गोवा जा के आया मैं अभी, वहाँ सब मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे 

Tripoto

कुछ दिन पहले मैसूर गया था कोई काम से। वहाँ से बैंगलोर गया, ,जहाँ एक दोस्त से मिला। फिर वहाँ से निकल गया गोवा।

काफी दिन से मन कर रहा था समुद्र में नहाने का, बीच पर बैठे धूप सेकने का, और नारियल पानी पीने का।

साउथ इंडिया आया हुआ था ही। सोचा गोवा घूम लेते हैं। तो मैनें बैंगलोर से गोवा तक का हवाई जहाज़ बुक किया।

हवाई जहाज़ इसलिए बुक किया क्यूंकि बैंगलोर से गोवा तक कोई रेल नहीं चल रही थी। रोड से जाता तो 11 घंटे लग जाते। अब मैं उम्र और तजुर्बे के उस पड़ाव पर हूँ जब मैं या तो घूमने नहीं जाऊँगा, लेकिन अगर जाऊँगा तो पूरे आराम के साथ। अगर सफर 6-7 घंटे का है तो मैं हवाई जहाज़ ही पकडूँगा। जेब में हवाई जहाज़ की टिकट के लिए ढाई हज़ार रुपये भी थे।

मैनें बुकिंग करवाई, जहाज़ में बैठा और निकल गया। डाबोलिम एयरपोर्ट से निकल कर सीधा अंजुना बीच पहुँचा जहाँ हॉस्टल बुक करवाया हुआ था।

हॉस्टल पहुँच कर देखा कि ढंग की जगह थी नहीं वो। चादरें सीली, दीवारें मटमैली, और हवा में गरीबी की बदबू आ रही थी। 250 रुपये के किराए में कोई ताज होटल का कमरा तो मिलता नहीं। लेकिन हॉस्टल की इस दुर्दशा के पीछे एक कारण और था। हॉस्टल के केयरटेकर ने बताया कि गोवा पिछले कई महीनों से बंद था। कोरोना के कारण।

अभी हाल ही में गोवा को खोला गया। एयरपोर्ट पर भी मेरी कोई जाँच नहीं हुई। ना ही कोविड नेगेटिव का सर्टिफिकेट देखा गया। हाल ही में हॉस्टल खोला था और इसकी ठीक से साफ़-सफाई भी नहीं हुई थी।

तो मैनें मेरा सामान उठाया और बुकिंग.कॉम से 500 रुपये वाला होटल बुक करवा लिया। वो हॉस्टल से ज़्यादा साफ़ था। वहाँ मुझे एक पूरा रूम मिला था। बढ़िया। चलो सोयेंगे तो आराम से।

सुबह उठा, बाज़ार की तरफ निकल गया। ऐसे ही घूमने। वहाँ देखा कई रेस्टोरेंट बंद पड़े हैं। मैनें सोचा रात को तो ये खुलते होंगे। रात को निकल कर देखा कि कई सारे रेस्टोरेंट अभी भी बंद थे। ये सारे लॉकडाउन से अभी तक खुले ही नहीं थे। कई रेस्टोरेंट तो रात भर खुले रहते थे, ग्राहकों के इंतज़ार में, लेकिन कोई इनमें घुसता ही नहीं था। उतने ग्राहक भी तो होने चाहिए। 

सिर्फ ये ही नहीं, गोवा के कई गेस्ट हाउस भी नहीं खुले थे। आप इनकी ऑनलाइन बुकिंग करवा सकते हो, लेकिन यहाँ पहुंचोगे तो पाओगे कि ये बंद पड़े हैं। तो बुकिंग करने के बाद एक बार बात कर लेना होटल का नंबर गूगल सर्च करके। 

गोवा में लोग टूरिस्ट्स से ही पैसा कमाते हैं। कैब वाले, होटल, रेस्टोरेंट, नारियल पानी वाले, दारु वाले, सब टूरिज्म के सहारे टिके हैं रोज़ी रोटी के लिए। यहाँ मैं जिसके भी पास गया, सबने ऐसे पलके बिछा के मेरा वेलकम किया जैसे मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे।  वैसे वो मेरा और मेरे जैसे और सैलानियों का इंतज़ार ही कर रहे हैं। 

अगर आपको मास्क उतार के घूमना अच्छा लगता है तो गोवा चले जाओ।  वहाँ कोई नहीं पूछता, कोई चालान नहीं है।