आप गए हैं कभी उत्तराखंड? एकदम स्वर्ग सा दिखता है। हो भी क्यों ना, भगवान ने स्वयं अपने हाथों से जो बनाया है इसे। दुनिया की सबसे सुंदर इमारतें और सुख सुविधाओं से सजे आलीशान घर इस देवभूमि की तुलना में रत्ती भर नहीं हैं।
कहते हैं ऋषि मुनियों ने सैकड़ों साल तपस्या करके इसे दिव्यभूमि बनाया है, जिसका वैभव पाने के लिए श्रद्धालु मीलों की यात्रा करके अपने भगवान के दर्शन को आते हैं। देवभूमि उत्तराखंड, जिसकी हवा में है गंगा आरती की सुगन्ध और शाम स्वयं में समेटे है ढेर सारी शीतलता। चलिए तपोभूमि उत्तराखंड का एक सफ़र, हमारे साथ।
देवभूमि उत्तराखंड: कैसे पड़ा ये नाम
पूरे भारत में देवताओं, देवियों और महान ऋषियों ने जन्म पाया है लेकिन उत्तराखंड को ही देवभूमि कहलाने का गौरव मिला हुआ है। इसके पीछे कई कहानियाँ भी हैं और बहुत सारी सत्यता।
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1. पूरे भारत की सबसे विशाल और पवित्रत नदियाँ देवभूमि उत्तराखंड से निकलती हैं। गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का उद्गम स्थल है उत्तराखंड।
2. भगवान शिव का ससुराल है उत्तराखंड का दक्ष प्रजापति नगर।
3. पाण्डवों से लेकर कई राजाओं ने तप करने के लिए इस महान भूमि को चुना है। ध्यान लगाने के लिए महात्मा इस जगह को उपयुक्त मानते हैं और आते हैं। कई साधुओं ने यहाँ स्तुति कर सीधा ईश्वर की प्राप्ति की है। पाण्डव अपने अज्ञातवास के समय उत्तराखंड में ही आकर रुके थे।
उत्तराखंड का इतिहास
महाभारत का लेखन महर्षि व्यास ने इसी देवभूमि उत्तराखंड में किया था। उत्तराखंड की सांस्कृतिक और भौतिक विरासत को दो भागों, कुमाऊँ और गढ़वाल में बाँट सकते हैं। सभी कहानियों में इन दोनों का ज़िक्र ख़ूब मिलेगा।
जिस देवभूमि उत्तराखंड को तपोभूमि की संज्ञा देते हैं हम, उसको बाद में हमारी ही नस्लों ने ख़ून ख़राबे से गंदा किया।
उत्तराखंड के ऊपर पुरु वंश ने शासन प्रारंभ किया जिस पर आगे चलकर नंद, मौर्य, कुषाण ने शासन किया। आगे इस पर ब्रिटिशों ने भी राज किया। गढ़वाल के पश्चिमी हिस्से में बनी भगवान बुद्ध की मूर्तियों का निर्माण सम्राट अशोक ने कराया था।
कुछ ऐसे ही ऐतिहासिक तथ्य उत्तराखंड की गलियों से गुज़रते हैं जिसमें एक बड़ा नाम चिपको आन्दोलन का है जिससे बाद में देश के सबसे बड़े पर्यावरणविदों और नेताओं ने साथ दिया और इसने देश के सबसे बड़े अहिंसक आन्दोलन के रूप में अपनी पहचान बनाई।
उत्तराखंड के पर्यटन स्थल
देवभूमि उत्तराखंड को ढेर सारे ऋषियों ने अपनी तपस्या से सजाया है। घूमने निकलेंगे तो पूरा उत्तराखंड ही ख़ासमख़ास है। हवा इतनी निराली है यहाँ की कि जगह पर चार चाँद लग जाते हैं। घूमने का प्लान बनाया है और ये जगहें नहीं देखीं तो एडवेंचर बाबा और माता देवी; दोनों का पाप चढ़ेगा, ऐसा समझ लीजिए। घूमने वाली जगहों को आप दो हिस्सों में बाँट सकते हैं- धार्मिक स्थल और रोमांचक स्थल।
उत्तराखंड के धार्मिक स्थल
