पक्षियों की अद्भुत दुनिया में तीन अविस्मरणीय दिन...
पक्षियों की रंगारंग दुनिया से रूबरू होने का शौक परवान चढ़ा तो मौके भी मिलने लगे।गत माह सरदारपुर अभ्यारण में बर्ड सर्वे के पश्चात मौका मिला गांधी सागर अभ्यारण में तृतीय बर्ड सर्वे में शामिल होने का।
उत्साह के साथ इस रुचि को मुझमें जाग्रत करने वाले श्रीकांतजी, सुधांशु भाई और मुकेश भाई के साथ कार से रवानगी और हमेशा की तरह मौज मस्ती के बीच हँसते-हँसाते सबसे पहले पहुंचना चतुर्भुज नाला रॉक पेंटिंग देखने....और यह क्या....देखते ही देखते हम पहुंच गए 35000 वर्ष पुरानी सभ्यता में...15 किलोमीटर लंबी गुफाओं की विस्तृत श्रृंखला और उसमें चट्टानों पर बनी हजारों की संख्याओं में उस सभ्यता की चित्रकारी.... अभिभूत और आश्चर्यचकित थे हम सभी और कुछ भी बोल नहीं फूट रहे थे सिवाय गज़ब...क्या बात है और अद्भुत इन शब्दों के सिवा...क्या तो कल्पना शक्ति और क्या ही हजारों साल पुराने उन रंगों की गुणवत्ता कि आज भी हम उन रंगों से बनी चित्रकारी को यूँ निहार पा रहे हैं...मौका मिले तो जरूर जाइये भारत वर्ष की इस 35000 वर्ष पुरानी सभ्यता को गौरव के साथ निहारने....
गांधी सागर अभ्यारण तृतीय बर्ड सर्वे....उद्घाटन समारोह मध्यप्रदेश,गुजरात,राजस्थान,उड़ीसा,कर्नाटक, महाराष्ट्र,दिल्ली और छत्तीसगढ़ से आये 80 बर्डर....अधिकांश यूं कहें कि लगभग 90 प्रतिशत इस क्षेत्र के धुरंदर,दमदार और प्रतिबद्ध पक्षीप्रेमी विशेषज्ञ.... इन दीवानों के पास मौजूद इनके भांति भांति के विशाल और महँगे लेन्सों से ओतप्रोत कैमरे व बाइना क्यूलर और ड्रोन, इन सब को पहली बार इतनी तादाद में एक ही जगह देखना....इस स्नेहिल माहौल में गुजरात से आये फॉरेस्टर और रेंजर थे,तो बिलासपुर से आये विद्यार्थी भी....पिछली बर्डिंग सर्वे के साथी महू के आदरणीय बिग्रेडियर यादव सर, वासुदेवन सर, सिहोर के ओमप्रकाश पांचाल जी तो इंदौर के अखिल हार्डिया जी से पुनः मुलाकात होना....और मिलना नए साथियों रतलाम के गिरीश जी, इंदौर के डॉ विनोद गुप्ता जी, डॉ जैन, सचिन मतकर जी, प्रकाश दामले जी से....यहीं मौजूद थे साल भर सिर्फ पंछियो की दुनिया में विचरण करने वाले गुजरात के इंडियन क्लासिकल म्यूजिक में पी एच डी करने वाले डॉ राहुल भागवत जी, उन्हीं के नक्शे कदम पर चल रहे अहमदाबाद के 26 वर्षीय युवा व्यवसायी और विविध विषयों में प्रवीण पक्षीप्रेमी मिलनसार भाई धवल शुक्ला जी और उम्र जिनके लिए सिर्फ एक नम्बर है 72 वर्षीय श्री किरण शाह जी....यहां ही सुखद उपस्थिति अपने स्कूल सहपाठी परम प्रिय सखा प्रोफेसर डॉ विपुलकीर्ति शर्मा की.... इन 80 लोगों को एकसूत्र में पिरोने वाले और यहां एकत्रित करने वाले सूत्रधार थे इंदौर के प्रसिद्ध पक्षीप्रेमी ऊर्जावान भाई स्वप्निल फांसे....आपसी परिचय के पश्चात इंदौर के पक्षियों पर बहुत ही सुंदर पुस्तक लिखने वाले अजय गडीकर जी का बर्ड सर्वे के कार्यों को स्लाइड शो के माध्यम से समझाना तो श्री नेने जी का ई बर्ड एप में देखे गए पक्षियों की चेकलिस्ट को बनाना व सबमिट कैसे करना है को समझाना और चार लाइनों में बिग्रेडियर अरविंद जी यादव साहब का यह संदेश कि सर्वे को आई आई टी की एग्जाम नही अपितु पक्षियों की आदतों को,उनकी गतिविधियों को निहारने और उनका आंनद लेने और साथी विशेषज्ञों से जानकारी हासिल करने का मौका माने👌👌👌
80 साथियों का 23 टीमों में विभाजन और रात्रि भोजन के पश्चात पूरे अभ्यारण के कोने कोने में रवानगी....
घने जंगलों में लगभग 40 किलोमीटर दूर धानगा क्षेत्र में अपनी टीम के साथ रात्रि साढ़े दस बजे वन विभाग के बिजली विहीन रेस्ट हाउस में पहुंचना...
अरे ये तो नाइट जार की आवाज़ है और उस अंधेरे जंगल में प्रोफेसर डॉक्टर विपुल की हेड लाईट और शाह सर जो अब अंकल बन चुके थे की बेहतरीन वाली छोटी सी टार्च की रोशनी में आवाज का पीछा करना, उल्लुओं को ढूंढना,सफेद चूहे का दिखना यानि इन पक्षी विशेषज्ञों के साथ एक नई और अनोखी दुनिया में प्रवेश प्रारम्भ....
