महादेव का ऐसा मंदिर जो असुर के नाम पर पड़ा है, जानिए कहाँ है स्थित और कैसे यहां जाया जा सकता है?

Tripoto
4th Sep 2023
Photo of महादेव का ऐसा मंदिर जो असुर के नाम पर पड़ा है, जानिए कहाँ है स्थित और कैसे यहां जाया जा सकता है? by Pooja Tomar Kshatrani
Day 1

उत्तराखंड को भगवान भोलेनाथ की तपस्थली भी कहा जाता है। शायद यही वजह है कि उत्तराखंड में भगवान भोलेनाथ की कई मंदिर हैं इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर है ताड़केश्वर महादेव मंदिर। लैंसडौन से 35 किमी दूरी पर स्थित इस मंदिर में दूर-दूर से लोग अपनी मन्नत मांगने के लिए आते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि ताड़कासुर नामक राक्षस को दिए गए वरदान के बाद इस मंदिर की स्थापना हुई थी। ताड़केश्वर महादेव मंदिर चीड़ और देवदार के पेड़ों से घिरा हुआ है जो इस मंदिर के प्राकृतिक सौंदर्य को निखार प्रदान करते हैं।

मंदिर से जुड़ी दंत कथायें

Photo of महादेव का ऐसा मंदिर जो असुर के नाम पर पड़ा है, जानिए कहाँ है स्थित और कैसे यहां जाया जा सकता है? by Pooja Tomar Kshatrani

1. पौराणिक कथाओं के अनुसार, ताड़कासुर नामक राक्षस ने भगवान शिव से अमरता का वरदान प्राप्त करने के लिए इसी स्थान पर तपस्या की थी। शिवजी से वरदान पाकर ताड़कासुर अत्याचारी हो गया। परेशान होकर देवताओं और ऋषियों ने भगवान शिव से प्रार्थना की और ताड़कासुर का अंत करने के लिए कहा। भोलेनाथ ने असुरराज ताड़कासुर को उसके अंत समय में क्षमा किया और वरदान दिया कि कलयुग में इस स्थान पर मेरी पूजा तुम्हारे नाम से होगी इसलिए असुरराज ताड़कासुर के नाम से यहां भगवान भोलेनाथ 'ताड़केश्वर' कहलाये।

2. एक कथा के अनुसार ताड़का सुर का वध करने के बाद भगवान शिव यहां पर आराम करने के लिए आए थे सूर्य की ताप से बचाने के लिए मां पार्वती ने यहां देवदार 7 वृक्ष लगाए थे और कुछ का मानना है कि मां पार्वती ने स्वयं देवदार के वृक्षों का रूप धारण कर लिया था मंदिर के आँगन और आसपास अब भी देवदार के वृक्ष है।

3. एक अन्य दंतकथा भी यहां प्रसिद्ध है कि एक साधु यहां रहते थे जो आस-पास के पशु पक्षियों को सताने वाले को ताड़ते यानी दंड देते थे। इनके नाम से यह मंदिर ताड़केश्वर के नाम से जाना गया।

मंदिर परिसर में स्थित त्रिशूल रूपी पेड़

Photo of महादेव का ऐसा मंदिर जो असुर के नाम पर पड़ा है, जानिए कहाँ है स्थित और कैसे यहां जाया जा सकता है? by Pooja Tomar Kshatrani

इस मंदिर में एक पेड़ है जिसे किसी भी दिशा में देखने पर यह त्रिशूल रूपी दिखाई देता है। जो देखने में बहुत अद्भुत लगता है।भक्त इसे अतिपावन और पवित्र मानते हैं।

माता लक्ष्मी ने खोदा था कुंड

Photo of महादेव का ऐसा मंदिर जो असुर के नाम पर पड़ा है, जानिए कहाँ है स्थित और कैसे यहां जाया जा सकता है? by Pooja Tomar Kshatrani

मंदिर परिसर में एक कुंड भी है। मान्यता है है कि यह कुंड स्वयं माता लक्ष्मी ने खोदा था। इस कुंड के पवित्र जल का उपयोग शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए होता है। यहां पर सरसों का तेल और शाल के पत्तों का लाना वर्जित है।

Photo of महादेव का ऐसा मंदिर जो असुर के नाम पर पड़ा है, जानिए कहाँ है स्थित और कैसे यहां जाया जा सकता है? by Pooja Tomar Kshatrani

ऐसी मान्यता है कि जब किसी भक्त की मनोकामना पूरी होती है तो वह यहां मंदिर में घंटी चढ़ाते हैं। यहां दूर दूर से लोग अपनी मुरादें लेकर आते हैं, और भगवान शिव जी अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते। यहां मंदिर में चढ़ाई गई हजारों घंटियां देखने को मिलेंगी जो भक्तों की इस मंदिर से जुड़ी आस्था को बयान करती है।

मंदिर के आसपास घूमने लायक जगहें -
1. कण्वाश्रम
2. चरेख डांडा
3. दुर्गा देवी मंदिर
4. सिद्धबली मंदिर
5. लैंसडाउन
6. पौडी
7. खिर्सू
8. ज्वाल्पा देवी मंदिर
9. कंडोलिया मंदिर

मंदिर के खुलने का समय :

गर्मी का मौसम में - सुबह 05:00 बजे से शाम 07:00 बजे तक। सर्दी का मौसम में - सुबह 06:30 से शाम 05:00 बजे तक।

आने का सबसे अच्छा समय : मार्च से अक्टूबर

कैसे पहुंचें ताड़केश्वर मंदिर - :

सड़क मार्ग से : लैंसडाउन कई शहरों से जुड़ा हुआ है। जहाँ से निजी और सरकारी बसें कोटद्वार  तक जाती रहती हैं, कोटद्वार से लैंसडाउन करीब 40 कि॰मी॰ की दूरी पर है। लैंसडाउन से ताड़केश्वर महादेव मंदिर 35 कि॰मी की दूरी पर है।

रेलवे से: नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटद्वार स्टेशन है। वहाँ से फिर टैक्सी या सरकारी बस आदि से ताड़केश्वर महादेव मंदिर पहुँचा जा सकता है।

हवाई अड्डा : यहाँ का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्राँट एयरपोर्ट है, जो लैंसडाउन से करीब 152 कि॰मी॰ की दूरी पर है।