आद्या कात्यायिनी छतरपुर मंदिर, दिल्ली में है यह देश का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर

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Photo of आद्या कात्यायिनी छतरपुर मंदिर, दिल्ली में है यह देश का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर by Hitendra Gupta

दिल्ली के छतरपुर इलाके में स्थित है आद्या कात्यायिनी मंदिर। छतरपुर इलाके में होने का कारण लोग इसे छतरपुर मंदिर भी कहते हैं। देवी दुर्गा के छठे स्‍वरूप माता कात्यायनी को समर्पित यह मंदिर देश का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। करीब 70 एकड़ में फैला यह मंदिर बेहद खूबसूरत है। संगमरमर निर्मित इस मंदिर की वास्तुकला, नक्‍काशी अपने आप में बेजोड़ है। बताया जाता है कि इसमें वास्तुकला की द्रविड़ और नागर शैलियों का प्रयोग हुआ है।

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Photo of Chhatarpur, New Delhi, Delhi, India by Hitendra Gupta

इस मंदिर की स्थापना संत बाबा नागपाल ने की थी। बाबा नागपाल कर्नाटक से यहां आए थे और शुरू में यहां उनकी सिर्फ एक कुटिया हुआ करती थी। एक कुटिया से शुरू यह मंदिर परिसर आज 70 एकड़ तक फैल गया है। आज यहां मंदिर की तीन परिसरों में एक दर्जन से ज्यादा छोटे और बड़े मंदिर हैं। सभी मंदिर भव्यता में एक से बढ़कर एक हैं। मंदिर परिसर में आने पर इसे एकटक निहारते रहने का ही मन करता है।

Photo of Shree Adya Katyayani Shaktipeeth Mandir, Main Chhatarpur Road, Block A1, Dr Ambedkar Colony, Chhatarpur, New Delhi, Delhi, India by Hitendra Gupta

छतरपुर मंदिर अपनी सुंदरता के कारण भी काफी मशहूर है। मंदिर की दीवारों और संगमरमर की पत्थरों पर की गई नक्काशी और जालीदार निर्माण एकदम मनमोहक है। इसकी भव्यता देख मन में भारतीय निर्माणकल, वास्तुकला पर गर्व का अनुभव होता है। मंदिर के साथ हनुमान जी की 101 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा हो या एक बड़े कछुए पर बना विशाल त्रिशूल या फिर एक बहुत बड़ा दरवाजा और उसमें लगा बड़ा सा ताला। यह सब श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केन्द्र होता है।

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इस आद्या कात्यायिनी शक्तिपीठ में मां दुर्गा अपने छठे रूप माता कात्यायनी के रौद्र स्वरूप में दिखाई देती हैं। माता कात्यायनी का प्रतिदिन रंग-बिरंगे फूलों से श्रृंगार किया जाता है। श्रृंगार के बाद माता का दिव्य स्वरूप देखते ही बनता है। मां कात्यायनी के भव्य रूप के दर्शन कर श्रद्धालु धन्य महसूस करते हैं। सोने-चांदी और बहुमूल्य पत्थरों से सजी मंदिर की दीवारें और मूर्तियां भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।

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मंदिर परिसर में मां कात्यायनी मंदिर के साथ भगवान गणेश, विष्णु, सीता-राम मंदिर, शिव मंदिर, मां अष्टभुजी मंदिर, नागेश्वर मंदिर, हनुमान और अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी हैं। माता कात्यायनी का दर्शन कर भक्त अन्य मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए जाते हैं। मुख्य मंदिर में प्रवेश करते ही द्वार के पास एक काफी पुराना पेड़ है। इस पेड़ पर श्रद्धालु अपनी कामना को लेकर चुनरी, धागा और चूड़ियां बांधते हैं। भक्तों में ऐसी मान्यता है की यहां चुनरी, धागा और चूड़ियां लपेटने से मनोकामना पूरी होती है।

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दिल्ली आने वाले श्रद्धालु या पर्यटक यहां भी जरूर आते हैं। मंदिर परिसर में कई खूबसूरत लॉन और बगीचे बने हुए हैं। श्रद्धालु यहां फोटोग्राफी करने के साथ सेल्फी भी लेते हैं। छतरपुर मंदिर की एक खास बात यह है कि यह ग्रहण के दिन भी खुला रहता है। पूर्णिमा और नवरात्रि पर यहां भक्तों की कुछ ज्यादा ही भीड़ रहती है। भीड़ का कारण दर्शन, पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं को घंटों इंतजार करने पड़ते हैं। इस अवसर पर यहां की सजावट देखते ही बनती है।

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मंदिर परिसर में धर्मशाला, डिस्पेंसरी और स्कूल के साथ कई अन्य संस्थान भी हैं। यहां अक्सर लंगर या भंडारे का आयोजन किया जाता है। खास अवसरों पर यहां गरीब जरूरतमंद लोगों को आर्थिक मदद दी जाती है। उनके बीच जरूरी सामानों का मुफ्त वितरण भी किया जाता है। इसके साथ ही मंदिर की ओर से कई धर्मार्थ कार्य भी किए जाते हैं।

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कैसे पहुंचे-

दिल्ली में होने के कारण छतरपुर मंदिर पहुंचना बहुत आसान है। मंदिर छतरपुर मेट्रो स्टेशन के पास ही है। यह कुतुब मीनार से सिर्फ चार किलोमीटर दूरहै। आप यहां बस से भी आसानी से पहुंच सकते हैं।

कब पहुंचे-

दिल्ली में काफी गर्मी पड़ने के कारण यहां फरवरी से मार्च के बीच और कड़ाके की सर्दी के कारण सितंबर से नवंबर के बीच आना सही रहता है। वैसे गर्मी में सुबह और शाम में यहां जा सकते हैं। जबकि सर्दी में दिन में जाना सही रहेगा।

-हितेन्द्र गुप्ता

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