हिमालय की सबसे खूबसूरत झीलें

Tripoto
3rd Jul 2022
Photo of हिमालय की सबसे खूबसूरत झीलें by Pankaj Mehta Traveller

      हिमालय वैसे तो खूबसूरती का खजाना है। पूरा हिमालय खूबसूरत नजारों से भरा पड़ा है। लेकिन हिमालय की असली खूबसूरती है, हिमालय की गोद में बसी हुई झीलें। दोस्तों आज आपको हिमालय में पायी जाने वाली कुछ खूबसूरत झीलों के बारे में बताता हूँ।

Photo of हिमालय की सबसे खूबसूरत झीलें by Pankaj Mehta Traveller

      तिलिचो झील नेपाल के मनांग जिले में है।यह पोखरा शहर से 55 किलोमीटर  की सीधी दूरी पर है। यह 4,919 मीटर पर स्थित है। ये झील अन्नपूर्णा सर्किट में आती है। इस झील तक पहुँचने के लिए आपको एक कठिन ट्रेक करना पड़ेगा। पहले इस झील के पास सबसे ऊंचाई में स्थित होने का तमगा था लेकिन वो इस से अब छिना जा चूका है। ये झील बहुत ही ज्यादा खूबसूरत है।नेपाल के जल एवं मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, इस झील में कोई भी जलीय जीव नहीं पाया गया है।

Photo of Tilicho Lake by Pankaj Mehta Traveller
Photo of Tilicho Lake by Pankaj Mehta Traveller


       नेपाल में साल 2019 में एक नई झील ‘काजिन सारा’ (Kajin Sara) की खोज की गई। खोज के बाद ही ये झील दुनियाँ की सबसे ऊँची झील बन गयी। ये झील अन्नपूर्णा सर्किट ट्रेक में चामे के पास है। यह झील 5,200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।यह झील 1,500 मीटर लंबी तथा 600 मीटर चौड़ी है।

Photo of Kajin Sara Lake by Pankaj Mehta Traveller
Photo of Kajin Sara Lake by Pankaj Mehta Traveller

       गुरुदोनगमार झील भारत के सिक्किम राज्य में है। यह 5,430 मीटर (17,800 फुट) पर है और हिन्दू व बौद्ध धर्मों के भक्तों के लिए पवित्र मानी जाती है। झील का नाम गुरु पद्मसम्भव पर पड़ा है, जो गुरु रिन्पोछे भी कहलाते हैं और जिन्होंने तिब्बती बौद्ध धर्म की स्थापना करी थी और जिन्होंने 8वीं शताब्दी में इस झील की यात्रा करी थी। सबसे खास बात इस झील तक रोड जाती है।

Photo of Gurudongmar Lake by Pankaj Mehta Traveller
Photo of Gurudongmar Lake by Pankaj Mehta Traveller

          इसे 'पांगोंग त्सो' के नाम से भी जाना जाता है। यह हिमालय में बसी एक ऐसी झील है, जो लगभग 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। 135 किलोमीटर लंबी यह झील करीब 604 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है और अपने सबसे विस्तारित बिंदु पर यह छह किलोमीटर चौड़ी है। खारे पानी की इस झील की सबसे खास बात ये है कि यह शीत ऋतु में पूरी तरह जम जाती है, जिसके बाद आप चाहें तो उसपर गाड़ी भी चला सकते हैं या आइस स्केटिंग या फिर पोलो भी खेल सकते हैं। हालांकि इसके लिए विशेष इजाजत लेनी पड़ती है।

      आपको शायद पता न हो, लेकिन इस झील का 45 किलोमीटर क्षेत्र भारत (लद्दाख) में स्थित है, जबकि इसका 90 किलोमीटर क्षेत्र तिब्बत (चीन) में पड़ता है। माना जाता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) इस झील के मध्य से होकर गुजरती है। हालांकि इसकी सटीक स्थिति को लेकर अक्सर भ्रम की स्थिति बनी रहती है। 

Photo of Pangong Lake by Pankaj Mehta Traveller
Photo of Pangong Lake by Pankaj Mehta Traveller

