छो लेक लदाख रुम्त्से
छो लेक लदाख (17800) फ़ीट की उचाई पर खूबसूरत लेक का अपना संसार .
हम निकले तो थे पहाड़ चढ़ने लेकिन मौसम की बेरुखी से वह तो हो न सका , लेकिन कहते हैं न की मेहनत कभी खली नहीं जाती ...मेहनत भी ऐसी की अठारह हजार फ़ीट की उचाई पर बीस किलो के बैग के साथ चलना वो भी लदाख की रूखी पहाड़ियों पर , लेकिन अंत में हमें दर्शन हुए एक सुन्दर झील के , और पिछले चार पांच वर्षो में हम पहले हुए है, जिन्होंने छो लेक के दर्शन किये , या यू कहे की हम पहले बाहरी थे जो इस जगह पर पहुंचे ! अगर आप भी हैं रोमांच के शौकीन.. जाना चाहते भीड़ से कही दूर नेचर के नजदीक, देखना चाहते हैं कुदरत के करिश्मे को नजदीक से तो यह जगह आप के लिए हैं ,
कैसे जाये ..
वैसे तो यहाँ तक पहुंचने के लिए आप को सबसे पहले लेह पंहुचा पड़ता हैं , लेह आप सड़क और हवाई मार्ग से पहुंच सकते हैं , लेह से सड़क मार्ग से अस्सी किलोमीटर की दुरी पर रुम्त्से विलेज से आप को छो लेक के लिए ट्रेक करना पड़ता हैं , जिसकी दुरी बीस किलोमीटर हैं और अधिकतम उचाई १७८०० फ़ीट, हलाकि अधिक उचाई होने के कारण आप को कुछ चुनौतियों का सामाना भी करना पड़ता हैं जैसे हाई altitude इफ़ेक्ट , जिससे बचने के लिए आप को शारिरिक रूप से फ़ीट भी होना पड़ेगा !
रुम्त्से ... यहाँ से झील तक पहुंचने के लिए अधिकतम दो दिन का समय लगता हैं ,
छो झील .. दो दिन के ट्रैकिंग के बाद आप छो झील के पास ही कैंप साइड में पहुंच सकते हैं , और आप दीदार कर सकते हैं खूबसूरत झील के , जिसकी सतह का पानी मौसम के हिसाब से समय -समय पर बदलता रहता हैं , कभी आसमानी नीला तो कभी गरजते बादल सा रंग , अरे जितना लिखो शब्द ही नहीं मिलते .. अब सभी लोगो की भावनाएं भी तो अलग अलग होती हैं , तो आपको भी अपनी भावनाओं को समझने के लिए , एक बार तो इस खूबसूरत संसार में आना ही चाहिए .. तो फिर देर किस बात की ... वो कहावत.. शैर कर गाफिल ये ज़िन्दगी फिर कहा .. गर ज़िन्दगी ये जवानी वाला किस्सा ...!तो फिर देर किस बात की करो तयारी छो लेक के दीदार की !
मौसम और समय ... यहाँ का मौसम अधिकतर जून से लेकर सितम्बर तक सबसे अधिक सही रहता हैं , सितम्बर के बाद तो कड़ाके की लदाखी शर्दी .
क्या लेकर जाये .. गर्म कपडे , ड्राई फ्रूट्स, कम्फर्टेबल ट्रैकिंग जुते , सभी जरूरी ट्रैकिंग का सामान. स्लीपिंग बैग्स, टेंट्स ,