कानपुर से निकलकर हरदोई होते हुए हम भीमताल पहुँचे! रास्ते मे सफर का आनंद लेते हुए बहुत आराम से हमने भीमताल मे रुकने का मन पहले ही बना लिया था जिसके लिए हमने होटेल अतिथि बुक कर लिया था!
भीमताल तक का अभी तक का रास्ता अच्छा था, कोई भी जो सावधानी से गाड़ी चलाएगा आसानी से भीमताल तक का सफर कर सकता है! पहाड़ों पर ध्यान देने की बात इतनी सी है कि आप अपनी बाई तरफ अनुशासित होकर गाड़ी चलाते हैं तो आसानी से आप पहाड़ों पर घूम सकते हैं!
सभी रास्तो के लिए मैं उत्तराखंड सरकार को धन्यवाद देता हूँ जो पर्यटकों की सुविधा अनुसार व्यवस्थायें की हैं!
आज का हमारा प्लान भीमताल घूमते हुए मुक्तेश्वर तक पहुँचना और मुक्तेश्वर दर्शन कर वहीं रुकने का था! मुक्तेश्वर मे हमने पहले से ही होटल गोल्डन पीक बुक कर रखा था!
1.. bhalugad waterfall....
सुबह हम तैयार होकर भीमताल से एक घंटे की दूरी पर भालूगाड झरने पर जाने का प्लान बनाया! हालाँकि मौसम कुछ खराब हो रहा था फिर भी हमने हिम्मत नहीं हारी और हम लगभग नौ बजे तक वहाँ पहुँच गये! झरने का 1.5 किलोमीटर का पैदल रास्ता काफी रोमांच भरा था!
झरना 40 फीट गहरा था इसलिए लाइफ गार्ड ने हमें लाइफ जैकेट लेने की सलाह दी, झरने ने सभी को खुश कर दिया! सभी ने मन भर कर मजा किया हमने तो नहाने के साथ तैरने का भी भरपूर आनंद लिया! मैं तो यही सलाह दूंगा कि जो भी भीमताल जाए वो भालूगाड झरने का आनंद जरूर ले!
2.. मुक्तेश्वर धाम और चौली की जाली...
भालूगाड झरने का आनंद लेकर हम मुक्तेश्वर की ओर निकल पड़े, लगभग 12 बजे तक हम अपने होटल गोल्डन पीक पहुँच गए! होटल पहुँच कर हमने कुछ देर आराम किया और उसके बाद हमने मुक्तेश्वर धाम की तरफ कूच किया! हम लकी थे की जब हम पहुँचे तब तक भीड़ कम हो गयी थी जिससे हमारी गाड़ी सीधे मंदिर तक पहुँच गयी!
बाबा के दर्शन के बाद हम चौली की जाली पहुँचे!
प्रकृति की कलाकारी कहे या प्रकृति का श्रृंगार चौली की जाली देख कर तो यही विचार आ रहे थे! यहाँ काफी शांति थी और मौसम भी ऊंचाई होने के कारण काफी सुहाना था! हम काफी देर यहाँ रुके और शाम की चाय के साथ गरमा गर्म पकौड़ियों का भी मजा लिया गया! एक स्थानीय कलाकार जो राजेश खन्ना के गाने गा रहा था उसका भी आनंद प्राप्त किया!
मुक्तेश्वर धाम के बाद हमारा अगला पड़ाव बैजनाथ धाम था! बैजनाथ धाम से पहले हमने रास्ते मे कौसानी, पियोरा और सोमेश्वर धाम भी घूमने का प्लान किया था!
1.. कौसानी और पियोरा...
कौसानी और पियोरा दोनों ही पहाड़ी पर्यटक स्थल हैं! रास्ते में होने के कारण हमने कुछ समय यहाँ देना उचित समझा और यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता का लुत्फ़ लिया! यहाँ अच्छी- अच्छी फोटो खीचें गये, साल फैक्टरी, चाय के बागान और रुद्रधारी झरना और मंदिर का आनंद लिया!
2.. सोमेश्वर महादेव...
कौसानी के बाद रास्ते मे हमने सोमेश्वर महादेव के दर्शन भी किये!
नवीं शताब्दी के आसपास का यह मंदिर वाकई मे अद्भुत है, यहाँ एक प्राकृतिक श्रोता भी है जो शिवलिंग का जलाभिषेक कर कुंड मे जमा हो रहा था!
आज का दिन विशेष रहा हमने सफर के दौरान ही काफी जगह विजिट किया ! घूमते हुए हम बैजनाथ धाम पहुँच गये जहाँ हमने KMVN का rest house बुक कर रखा था!
पहाड़ी रास्ते सभी जगह अच्छे बने हैं बस आपको अपनी बायीं तरफ अनुशासित चलना है आप आराम से पहाड़ों पर घूम सकते हैं!
आज हम बैजनाथ धाम का दर्शन करेंगे और हमने कर्णप्रयाग जाने का भी प्लान कर लिया है!
1.. बैजनाथ धाम दर्शन...
बैजनाथ धाम मे शिवजी का नौवी से दसवीं शताब्दी का मंदिर और माँ की एक पत्थर की मूर्ती जिसमे 26 देवी- देवताओं की मूर्तियाँ भी बहुत ही सुंदर तरीके से उकेरी गयीं हैं! यहाँ पर बाबा केदारनाथ मंदिर भी है सभी मंदिर काफी प्राचीन हैं!
2.. भ्रवरीदेवी देवी मंदिर...
