कौशांबी जिला प्रयाग राज से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान प्राचीन भारत के वैभवशाली राज्यों में से है।महात्मा बुध के समय व्तराज उद्यान की राजधानी के रूप मैं इस नगरी ने अद्वितीय गौरव।प्राप्त किया। उद्यान की महिमा हमारे संस्कृत के साहित्य में लिखी हुई है। विगत कई वर्षों से प्रयाग राज विश्वविद्यालय द्वारा संचालित खुदाई के कारण इतिहासकारों, विद्वानों, भारती ,पर्यटकों आदि का ध्यान बड़ी संख्या में आकर्षित कर रहा है।कौशांबी नगर गंगा बसा हुआ है।
कौशांबी एवम् महात्मा बुध का संबंध
कौशांबी के महान श्रष्ठियों के आग्रह पर महात्मा बुध यहां पधारे। इस नगर मैं महात्मा बुध के निवास का लिए कई विशाल विहारों का निर्माण कराया गया। बोध साहित्य में वर्णित प्रसिद्ध घोषीतराम विहार इसी नगर मैं स्तिथ है। इसके भग्नावेश पुरातत्व विभाग द्वारा की गई खुदाई में प्राप्त हुए। कौशांबी से लगभग 2किलोमीटर की दूरी पर एक छोटी पहाड़ी थी जिसकी प्लक्ष नमक गुफा में महात्म बुद्ध कई बार आए।
मोर्यकाल में पाटली पुत्र का महत्व बढ़ने से कौशांबी का महत्व कमज़ोर पड़ गया। इस सबके बावजूद सम्राट अशोक ने यहां स्तंभों पर अपनी धर्म लिपियां संवत 1से दस तक छिदवाई। इसी स्तंभ पर एक धर्म लिपि लिखी है। जिससे बोध संघ के प्रति अनास्था या विरोध करने वाले भिसंवतक्षुओं के लिए दंड नियत किया गया है।इस पर सम्राट अशोक की रानी एवम् तीवार की माता करुवाकी का लेख मिलता है।
जैन ग्रंथों में भी कौशांबी का उल्लेख मिलता।है।जैनधर्म के तीर्थंकर भगवान पद्मनाभ का जन्म भियाहिन हुआ। एक कथा के अनुसार चांदना नामक भिक्षुणी के बारे में बताया जाता है कि भिक्षुणी बनने से पहले ही उसे एक व्यापारिक हाथों बेच दिया गया था।
कौशांबी के अन्य आकर्षण
सिद्ध पीठ मन शीतल धाम, राजा जयचंद्र का किला, संत मलूक दास का आश्रम, क्वाजा कड़क शाहकी मजार एवम् पशोभा पहाड़
इस ऐतिहासिक स्थान को देखने के लिए हजारों पर्यटक प्रतिवर्ष यहां आते हैं।
मुझे भी यहां आने का अवसर मिला ।इसके इतिहास को जान कर बहुत अच्छा लगा।