम्हारा आना तो बेकार रहा.........केवल दर्शक बने रहे।

अब वापिस आने के हम तैयार थे।

दिल्ली और जयपुर के लोगो के लिए जो अधिक खर्च नहीं कर सकते उनके लिए ये स्थान जन्नत से कम नहीं तो आइए आप भी इस अनछुए पाराशर धाम का लुफ्त लेने पधारे।

चार्ट रूट अलवर_राजगढ़_टहला_पाराशर धाम

लगभग अलवर से 75किमी होगा दिल्ली से 235_250किमी तथा जयपुर से 120_130 किमी होगा ।

अगर चाहे तो इसे एक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित कर इसे लोगो के सामने ला सकती है।

।।जय हिन्द जय भारत।।