पंजाब के खूबसूरत गांवों में से एक गांव चकर जिला लुधियाना की कहानी

Tripoto
16th Sep 2021
Day 1


#पंजाब_का_एक_खूबसूरत_गांव
#मोरगन_झील_गांव_चकर
#जिला_लुधियाना

नमस्कार दोस्तों 🙏🙏
आज हम इस पोस्ट में पंजाब के लुधियाना जिले के एक खूबसूरत गांव चकर की बात करेंगे, जिसको चकर गांव के प्रवासी भारतीयों ने अपनी मेहनत और पैसे से चार चांद लगाए और उनका गांव पंजाब के सबसे खूबसूरत गांवों में शुमार हो गया।

#चकर_गांव_की_कहानी
पंजाब के दूसरे गावों की तरह जिला लुधियाना के चकर गांव के भी काफी लोग विदेशों में रोजी रोटी कमाने के लिए गए हुए हैं। प्रवासी भारतीय चाहे बाहरले मुलकों में चले जाते है लेकिन उनका दिल तो अपने गांव के लिए ही धड़कता है, ऐसे ही इंसान है सरदार अजमेर सिंह जो चकर गांव से कैनेडा पहुंच गए हैं और अपने गांव के लिए कुछ न कुछ करना चाहते थे। यही बात उन्होंने अपने दोस्तों को बताई, बस फिर कया था, सभी गांव की बेहतरी के लिए कुछ न कुछ करने के लिए सोचने लगे। अजमेर सिंह के कैनेडा के दोस्त अंग्रेज ईरवन मोरगन को जब यह बात पता लगी कि यह अपने गांव के लिए कुछ करना चाहता हैं तो ईरवन मोरगन ने अपने दोस्त को एक करोड़ की मदद की, बस इसी से आगे काफिला आगे बढ़ता गया। धीरे धीरे चकर गांव के दूसरे देशों में रहते हुए प्रवासी भारतीयों ने भी अपना सहयोग देना शुरू किया। सारा पैसा इकट्ठा करके गांव की बेहतरी के लिए लगाया गया, और एक बात और चकर गांव में रहने वाले निवासियों से कोई पैसा नहीं लिया गया । सारा खर्च प्रवासी भारतीयों ने किया।सबसे पहले चकर गांव की रूपरेखा बदलने के लिए मासटर पलान तैयार किया गया। पूरे चकर गांव में सीवरेज सिस्टम बनाया गया, वह बात अलग हैं कि मेरे शहर बाघापुराना में आजतक सीवरेज सिस्टम नहीं बना। चकर गांव में सीवरेज डालने के लिए पहले एक बड़ा गढ्ढे को खोदा गया जहां सीवरेज का निकास हो सके। चकर गांव के सुंदरीकरण के लिए 200 मजदूरों ने दो साल मेहनत की और चकर गांव की खूबसूरती को चार चांद लगा दिए। चकर गांव में विश्राम घर, लोगों के बैठने के लिए बैठक, सांझ घर, पढ़ने के लिए मिनी लाईब्रेरी, गांव की दीवारों पर सुंदर विचार और चित्रकारी की। गांव की पककी गलियों और सड़क वाली फिरनी बनाई गई।
#मोरगन_झील_चकर
दोस्तों हम अक्सर पहाड़ों पर या चंडीगढ़ की सुखना झील पर बोटिंग करने के लिए जाते है लेकिन चकर गांव ने अपने तालाब को ही झील का रुप दे दिया। सीवरेज के लिए बनाए गढ्ढे से निकली मिट्टी से इस झील में एक छोटा सा टापू बनाया गया ताकि झील में तैरती बतखें और पंछी रात को टापू पर विश्राम कर सके नहीं तो बतखें सड़क किनारे आकर कुत्ते बिल्ली या हादसे का शिकार हो सकती थी। झील के बींच बने टापू पर पंछी और बतखें खेलते रहते हैं। इस झील का नाम ईरवन मोरगन के नाम पर रखा जिसने चकर गांव के लिए एक करोड़ की मदद की थी। ईरवन मोरगन बाद में चकर गांव में भी आया था जहां उसे सममानित किया गया। झील के किनारे बोट खड़ी हुई हैं आप मात्र 30 रूपये प्रति व्यक्ति के चार्ज से झील में बोटिंग कर सकते हो। एक बोट में चार वयक्ति बैठ सकते हो। आप पंजाब के इस खूबसूरत गांव की मोरगन झील में बोटिंग का नजारा भी ले सकते हो। झील के किनारे पर खानपान के लिए एक दुकान है जहां आप खाने पीने का आनंद ले सकते हो। दोस्तों चकर गांव मेरे घर से 40 किमी दूर, लुधियाना से 50 किमी दूर, मेरे सुसराल जाने वाले रास्ते में आता है। यह सारी जानकारी मैंने गांव वासियों से इकट्ठा की थी जब मैं चकर गांव गया था। वहां ही मैंने झील के किनारे बनी दुकान में कोलड काफी का आनंद लिया था, कुछ समय झील किनारे लगे वृक्षों के नीचे बैंच कर बैठकर झील की सुंदरता को निहारते हुए ही मैंने सोच लिया था, इस गांव के बारे में एक  पोस्ट में जरूर लिखूंगा ।

चकर गांव की मोर्गन झील

Photo of Chakar by Dr. Yadwinder Singh

मोर्गन झील के किनारे लगे हुए बैंच

Photo of Chakar by Dr. Yadwinder Singh

गांव में लोगों के लिए बनी बैठक जहां लोग दोपहर में अपना समय निकालते हैं।

Photo of Chakar by Dr. Yadwinder Singh

चकर गांव का विश्राम घर

Photo of Chakar by Dr. Yadwinder Singh