सुदूर ग्रामीण अंचल एवं प्रकृति की गोद में अवस्थित अमनौर की पवित्र भूमि पर मही नदी के किनारे पर बसी यह जगह अमनौर गढ के नाम से भी प्रसिद्ध थी। वर्षों पहले सन् 1900 के आस-पास यहाँ एक स्वामी बाबा मौजीदास जी रहा करते थे, जो बहुत त्यागी और दयालु महात्मा थे, बाबा को यहाँ के नागरिको से बहुत लगाव था और पशु-पक्षी को भी बाबा बहुत प्यार करते थे। पर कुछ सालो बाद यही पर बाबा ने 1952 में समाधि ले ली। बाबा के समाधि लेने के बाद यह स्थल बिल्कुल विरान सा हो गया।
लोक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार कुछ वर्षों के बाद सन 2013 में, माता वैष्णो देवी ने अपने भक्त श्री मेघनाथ को स्वप्न में दर्शन दी और मंदिर निर्माण करने की आदेश दी। माताजी की प्रेरणा से व्यवसायी श्री मेघनाथजी इस पुनित कार्य के लिये आगे बढ़े एवं मंदिर का निर्माण यहाँ के बुद्धिजिवियों, नौजवानों की मदद से करने-कराने का निश्चय किया।
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सन - 04-10.2013 को मंदिर निर्माण का भूमि पूजन श्री मेघनाथ जी के कर कमलों द्वारा हुआ और आज यह स्थल माता वैष्णो देवी गुफा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
मंदिर की अंदरूनी बनावट गुफानुमा है, जो कि कृत्रिम रूप से तैयार किया गया है परंतु प्राकृतिक एहसास दिलाता है। हर रोज़ हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर में माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं।
यह मंदिर अमनौर बस अड्डा के करीब है और हमारे शहर सोनपुर से 45 कि.मी और पटना से लगभग 62 कि.मी की दूरी पर स्थित है। यातायात सुविधा काफी बढ़िया है।
दशहरा के अवसर पर काफी भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।