जब हम घूमते हैं तो हमें नई-नई जगहों के बारे में पता चलता है। जहाँ कुछ ऐसा देखने को मिल जाता है कि हम हैरान हो उठते हैं।
बुंदेलखंड ऐसी ही कहानियों को लेकर बैठा है। बुंदेलखंड की एक ऐसी ही जगह है जहाँ की लोक कथाएं पूरे बुंदेलखंड सुनी जाती हैं।
जहाँ का इतिहास बेहद गौरवशाली है। ये बुंदेलों के गढ़ महोबा की कहानी है। महोबा बुंदेलखंड के उत्तर प्रदेश में आता है।
अगर आप बुंदेलखंड के हैं तो आपने महोबा के आल्हा-उदल की कहानी जरूर सुनी होगी।
बुंदेलखंड की एक कहावत है, आल्हा-ऊदल कनवज छाये, सूनो पड़ो महोबा गाँव। महोबा जितना एतहासिक है, उतना ही खूबसूरत भी है।
अगर आपको बुंदेलखंड की संस्कृति और इतिहास की झलकियाँ देखनी है तो आपको महोबा की सैर जरूर करना चाहिए।
उत्तर प्रदेश का महोबा आज भी आपको इतिहास की गलियों में ले जाएगा।
इस शहर में कुछ जगहें ऐसी हैं जहाँ आकर आपको लगेगा कि आप कोई पुराने और खूबसूरत शहर में आ गए होंगे।
महोबा को महोत्सव नगर के नाम से भी जाना जाता है। महोत्सव नगर का मतलब है त्यौहारों को शहर। पूरे बुंदेलखंड पर कभी चंदेलों का शासन हुआ करता था।
महोबा में भी उनका ही शासन था। महोबा में जो किले और हवेलियां बनी हुई हैं वो चंदेलों की बनाई गईं हैं।
बीर सिंह जूदेव महोबा ही नहीं बुंदेलखंड के महान राजाओं में से एक थे। जिनकी कहानियाँ आप महोबा में घूमते ही सुन सकते हैं।
घूमने वालों के महोबा बेहद शानदार जगह है।
झांसी से 140 किमी. दूर महोबा कभी चंदेलों की पुरानी राजधानी हुआ करती थी। आज महोबा उत्तर प्रदेश का एक जिला है।
जिसे आल्हा ऊदल की नगरी भी कहते हैं। आल्हा ऊदल महोबा की रक्षा करते थे।
जब भारत के महान शासक पृथ्वीराज चौहान को इस जगह के बारे में पता चला तो उन्होंने महोबा पर हमला करके जीत लिया।
महोबा के वीर आल्हा-ऊदल ने फिर से पृथ्वीराज चौहान को हराकर महोबा को वापस ले लिया। महोबा में स्थानीय लोग हर साल कजली मेला मनाते हैं।
ये मेला आल्हा उदल की पृथ्वीराज चऔहान पर जीत को सेलिब्रेट करने के लिए हर साल लगता है।
ऐसे ही अनगिनत कहानियों के लिए आपको महोबा की गलियों में भटकना पड़ेगा।
कैसे जाएं?
महोबा झांसी से 140 किमी. की दूरी पर है। आप यहाँ पर फ्लाइट, ट्रेन और वाया रोड आराम से पहुँच सकते हैं।
फ्लाइट सेः यदि आप फ्लाइट से महोबा जाने का प्लान बना रहे हैं तो आपको बता दें कि महोबा जाने के लिए कोई डायरेक्ट फ्लाइट नहीं मिलेगी क्योंकि महोबा में एयरपोर्ट नहीं है। महाबा से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट खजुराहो में है। खजुराहो एयरपोर्ट से महोबा की दूरी सिर्फ 54 किमी. है। आप खजुराहो से महोबा बस या टैक्सी बुक करके पहुँच सकते हैं।
ट्रेन सेः अगर आप ट्रेन से महोबा जाना चाहते हैं तो अच्छी बात ये है कि महोबा में रेलवे स्टेशन है। हर रोज कई ट्रेनें यहाँ से गुजरती है। आप बड़े आराम से खजुराहो पहुँच सकते हैं।
वाया रोडः यदि आप रोड से महोबा जाना चाहते हैं तो आप महोबा वाया रोड आराम से जा सकते हैं। आप सबसे पहले झांसी पहुँचिए और फिर आपको यहाँ से महोबा के लिए बस मिल जाएगी। अगर आप खुद की गाड़ी से जाना चाहते हैं तो मऊरानीपुर, खजुराहो होकर या फिर हमीरपुर राठ होकर महोबा पहुँच सकते हैं।
कब जाएं?
नई जगहों पर जाने के लिए सबसे पहले दिमाग में यही आता है कि कब जाना चाहिए? अगर आप उत्तर प्रदेश के महोबा जाना चाहते हैं तो बुंदेलखंड के बाकी शहरों की तरह ही यहाँ का मौसम रहता है। गर्मियों में यहाँ बहुत तेज धूप होती है इसलिए गर्मियों में महोबा आने की गलती न करें।
इसे भी अवश्य पढ़ें: कालिंजर किला
आपको सर्दियों में महोबा आना चाहिए। दिसंबर से फरवरी का महीना महोबा का एक्सप्लोर करने के लिए बेस्ट समय है। महोबा में ठहरने के लिए बहुत ज्यादा ऑप्शन नहीं है। यहाँ कुछ छोटे होटल और टूरिस्ट डाक बंगला है, जहाँ आप ठहर सकते हैं।
क्या देखें?
