राजस्थान : जरूर देखें आभानेरी गांव के ये दो ऐतिहासिक अजूबे
-सुनील शर्मा
राजस्थान अपने रेगिस्तान, 'रेत के जहाज' ऊंट, किलों, महलों, हवेलियों के साथ-साथ बावड़ियों और मंदिरों के लिए भी मशहूर है. इसकी राजधानी जयपुर से तकरीबन 100 किलोमीटर दूर जयपुर-आगरा रोड के पास दौसा जिले के आभानेरी गांव में दो ऐतिहासिक अजूबे हैं, पहला चांद बावड़ी और दूसरा हर्षत देवी मंदिर.
चांद बावड़ी रेगिस्तान की सूखी धरती पर बनी इतनी गहरी बावड़ी है कि अगर किसी को नीचे पानी लेने जाना हो तो वह अपने हौसले को अपने कदमों से भी दो कदम आगे रखे.
दुनिया की सबसे बड़ी चांद बावड़ी 100 फुट गहरी है और इसे आज से तकरीबन 1200 साल पहले यानी 9वीं शताब्दी के आसपास बनवाया गया था. इस चौकोर बावड़ी में 3500 सीढ़ियां हैं और इसे देखते ही यह पता चल जाता है कि क्यों भारतीय शिल्पकला हमेशा से अद्भुत रही है. इस बावड़ी को बनवाकर राजा चांद इतिहास में अमर हो गए हैं.
13 तलों की यह बावड़ी भरतीय इंजीनियरिंग का एक बेजोड़ नमूना है. जैसा कि हम जानते हैं राजस्थान चूंकि सूखा प्रदेश है, इसलिए वहां जल संग्रहण के लिए राजा-महाराजा जनता और अपने पशुधन के लिए बावड़ियों, कुओं, तालाबों आदि का निर्माण कराते थे. उसी कड़ी में चांद बावड़ी का निर्माण हुआ, पर जिस सोच और कारीगरी से इसे बनवाया गया है, वह देखकर आप दांतों तले उंगली दबा लेंगे. रेगिस्तान की तपती रेत में इस बावड़ी के दर्शन करके आप तन और मन से तृप्त हो जाते हैं.
चांद बावड़ी ही नहीं, बल्कि इस का गलियारा भी आपको अचंभित कर देगा. इस में कई उत्खनित कलाकृतियां रखी हुई हैं, जिन में लाल पत्थर पर बना शिव का शीश, ध्यानमग्न शिव और शिव-पार्वती, कल्की अवतार में विष्णु तथा परशुराम, कार्तिकेय, महीन नक्काशी की गई महिषासुरमर्दिनी, ब्रह्मा, विष्णु और महेश के फलक, हरसिद्धि माता, लक्ष्मी आदि प्रमुख हैं.
इतना ही नहीं, यहां जैन मूर्तियां, यक्ष की प्रतिमाओं के अलावा और भी आकर्षक उत्कीर्णित स्तंभखंड देखे जा सकते हैं.
इस बावड़ी से कुछ दूर पहले ही हर्षत माता का मंदिर है जो वैसे तो मां दुर्गा को समर्पित है लेकिन इसे हर्ष और उल्लास का मंदिर भी कहते हैं.
इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 8वीं-9वीं सदी में राजा चांद ने ही कराया था. हालांकि बाद में इस मंदिर को मुगल शासक महमूद गजनवी ने तहस-नहस कर दिया था, पर आज भी इसको जिस तरह से देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों ने अपने आगोश में ले रखा है, उस दृश्य का बखान करना बहुत मुश्किल है.
अगर आप भी कभी जयपुर घूमने आएं तो पत्थरों की इस नायाब दुनिया को जरूर देखें. मेरा यकीन है कि यह बोलता इतिहास आपको मंत्रमुग्ध कर देगा.
चूंकि राजस्थान में गरमी बहुत ज्यादा पड़ती है, इसलिए अक्तूबर से मार्च तक का समय यहां जाने के लिए अच्छा है.