इन तीन दिनों में न मोदीजी याद आये न याद आई सरकार,न याद आये घर बार और न याद आये कामकाज....बातें बातें और बातें केवल और केवल पक्षियों की,पशुओं की,जंगलों की और जंगलों के इस अद्भुत संसार की....
धानगा तालाब के आसपास, वाच टॉवर, कनकेश्वर नाला, नर्सिंगगढ़ नाला, हिंगलाजगढ़ नाला, बजरंग मंदिर, चौरासी गढ़ किला आदि क्षेत्रों में पक्षियों को देखना....तरह तरह के घोंसलों को देखना...एक घोंसले में किसी पक्षी के ताजा अंडे मिलना...प्रोफेसर विपुल की प्रिय स्पाइडर के भांति भांति के जालों को देखना....जमीन पर पड़ी जानवरों की गीली सूखी पाटी और उनके पैरों के निशानों का अध्ययन...पशु पक्षियों की खालों और हड्डियों से उन्हें पहचानने का तरीका समझना....भांति भांति के वृक्षों और उनका अलग अलग पक्षियों से संबंध समझना....
वो इतना नजदीक से खूबसूरत इजिप्शियन वल्चर और उसकी शानदार उड़ान को देखना...सजी धजी जैसे नहा धोकर बाल संवारकर निकली ब्राह्मणी स्टर्लिंग, क्या ही अद्भुत रंग वाले कॉमन और व्हाइट थ्रेटेड किंगफिशर, तालाब पर पानी के ऊपर शान से उडान भरते और बेहतरीन टर्न लेकर पानी में सिर डुबाकर अपना शिकार पकड़ने वाले रिवर टर्न, अपनी प्यारी लंबी पतली सी लाल टाँगों से पानी में विचरित करते ब्लेक विंग्ड स्टिल्ट, पेड़ों की शाखाओं पर उल्टी तरफ चलते और चोंच मारते कॉमन और व्हाइट थ्रोटेड वुडपैकर, अपनी लाल वेंट से पहचाने जाने वाली बुलबुल, बगैर हिले साधना करने वाले इंडियन ग्रे हॉर्नबिल, बेहद खूबसूरत नीलकंठ यानी इंडियन रोलर,पानी के किनारे अपना भोजन ढूंढती इंडियन सेंड पाइपर, इंडियन पैराडाइज फ्लाई केचर याने अपने मध्यप्रदेश के राजकीय पक्षी दूधराज, छोटी सी खूबसूरत सिनेरेयस टीट, 22 पक्षियों की आवाज़ की नकल करने वाले ब्लेक और व्हाईट बेल्लीड ड्रोगो, रेड हेडेड वल्चर याने गिद्धराज, अपने घरों के आसपास पाई जाने वाली रंग बिरंगी लंबी पूंछ वाली रूफस ट्रीपाई व हाउस स्पारो, काली सी प्यारी छोटी सी तेजी से उड़ान भरती सन बर्ड....हम तीनों ने देखे 61 प्रजाति के पक्षी और पूरी 23 सर्वे टीम ने मिलाकर 200 से अधिक प्रजातियां रिपोर्ट की....जेकाल,मुंगुस,नेवला,नील गाय सभी को तो कुछ साथियों को तेंदुए के भी दर्शन हुए....वनों को बचाने और उन्हें समृद्ध करने में अपना सक्रिय योगदान देने वाले बजरंग मंदिर के साधु बाबा से भी मिल कर उनके साथ चाय पीने का सौभाग्य प्राप्त हुआ....
कितना कुछ सीखा इस दौरान,बहुत ही शिक्षाप्रद और आनंद दायक...विपुल का किसी भी चीज को समझाने का अंदाज हमेशा से प्रिय रहा है और इस बार तो तीन दिन सानिध्य का सौभाग्य मिला,शुक्रिया भाई इतने प्यार से छोटी से छोटी जिज्ञासा को बूझने के लिए🙏😊🙏...
आदरणीय किरण शाह अंकल की ऊर्जा,विनम्रता,परवाह और स्नेह ने तो दिल छू लिया और हमें अपने प्रेमपाश में हमेशा के लिए बांध लिया...क्या अद्भुत फोटोग्राफी और कितना प्यार पंछियों के लिए....उन्हें अपने पास बुलाने,बिठाने,उड़ाने के प्यार भरे बोल ताउम्र याद रहेंगे... सलाम और साधुवाद अंकल आपकी जिजीविषा को,ईश्वर से यही प्रार्थना है कि ऐसा ही सक्रिय और सार्थक बुढ़ापा हमें भी प्राप्त हो🙏🙏🙏....
याद रहेगा यह गांधी सागर अभ्यारण्य,यहां के वन विभाग की जंगल में मंगल सदृश्य दिल से की गई स्वागत व्यवस्था,फॉरेस्ट गार्ड श्री सुनील जी जिन्होंने गांधीसागर में दिखाई जन्नत जैसी जगहें, स्वादिष्ट भोजन,सभी वन विभाग के स्नेहिल अधिकारी कर्मचारी गण,DFO श्री संजय जी चौहान सर का सीधी सरल खरी बातों के साथ इतना समय और प्रोत्साहन देना और सर्वे में आये सारे भारत के सुधिजन...सब हमेशा याद रहेंगे।
बारम्बार धन्यवाद स्वप्निल भाई,रितेश भाई और उनकी पूरी टीम का मुझे इस अद्भुत संसार के प्यारे से परिवार में शामिल करने के लिए 🙏🙏🙏