क्या आपको राजस्थान की चांद बावड़ी की यह बातें पता है? जो विश्व की सबसे बड़ी और गहरी है!

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Photo of क्या आपको राजस्थान की चांद बावड़ी की यह बातें पता है? जो विश्व की सबसे बड़ी और गहरी है! by nomadic_mahendra

100 फीट गहरी विश्व प्रसिद्ध चांद बावड़ी का निर्माण 8वीं और 9वीं शताब्दी के बीच में निकुंभ वंश के राजा मिहिर भोज जिन्हें राजा चांद के नाम से भी जाना जाता है, उनके द्धारा करवाया गया था, वहीं उन्हीं के नाम पर इस बावड़ी का नाम चांद बावड़ी रखा गया था।

इसके साथ ही राजा चांद ने जयपुर-आगरा मार्ग पर स्थित दौसा जिले के पास इस छोटे से गांव आभानगरी को भी स्थापित किया था। आपको बता दें कि आभा नगरी नाम का मतलब चमकने वाला नगर और रोश्नी नगरी था, लेकिन समय के साथ-साथ लोग आभानगरी को आभानेरी कहने लगे जो कि आज इस सबसे बड़ी चांद बावड़ी और हर्षत माता मंदिर की वजह से दुनिया भर में मशहूर है।

विश्व की इस सबसे गहरी बावड़ी की यह सबसे बड़ी विशेषता है कि, चांद बावड़ी के अंदर करीब साढ़े तीन हजार संकरी सीढ़ियां हैं, जो कि बेहद कलात्मक और शानदार तरीके से बनाई गईं हैं, इसके साथ ही यह देखने में भी बेहद आर्कषक लगती हैं।

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वहीं अगर किसी व्यक्ति को दुनिया की इस सबसे प्राचीन बावड़ी से पानी निकालना होता था, तो इससे लिए उसे साढ़े तीन हजार सीढ़ियां उतरकर नीचे जाना पड़ता था।

चांद बाबड़ी से जुड़े रहस्य और भूल-भुलैया के रुप में बनी इसकी सीढ़ियां

इस 13 मंजिला चांद बावड़ी में साढ़े तीन हजार सीढ़ियां भूलभूलैया के रुप में बनी हुईं हैं। इस बावड़ी में एक तरह की करीब ढाई सौ सीढि़यां हैं, जिनको देखकर लोग कंफ्यूज हो जाते हैं और अपना रास्ता भूल जाते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि इस चांद बाबड़ी की सीढ़ियों से नीचे उतरने वाला मनुष्य वापस कभी उसी सीढ़ी से ऊपर नहीं चढ़ सकता है। इसके साथ ही इस बावड़ी के निर्माण को लेकर और भी कई रहस्य जुड़े हुए हैं

एक ऐतिहासक किवंदती के मुताबिक एक बार इस अनूठी चांद बावड़ी में मौजूद अंधेरी-उजाली सुरंग और गुफा में एक बारात उतर गई, और फिर वो लौटकर वापस कभी बाहर नहीं आई। इसके साथ ही कई बावड़ी से कई अन्य रहस्य भी जुड़े हुए हैं।

वहीं कुछ इतिहासकारों के मुताबिक दुनिया की यह सबसे बड़ी बावड़ी को सिर्फ एक रात में ही तैयार किया गया है।वहीं कुछ लोग तो रहस्यमयी तरीके से भूत-प्रेतो द्धारा इस बावड़ी के निर्माण की बात कहते हैं।

यही नहीं चांद बावड़ी की गहराई को लेकर भी कई किवंदतियां प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि राजस्थान की इस चांद बावड़ी (Chand Bawri) को 100 फीट से भी ज्यादा गहरी इसलिए बनाया गया था, ताकि अगर कोई भी वस्तु इस बावड़ी के अंदर गिर जाए तो उसे निकाल पाना मुश्किल हो।

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चांद बावड़ी में बनी है एक गुप्त सुरंग - दुनिया की सबसे प्राचीन और बड़ी बावड़ी को अंधेरे-उजाले की बावड़ी के नाम से इसलिए जाना जाता है, क्योंकि चांदनी रात में एक दूध की तरह सफेद दिखाई देती है। 100 फीट से भी ज्यादा गहरी बावड़ी में न सिर्फ एक नृत्य कक्ष बना हुआ है बल्कि इसमें एक 17 किलोमीटर लंबी गुप्त सुरंग का निर्माण भी करवाया गया है, जो

आभानेरी गांव के पास स्थित गांव भांडोरेज में निकलती है। इतिहासकारों के मुताबिक भीषण संघर्ष और युद्ध के दौरान राजा एवं उनके सैनिकों द्धारा अपनी सुरक्षा को लेकर इस सुंरग का इस्तेमाल किया जाता था।

बावड़ी की निचली मंजिल पर भगवान की भव्य प्रतिमाएं भी सुशोभित:

इसके साथ ही इस बावड़ी में सबसे गहराई तक जाने के लिए 3500 सीढ़ियों के साथ-साथ 13 सोपान भी बेहद कलात्मक तरीके से बनाए गए हैं।यही नहीं इस विश्व प्रसिद्ध बावड़ी की सबसे निचली मंजिल पर बने दो ताखो मे भगवान गणेश और महिषासुर मर्दिनी की विशाल एवं भव्य मुर्तियां भी सुशोभित हैं, जो इस चांद बावड़ी की सुंदरता को और भी अधिक बढ़ा रही हैं!

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