इस बार श्रावण के चौथे सोमवार के अगले दिन ही नागपंचमी का संयोग है। ऐसे में यदि आप शिव जी के दर्शन के लिए द्वादश ज्योर्तिलिंग में से एक मध्यप्रदेश के उज्जैन जा रहे हैं तो एक दिन और वहां ठहरियेगा। पूरे साल बंद रहने वाला नागचंद्रेश्वर मंदिर नागपंचमी के अवसर पर खोला जाता है। उज्जैन शहर के प्राचीन मंदिरों में से एक नागचंद्रेश्वर के बारे में कहा जाता है कि यहां प्रतिमा नेपाल से लाई गई है। परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इसका निर्माण करवाया था। इस साल इस मंदिर के पट एक अगस्त, सोमवार को रात्रि 12 बजे खुलने जा रहे हैं। यह मंदिर महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है।
मूर्ति की विशेषता
मंदिर में ख़ास यह है कि अधिकतर मंदिरों में हमने विष्णु जी को सर्प शैय्या पर शयन करते देखा है लेकिन यहां शिव- पार्वती दशमुखी नाग की शैय्या पर विराजमान है। साथ ही में गणेश जी व नंदी भी हैं। पूरे देश में इस प्रकार का मंदिर सिर्फ़ यह एक ही है।
मंदिर से जुड़ी कथा
नागचंद्रेश्वर मंदिर से जु़ड़ी एक कथा स्थानीय लोग इस प्रकार बताते हैं कि नागराज तक्षक ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी, जिससे भोलेशंकर प्रसन्न हुए थे और उन्हें अमरत्व का वरदान दिया था। तभी से तक्षक नाज शैय्या के रूप में शिव जी के साथ इसी मंदिर में हमेशा रहते हैं। हालांकि तक्षक नाग की यह इच्छा थी कि वे शिव के निकट तो रहे लेकिन एकांत में रहें और उन्हें किसी भी तरह का विघ्न न पहुंचे। बिनाबर इस मंदिर को एक ही दिन खोला जाता है। मंदिर से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि यहां दर्शन करने से सर्पदोष से मुक्ति मिल जाती है इसलिए रात से ही लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ मंदिर के बाहर जमा होने लगती है।