ये मंदिर 5 किलोमीटर की दूरी पर एक पहाड़ी पर है! यहाँ भी माँ की मूर्ती अति प्राचीन है और पंडित जी ने बहुत ही अच्छी पूजा की! पहाड़ी से चारों ओर का दृश्य काफी मनमोहक है! यहीं से हम दर्शन करके कर्णप्रयाग की ओर निकल गये जो कि 90 किलोमीटर की दूरी पर है!
3.. कर्णप्रयाग...
2 बजे के लगभग हम कर्णप्रयाग पहुँच गये, अलकनंदा और पिंडर नदी का संगम कर्णप्रयाग के नाम से जाना जाता है! यह नगरी कर्ण के नाम से ही बसी है प्रयाग के पास ही कर्ण का मंदिर भी है!
कर्णप्रयाग से वापसी करते समय बोर्ड पर नजर पड़ी जिस पर लिखा था केदारनाथ 124 किलोमीटर एक बार तो मन डोला की चलो इतनी दूर आ गये हैं तो केदारनाथ बाबा के भी दर्शन कर ले, लेकिन ये हमारे प्लान मे नहीं था इसलिए हमने वापस होटल लौटने का मन किया!
हमारा अगला पड़ाव बागेश्वर धाम है!
आज का हमारा पड़ाव बागेश्वर धाम होते हुए जागेश्वर मे है!
1.. बागेश्वर धाम..
बैजनाथ से निकल कर हम बागेश्वर धाम के लिए निकल पड़े रास्तो की सुंदरता और प्रकृति का आनंद लेते हुए हम बागेश्वर धाम पहुँच गए! बागेश्वर धाम की एक कहानी है..... कहते हैं कि एक बार मर्कंडे ऋषि गोमती नदी का मार्ग रोक कर तपस्या करने लगे जिससे गोमती नदी का बहाव बाधित होने लगा इस संकट से सबको बचाने के लिये शंकर जी और पार्वती जी ने एक लीला रची........
शंकर जी ने बाघ का रूप रखा और माँ पार्वती जी ने गाय का रूप रखा! अब गोमती नदी के तट पर गाय रूपी माँ पार्वती जी पर बाघ रूपी शंकर जी ने हमला कर दिया जिसकी हलचल से मर्कंडे ऋषि का ध्यान भंग हुआ और उन्होंने गोमती नदी का रास्ता छोड़ दिया! तभी से इस धाम को बागेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है यहाँ शिव जी के लिंग का आकर बाघ के मुख के समान है!
2.. गौरी उडियार् गुफा मंदिर...
बागेश्वर मंदिर से निकल कर हमने जलपान किया और दुकान मे ही अंकल से जानकारी ली कि गुफा मंदिर पहुँचने का रास्ता कहाँ से है, उन्होंने हमें अच्छी तरह बता दिया और जाने के लिये प्रेरित भी किया! 12 किलोमीटर दूर और 7 किलोमीटर की पहाड़ी रास्ता तय कर जब हम पहुँचे तो पता चला कि गुफा 50 फीट से ज्यादा नीचे है फिर हम सीढ़ियां उतर कर मंदिर तक पहुँचे! यह मंदिर प्राकृतिक रूप से 3D चित्रकारी से भरा था भौगोलिक दृष्टि से यहाँ स्टेलिकटाइट, स्टेलिगमिट और स्तंभ की आकृतियाँ बनी थी जो कि चूने की चट्टान मे बनती हैं!
यह स्थान भीड़ से दूर बहुत हि शांति वाला है यहाँ पहुँच कर पूरे टूर का आनंद आ गया! यहाँ पहाड़ों से आता हुआ पानी जो प्राकृतिक श्रोत से निकल रहा था बहुत ही स्वादिष्ट था जिसके आंगे किसी भी कंपनी का मिनरल वाटर बेकार लगता! हमने ये पानी पेट भर कर पिया!
यहाँ आनंद लेने के बाद हम जागेश्वर धाम के लिये निकल पड़े, हमें शाम तक जागेश्वर के KMVN rest house पहुचना है!
आज हमारा पड़ाव जागेश्वर धाम में है जो कि बारह ज्योतिर्लिंगों मे एक है! यहाँ हमने पहुँचने के साथ रात में आरती की और सुबह उठ कर भी मंदिर मे बाबा के दर्शन किये! यहाँ बाबा जागेश्वर के साथ साथ लगभग 120 मंदिरों का समूह है! भारत वर्ष के सभी मंदिरों के प्रतिनिधि के रूप मे यहाँ सभी शिवलिंगों के लिये मंदिर बने हैं! यहाँ भी असीम शांति का अनुभव प्राप्त हुआ! प्रकृति के बीचों बीच शिव का यह धाम सबको आकर्षित करता है!
दंडेश्वर् महादेव मंदिर जागेश्वर धाम से 1.5 किलोमीटर दूर है रास्ते में होने के कारण हम यहाँ भी दर्शन के लिये रुके संपूर्ण वातावरण अलौकिक आनंद प्रदान करने वाला है!
वृद्ध जागेश्वर धाम..... ऐसा माना जाता है कि बाबा जागेश्वर पहले यहीं प्रकट हुए थे उसके बाद उन्होंने जागेश्वर धाम में दर्शन दिये!
इस प्रकार जागेश्वर धाम दर्शन के बाद हमारा भ्रमण पूर्ण हुआ! हम सभी उत्तराखंड सरकार और उत्तराखंड के लोगों का धन्यवाद देते हैं जिनके इमानदार प्रयास से सभी पर्यटक स्थलों पर सारी व्यवस्थाएँ उत्तम हैं! वहाँ तक पहुँचने के लिये सभी रास्ते उत्तम हैं!