जब खराब हुई रोपवे ने सिखाया पैदल चलना...
कभी-कभी जल्दबाजी में बनाया गया प्लान सफल हो जाता है और कभी-कभी महीनों पहले से तैयार किया हुआ प्लान भी फेल हो जाता है। ऐसे ही हमने भी एक यात्रा की योजना बनायी मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित मैहर का जो कि 'माँ शारदा देवी' या "मैहर वाली माता' के धाम के लिए प्रसिद्ध है।
इस मंदिर तक पहुँचने के लिए मैहर रेलवे स्टेशन से आसानी से ऑटो या टैक्सी उपलब्ध हो जाती हैं जो मंदिर के बेस तक पहुँचा देती हैं। यह मंदिर त्रिकूट पर्वत पर स्थित है जहाँ जाने के लिए 1001 सीढ़ियाँ हैं, साथ ही साथ यहाँ रोपवे की भी सुविधा है।
शारदा धाम अपने चमत्कारी एवं धार्मिक इतिहास के लिए जाना जाता है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, मान्यता है कि यहाँ माँ सती का हार गिरा था। माँ शारदा दो वीर योद्धाओं आल्हा एवं ऊदल की कुलदेवी थीं। कहा जाता है कि मंदिर के कपाट बंद होने पर आल्हा एवं ऊदल अदृश्य रूप में माता का पूजन करने आते हैं और मंदिर के कपाट खुलने से पहले ही चले जाते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से माँ की आराधना करने वाले को सुख समृद्धि मिलती है और कभी अकाल मृत्यु नहीं होती।
हम दिवाली की छुट्टियों में गये थे यह सोचकर की भीड़ कम होगी परंतु जाने पर देखा कि वहाँ तो तिल रखने की भी जगह नहीं थी। सीढ़ियाँ लोगों से भरी पड़ी थीं, कुछ लोग नीचे सीढ़ियाँ खाली होने का इंतजार कर रहे थे। हांलाकि हमने ऑनलाइन ही रोपवे का टिकट बुक कर रखा था परंतु हमारी बदकिस्मती ऐसी कि वहाँ जाने पर पता चला कि रोपवे खराब है। हमें तो सीढ़ियों पर भीड़ देखकर हिम्मत ही नहीं हुई ऊपर जाने की पर वहाँ एक और सुविधा है, मंदिर ट्रस्ट की कुछ गाड़ियाँ चलती हैं जो मंदिर से कुछ दूर पहले ही उतार देती हैं जहाँ से कुछ सीढ़ियाँ चढ़कर मंदिर तक पहुँच सकते हैं। हमने भी वही किया परंतु वहाँ भी बेहद भीड़ और लम्बी लाइन थी। अंततः काफी कठिनाइयों के बाद आखिरकार हमें अच्छे दर्शन हुए और माता का आशीर्वाद मिला।
"जय माता दी"।