हम लोग पर्सनल गाड़ी से झांसी से शिवपुरी गए जो वहाँ से 100 किमी दूर है रात में वही रुके एवम सुबह सेसाइट सीन। किया
1-----छतरी देखने गए जो प्रातः 7 बजे से खुल जाती है जो बहुत ही खूबसूरत है सिंधिया परिवार का है
माधव विलास पैलेस को स्थानीय लोगों के बीच आम बोलचाल की भाषा में '' महल '' के नाम से जाना जाता है जो भव्यता का प्रतीक है। सुंदर बुर्ज, कई छतें और चमकदार संगमरमर की छतें इस महल को आज भी महल के मानकों पर खरा बनाती हैं। महल का बाहरी आवरण हल्के गुलाबी रंग का है जो इसे यहां के वातावरण में सेट कर देता है।
औपनिवेशिक स्थापत्य के कारण यह महल पहले के युगों के अन्य महलों की अपेक्षा अधिक सम्बद्ध है। यह महल अपने सुनहरे दिनों के दौरान सिंधिया शाही परिवार का ग्रीष्ममहल हुआ करता था। इस महल के बुर्ज व छत से आज भी यहां का सुंदर माहौल देखने पर बदला नहीं नजर आता है इसके लिए माधव राष्ट्रीय पार्क धन्यवाद का पात्र है जिसने यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता को बनाकर रखा है।
मध्य प्रदेश का एक प्राचीन शहर और एक पवित्र स्थान, शिवपुरी को पहले सिपरी के नाम से जाना जाता था। इस जगह का इतिहास मुगल काल से है। शिवपुरी के घने जंगल एक समय में शाही शिकार के मैदान थे। समुद्र तल से 478 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह शहर सभी विदेशी आकर्षणों में से एक है, जो इसे पर्यटकों के लिए एक बहुत ही शांतिपूर्ण गंतव्य बनाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, इस शहर का नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया है। 1804 तक यह शहर कच्छवाहा राजपूतों के स्वर्ग के रूप में जाना जाता था। उसके बाद यहाँ सिंधिया राजवंश द्वारा शासन किया गया। इसके अलावा शिवपुरी स्वतंत्रता संग्राम से भी महत्व रखता है क्योंकि यह वह स्थान है जहां महान स्वतंत्रता सेनानी तात्या टोपे जी को फांसी दी गई थी।
शिवपुरी के जंगलों में पहले मुगल सम्राटों के शिकार क्षेत्र थे।चाहे आप अवकाश या साहसिक दौरे पर हों, आप रोमांचकारी वन्यजीवन और ऐतिहासिक स्थानों के बीच यात्रा को पसंद करेंगे।
रोचक तथ्य:-
शिवपुरी ग्वालियर और झांसी के बीच एक नेचर गेटवे है|
यह खूबसूरत शहर एक समय ग्वालियर के सिंधिया शासकों की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी और इसके घने जंगल शिकार क्षेत्र थे|
शिवपुरी पक्षियों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है और कई पर्यटक पक्षियों की विशाल प्रजातियों को देखने के लिए यहां आते हैं।
2 -----प्राचीन शिव मंदिर - जो छतरी रोड पर शिवपुरी संग्रहालय के पास स्थित है वह देखा
3-------म्यूजियम जो शिव मंदिर के पास है
4 ------विष्णु मंदिर
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भादैया कुंड के बारे में कहा जाता है कि इस प्राकृतिक पानी के स्त्रोत में काफी गुणकारी खनिज लवण है। प्राचीन मान्यताओं और कई चिकित्सीय गुणों के कारण यहां के पानी से स्नान करने को बेहतर उपचार माना जाता है। माना जाता है कि यदि किसी को त्वचा सम्बंधी रोग हो तो इस जल में स्नान करने से लाभ मिलता है।
कुंड का पानी चिकित्सीय शक्तियों से भरपुर माना जाता है। इस कुंड की सैर का सबसे अच्छा समय मानसून के दौरान होता है क्योंकि इस दौरान कुंड में पानी काफी मात्रा में होता है और भरा हुआ कुंड शहर से थके हारे आने के बाद आंखों को सुखद माहौल प्रदान करता है।
6---------इसके बाद हम लोग नरवर फोर्ट के लिए शॉर्टकट रास्ते से निकल गए मैप लोकेसन से जो वहाँ से 40किमी है किले में पहुंचने के लिए बहुत कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है हाँफने वाली में थक कर हार गई कि अब नही देखना वापस चलो लेकिन वहां पानी पाउच बेचने बाली लड़कियों ने हिम्मत नही हारने दी आखिर में गेट पर पहुँच गए वहाँ यक ब्यक्ति बैठा था जो ऐड्रेस नॉट कर रहा था इसके बाद किला घूमा लेकिन डर लग कही ग़ुम न हो जाये क्योकि मोबाइल बैटरी डाउन शाम होने वाली इतना बड़ा फोर्ट टूरिस्ट कम तो आधा घूमकर ही वापस रात में निकल लिए
1डे टूर की लिए बढ़िया आप्सन है शिवपुरी एवम नरवर फोर्ट उसकी हिस्ट्री कुछ इस प्रकारहै जो महाभारत में राजा नल का वर्णन है उन्हीं का किला है फिर उन पर अन्य राजाओं का शासन रहा
बताया जाता है कि 19वी सदी में नरवर राजा नल की राजधानी हुआ करती थी. नरवर 19 से 20वी. शताब्दी में नलपुर (निषदपुर) नाम से जाना जाता था. नरवर का किला समुद्र-तल से 1600 और भू-तल से 500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है.
🔹जैसे यह कुछ स्थान हैं, जहां आप घूमना पसंद करेंगे। तालकटोरा, चंदन खेत महल और कचहरी महल।
🔹किले के अंदर एक अखाड़ा भी है जहां कुश्ती और मल युद्ध का आयोजन होता था।
🔹किले में एक ही जगह 8 कुएं और 16 बावरियां हैं। ऐसा कहा जाता कि यहां से 16 सौ पनिहारिन ( पानी भरने वालीं) एक साथ पानी भरती थीं।
🔹ऐसा कहा जाता है कि किले के अंदर एक पूरा नगर बसा करता था। जिसमें मीणा बाज़ार सबसे मुख्य था। जहां से लोग ज़रूरत की चीजें खरीदते थें।
इस तरह से पहुंचे
ट्रेन से – शिवपुरी स्टेशन
निकटतम हवाईअड्डा ग्वालियर