1- महोबा किला
महोबा वीरों की धरती रही है। यहाँ अनगिनत युद्ध हुए हैं और इन्हीं युद्ध में महोबा किला भेंट चढ़ गया। महोबा में एक और ऐतहासिक किला है श्रीनगरीय किला। महोबा के श्रीनगर कस्बे में राज राममोहन सिंह ने 17वीं शताब्दी में इसे किले को बनवाया था। कहते हैं कि इस किले में एक टकसाल हुआ करता था जिससे सोने-चांदी कि सिक्के बनते थे। प्रशासन की अनदेखी की वजह से ये किला आज खंडहर में तब्दील हो गया है। आपको महोबा के इस ऐतहासिक किले को जरूर देखना चाहिए।
2- राजा का तल
महोबा में राजा का तल लोगों के लिए जानी-मानी जगह है। राजा का तल एक बहुत बड़ी झील है जिसे महाराजा छत्रसाल के पोते सेनापति ने 18वीं सदी में बनवाई थी। इस लेक को लोगों की पानी की समस्या को दूर करने के लिए बनवाई गई थी। ये झील आज भी पानी से सरोबार है। महोबा जल संरक्षण के लिए बेहद शानदार उदाहरण है। ये बेहद खूबसूरत जगह है जहाँ आप घंटों वक्त बिता सकते हैं। महोबा आएं तो इस ऐतहासिक और खूबसूरत जगह को जरूर देखें।
3- सूर्य मंदिर
आपने कोणार्क के सूर्य मंदिर के बारे में सुना होगा और शायद कश्मीर के सूर्य मंदिर के बारे में भी सुना होगा लेकिन आपने बुंदेलखंड के सूर्य मंदिर के बारे में बिल्कुल नहीं सुना होगा। महोबा का सूर्य मंदिर रहिला सागर के पास में है। इस मंदिर को 9वीं सदी में चंदेल राजाओं ने बनवाया था। ये सूर्य मंदिर बुंदेलखंड की प्रतिहारा आर्किटेक्चर का शानदार नमूना है। आप इस मंदिर को देखकर उस समय के आर्किटेक्चर का अंदाजा लगा सकते हैं। मंदिर पर सरकार का ज्यादा ध्यान नहीं है इस वजह से ये मंदिर लोगों की नजरों में नहीं है। आप महोबा आएं तो इस मंदिर को जरूर देखें।
4- आल्हा-ऊदल का गांव
महोबा को आल्हा ऊदल की कहानियों से भी जाना जाता है। कहते हैं कि राजा परिमाल दोनों सेनापतियाें ने उत्तर भारत के 52 किलों पर फतेह की थी। बाद में राजा ने दोनों को महोबा से निकाल दिया था लेकिन पृथ्वीराज चौहान के आक्रमण के लिए फिर से बुलाया गया था। दोनों महोबा के रिजगिर गाँव में रहते थे। उनका किला भी बना हुआ था जो अब जमींदोज हो गया है लेकिन लोगों की जुबां पर आल्हा-ऊदल आज भी हैं। आप इस गाँव की सैर भी कर सकते हैं।
5- विजय सागर पक्षी विहार
अगर आपको नेचर से प्यार है तो आपको महोबा के विजय सागर पक्षी विहार जरूर आना चाहिए। ये महोबा की सबसे सुंदर जगहों में से एक है। आपको यहाँ पर हरियाली तो देख ही पाएंगे साथ में कई प्रकार के पक्षी भी देखने को मिलेंगे। ये जगह बर्ड वाॅचिंग के लिए भी परफेक्ट जगह है। विजय सागर पक्षी विहार पक्षियों का अभ्यारण्य है। विजय सागर झील के पास बना इस पक्षी विहार को 11वीं सदी में विजय पाल चंदेला ने बनवाया था। आपको इस जगह पर जरूर आना चाहिए।
6- कलिंजर फोर्ट
इन जगहों के अलावा महोबा में कई सारे मंदिर हैं और कुछ जगहें तो आपको महोबा घूमते ही मिल जाएंगी। महोबा में घूमते वक्त आपको इसकी खूबसूरती का अंदाजा लगेगा। इसके अलावा आप आसपास की जगहें घूम सकते हैं। जिनमें खजुराहो और पन्ना है। इसके अलावा पास में ही बेहद खूबसूरत कलिंजर का किला है। ये वो जगहें हैं जिनको घूमने वाले अक्सर छोड़ देते हैं इसलिए यहाँ पर ज्यादा भीड़ नहीं मिलती है। आपको उन दीवारों को तोड़कर इन जगहों पर जरूर जाना चाहिए। तभी आप घुमक्कड़ों की जमात में फिट बैठेंगे।
क्या आपने बुंदेलखंड के महोबा की यात्रा की है? अपने अनुभव को शेयर करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
रोज़ाना व्हाट्सएप पर यात्रा की प्रेरणा के लिए 9319591229 पर HI लिखकर भेजें या यहाँ क्लिक करें।