नोएडा से हरिद्वार पहुँचने में लगभ 4 घण्टे लगते है, जैसे ही आप उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड में प्रवेश करते है आपको एक अलग ही अनुभूति होती है, हमे भी एक रोमांचक अनुभूति हो रही थी। उत्तराखंड में आगे बढ़ने पर नज़र आने वाले पहाड़ों ने उस रोमांचक अनुभूति को ओर बढ़ा दिया और आँखे जो देख रही थी उसी से मन को शांति मिलनी शुरू हो गयी थी।
जैसे-जैसे हरिद्वार के पास पहुँचते है बड़े-बड़े पेडों से घिरा जंगल और उसके बीच से सड़क हरिद्वार की अनुभूति देना प्रारंभ कर देती है। इस सड़क पर गाय बड़ी संख्या में घूम रही थी जो बार-बार आपके वाहन को शायद इसलिए मंदा कर देती है ताकि आप उस जगह का आनंद ले सके और उस जंगल को निहार सके।
आगे बढ़ने पर एक पहाड़ी के पास से गुजरती सड़क जो कि चण्डी देवी के मंदिर के पास से गुजरती है, मंदिर जाते श्रद्धालुओं से घिरी नजर आएगी, जहाँ से आपको हरिद्वार की भगतिमय अनुभूति मिलनी शुरू हो जाएगी।
फिर विशाल गंगा नज़र आएगी जो आपके रोमांच को ओर बढ़ा देंगी और आँखों को सुखद अनुभव देगी, गंगा के पुल को पार कर हम हरिद्वार शहर के अंदर प्रवेश कर गए। जहाँ चारो तरफ साधु और श्रद्धालुओं की भीड़ नज़र आ रही थी।
शहर के अंदर जाने पर आपको वैसा ही भीड़ भाड़ वाला शहर मिलता है जैसा आप दूसरे शहरों में देखते हो, सड़को पर वाहनों के हॉर्न की आवाज़, सड़क जाम व जीवन की भागदौड़ में व्यस्त लोग, लेकिन जैसी ही आप गंगा की तरफ जाते है आपको इससे बिल्कुल विपरीत दर्शय नज़र आएगा। बिल्कुल शांत माहौल, गंगा के बहाने ही आवाज और साथ मे दूर मंदिरों से आती घंटियों की आवाज, जो आपको एकदम शांत कर देती है। विशेष रूप से सुबह और शाम को गंगा तट पर यही शांति रहती है।
हमने गंगा तट के पास कमरा लिया और अब तक रात हो गयी थी, गंगा के किनारे पर थोड़ा घूमने के बाद वापस कमरे की तरफ आते समय, एक हलवाई की दुकान पर भीड़ देख कर हमने भी उससे समौसा ले लिया जिसका स्वाद बहुत बेकार था।
आगे बढ़ने पर एक ठेला से कुल्फी ली जो बहुत अच्छी थी और वही पर पास में एक रेस्टोरेंट पर खाना खाया और फिर हम वापस कमरे पर आ आगे।
यह था हरिद्वार में हमारा पहला दिन।