
यूँ तो राजस्थान थार मारूथल, रेत के टिब्बो, किले, महलों, हवेलियाँ आदि के लिए प्रसिद्ध है। एक ओर भी राजस्थान का आकर्षण है- अरावली पर्वत।
चलिए जानते है इस के बारे में।
🧿 अरावली पर्वत:- मुझे शुरू से Sst. अच्छी लगती है। उस में एक बहुत खास प्रशन था।
**अरावली पर्वत होने के बावजूद राजस्थान में बारिश कम क्यो होतीहै?
इसका जवाब भी बहुत दिलचस्प है। यह तो हम सब जानते है कि मानसून पौन पर्वतों से टकरा कर भरपूर बारिश करती है। यही कारण है हिमालय पर्वतमाला के होने से पंजाब हरियाणा उतर प्रदेश के मैदानों में बारिश होती है,ओर यह मैदान बहुत उपजाऊ है,इसका कारण है-हिमालय की नदियों पहाड़ो से जो मिट्टी साथ लेकर आती है, मैदानों में आने पर गती कम हो जाने से, मिट्टी को खंडा देती है। ऊपर से मानसून में बारिश जो इन मैदानों को खेती के लिए उपयुक्त बनाती है।
चलिए हम बात कर रहे थे अरावली पर्वत की,क्यो कि इसकी भौगोलिक स्थिति मानसून पौन के समांतर है,इस लिए समुद्र से आने वाली मानसून पौनें अरावली से टकराने की बजाय समांतर चली जाती है। जिस से बारिश कम होती है, राजस्थान रेतीला रहता है।
अरावली भारत के पश्चिमी भाग राजस्थान में स्थित एक पर्वतमाला है। यह संसार की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है जो राजस्थान को उत्तर से दक्षिण दो भागों में बांटती है। अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर सिरोही माऊट आबू में गुरुशिखर (1722 मी.) है।अरावली पर्वत श्रंखला की अनुमानित आयु 570 मिलियन वर्ष है,इसकी कुल लम्बाई गुजरात से दिल्ली तक लगभग 692 किलीमीटर है।अरावली पर्वत श्रंखला का लगभग 60% विस्तार राजस्थान में है, दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन रायसीना की पहाड़ी पर बना हुआ है जो अरावली पर्वत श्रृंखला का ही भाग है।अरावली पर्वत का पश्चिमी भाग मारवाड़ एवं पूर्वी भाग मेवाड़ कहलाता है। यहां अनेक प्रमुख नदियों- बनास, लूनी, साखी और साबरमती का उत्पन स्थान है।



🔵माऊट आबू:- यह राजस्थान का एकमात्र हिल-सटेशन है। गर्मी में भी ठण्ड का एहसास वो भी राजस्थान में- ऐसा ही है माऊट आबू।
हम सुबह आबू रोड पहुंचे थे। वहा से जीप करवा कर माऊट आबू आ गए। भूख लगी थी, एक ढाबे पर आलू के पराठे जो सभी पंजाबी के पसंदीदा होते वो खाने लगे बिना मूल्य पूछे। जब सभी ने 2-2 पराठे खा लिए तब पता चला कि 50/- का एक पराठा था। हमारे अनुमान मतलब 25/- से डबल। ऐसे प्रसिद्ध जगह पर सैलानियों को ऐसे ही लूटते है। ध्यान रहे हमेशा मूल्य पूछ कर ही खाए। माऊट आबू शांत, प्रकृति से भरपूर सुकून देने वाली जगह है।
यहाँ पर देखने के लिए निम्नलिखित जगह है-
1 दिलवाडा जैन मंदिर
2 नककी लेक
3 टोड रोक
4 ब्रहमा कुमारी आश्रम
5 सनसिट पवाइट
माऊट आबू जाने के उदयपुर ( 163 किलोमीटर) और आबू रोड (30 किलोमीटर) से टैक्सी या बस द्वारा जा सकते है। उदयपुर हवाई जहाज व रेल मार्ग से आसानी से जा सकते है। आबू रोड भी विभिन्न शहरों से रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है।
नक्की लेक बहुत ही खूबसूरत लेक है जो माउंट आबू की खूबसूरती में नगीने का काम कर रही है। इस लेक के इर्द गिर्द घूमने का अपना ही मजा है।
लेक के पास ही एक टॉड रॉक बनी होई दिखाई देती है, जिसका आकार कछुकुम्मे अर्थात् टॉर्टोइस जैसा है। दूर से ही यह रॉक दिख जाती है। बादलों के बीच यह रॉक बहुत ही सुंदर दृश्य दिखा रही थी।


ब्रह्मा कुमारी का आश्रम भी माउंट आबू में है। यह आश्रम काफी बड़ा है। हाल भी बहुत बड़ा है। ब्रह्मा कुमारी का हेड ऑफिस भी यही है। बहुत शांति मिलती है, इस आश्रम में।

सनसेट प्वाइंट भी माउंट आबू की शान है, ठंडी हवा चल रही थी जून के महीने में भी ठंड का एहसास हो रहा था।


धन्यवाद।