             लद्दाख और तिब्बत के बीच, 4,595 मीटर की ऊँचाई पर स्थित त्सो मोरीरी झील भारत की सबसे बड़ी ऊँचाई वाली झील है। त्सो मोरीरी झील पंगोंग झील की जुड़वां झील है, जो चांगटांग वन्यजीव अभयारण्य के अंदर स्थित है। बता दें कि झील यहां आने वाले पर्यटकों को सुंदर वातावरण और शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करती है। त्सो मोरीरी झील उत्तर से दक्षिण की ओर  लगभग 28 किमी तक बहती है और इसकी गहराई लगभग 100 फीट है। बर्फ से ढके खूबसूरत पहाड़ों की पृष्ठभूमि के साथ आकर्षक त्सो मोरीरी झील बंजर पहाड़ियों से घिरी हुई है। वैसे लोग इस झील के बारे बहुत कम जानते हैं इसलिए यहां पर पर्यटकों की ज्यादा भीड़ नहीं होती।

Photo of Tso Moriri by Pankaj Mehta Traveller
Photo of Tso Moriri by Pankaj Mehta Traveller

         गोक्यो झील नेपाल मे सागरमाथा नेशनल पार्क में स्थित है, जो की समुद्र तल से 4,700–5,000 मीटर (15,400–16,400 फीट) कि ऊंचाई पर स्थित है। इन झीलों में दुनिया की सबसे ऊंची ताजे पानी की झील प्रणाली जिसमें छह मुख्य झील है, जिनमें से थोनाक झील सबसे बड़ी है। सितंबर २००७ में, गोकियो और जुड़े झीलों के 7,770 हेक्टेयर (30.0 वर्ग मील) रामसर साइट नामित किया गया है।

        गोक्यो झीलों को हिंदुओं और बौद्धों दोनों धर्म के द्वारा पवित्र माना जाता है। जनाइ पूर्णिमा महोत्सव मे जो आम तौर पर अगस्त के महीने में होता है, करीब ५०० हिंदु इन झीलों में  पवित्र स्नान करते है औसतन७,००० पर्यटकों गोकियो झीलों मै सालाना यात्रा करते है।  इस स्थान को 'नाग देवता'  के वासस्थान के रूप में पूजा की जाती है। झील के पश्चिमी कोने मे हिंदू देवी-देवताओं भगवान विष्णु और शिव का एक मंदिर स्थित है।इस क्षेत्र में विश्वास है कि पक्षियों और वन्य जीवन को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए  है जो कि परंपरागत रूप से संरक्षित जीव है।

Photo of Gokyo Lake by Pankaj Mehta Traveller
Photo of Gokyo Lake by Pankaj Mehta Traveller

नम त्सो (तिब्बती: གནམ་མཚོ་, अंग्रेज़ी: Namtso) या नमत्सो, जिसे मंगोल भाषा में तेन्ग्री नोर (Tengri Nor, अर्थ: तेन्ग्री/स्वर्ग की झील) भी कहते हैं,तिब्बत की एक पर्वतीय झील है। यह तिब्बत के ल्हासा विभाग के दमझ़ुंग ज़िले और नगछु विभाग के पलगोन (बैनगोइन) ज़िले की सरहद पर स्थित है। इसका पानी खारा है। लगभग १५,००० फ़ुट पर स्थित यह झील दुनिया की सबसे ऊँची खारी झील है और चिंगहई झील के बाद तिब्बत के पठार की दूसरी सबसे बड़ी झील है।

Photo of Namucuo by Pankaj Mehta Traveller
Photo of Namucuo by Pankaj Mehta Traveller

             यमद्रोक झील या यमद्रोक त्सो या यमद्रोक यम्त्सो तिब्बत में एक मीठे पानी की झील है। यह तिब्बत की चार बड़ी धार्मिक-रूप से पवित्र झीलों में से एक है। यह बर्फ़-ढके पर्वतों से घिरी हुई है और कई झरनों के पानी इसे भरते रहते हैं। झील ग्यांत्से शहर से ९० किमी पश्चिम में और तिब्बत की राजधानी ल्हासा से १०० किमी पूर्वोत्तर में है। स्थानीय आस्थाओं के अनुसार यह झील एक देवी का रूप है। झील के एक छोर पर एक प्रायद्वीप (पेनिनसुला) है जिसपर समदिन्ग बौद्ध-मठ बना हुआ है। यह 'झील का सिंहासन' भी कहलाता है और तिब्बत का इकलौता बड़ा मठ है जिसका धार्मिक नेतृत्व एक महिला (साधवी) करती हैं।यमद्रोक झील तिब्बत के ल्होखा विभाग (चीनी सरकारी दस्तावेज़ों में 'शाननान विभाग') में स्थित है जो दक्षिणी तिब्बत में पड़ता है। नगरत्से गाँव झील के पास स्थित है। यह 4441 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

Photo of Yamzho Yumco by Pankaj Mehta Traveller
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