श्रद्धालुओं का गढ़ है उत्तराखंड। अगर आपको 1 महीना दे दिया जाए तो भी आप उत्तराखंड पूरा नहीं घूम सकते। इसलिए अपने ट्रिप को कुछ ऐसा बनाएँ जिसमें कम से कम समय में सारी घूमने लायक जगहें पूरी हो जाएँ।
1. केदारनाथ
चारधाम की यात्रा का पहला पड़ाव है केदारनाथ का मंदिर। भगवान केदार की इस यात्रा में दर्शन और आध्यात्म साथ साथ चलते हैं।
Tripoto हिन्दी पर एक पूरा लेख प्यारे केदारनाथ की यात्रा को समर्पित है। यहाँ पर क्लिक करें और यहाँ जाने से लेकर घूमने की सारी जानकारी हासिल करें।
2. बदरीनाथ
चारधाम यात्रा का दूसरा पड़ाव है हमारे बाबा बदरीनाथ का मंदिर। इस यात्रा की शुरुआत कैसे और कहाँ से करे, इससे जुड़ी सारी जानकारी आपको यहाँ मिल जाएगी।
3. हरिद्वार
आप हरिद्वार पहुँचेंगे तो नज़ारे हर जगह मिलेंगे आपको। इसका नाम ऐसे ही हरि का द्वार नहीं पड़ा।
योग की राजधानी है हरिद्वार। ज़्यादा दिन रुके तो फिर यहीं के हो जाएँगे। तो हिसाब बनाइए और घूम आइए। इस लिंक पर क्लिक कर सारी जानकारी हासिल करें।
कैसे पहुँचे हरिद्वार
हरिद्वार का ख़ुद का हरिद्वार रेलवे स्टेशन है जहाँ के लिए दिल्ली से हर दिन ट्रेन जाती रहती है। क़रीब 8 घंटे में आप हरिद्वार वाया ट्रेन पहुँच जाएँगे।
हरिद्वार पहुँचने के लिए आपको सबसे नज़दीकी देहरादून के जौली ग्रैंट हवाई अड्डे की फ़्लाइट पकड़नी होगी।
4. ऋषिकेश
घूमने और दर्शन के, दोनों ही नज़रिए से महत्त्वपूर्ण है ऋषिकेश। राफ्टिंग हो या गंगा आरती यहाँ दोनो का ही अपना महत्व है। यहाँ क्लिक करें और ऋषिकेश यात्रा से जुड़ी जानकारी पाएँ।
कैसे पहुँचे ऋषिकेश?
इसका अपना ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है, जहाँ पर दिल्ली से 7-8 घंटे में ट्रेन पहुँचा देती है।
ऋषिकेश पहुँचने के लिए आपको सबसे नज़दीकी देहरादून के जौली ग्रैंट हवाई अड्डे की फ़्लाइट पकड़नी होगी।
5. गंगोत्री
पहाड़ों के बीच अपना श्रृंगार बखारती है गंगोत्री। चारधाम की यात्रा का एक अहम पड़ाव। गंगा के उद्गम की ये जगह पावन भी है और बेहद सुंदर भी। गंगोत्री में क्या देखें, कहाँ रहें, क्या खाएँ, कैसे घूमें, ये जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
कैसे पहुँचे गंगोत्री
हवाई मार्ग से गंगोत्री के लिए जौली ग्रांट हवाई अड्डा सबसे नज़दीक (247 कि.मी. है। रेल मार्ग से ऋषिकेश रेलवे स्टेशन (RKSH) सबसे नज़दीक है और सड़क मार्ग से आपको एनएच 108 से होकर गंगोत्री जाना होगा।
6. यमुनोत्री
गढ़वाली पहाड़ियों में अपनी ख़ूबसूरत छटाओं के बीच बसा हुआ है यमुनोत्री। बिल्कुल गंगोत्री की ही तरह चारधाम यात्रा के श्रद्धालु पूरे मन से इसकी यात्रा करने आते हैं।
कैसे पहुँचें यमुनोत्री
हवाई मार्ग से यमुनोत्री के लिए जौली ग्रांट हवाई अड्डा सबसे नज़दीक है जो यहाँ से 210 कि.मी. दूर है। ट्रेन मार्ग से यात्रा करने के लिए आपको सबसे नज़दीकी देहरादून रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन पकड़नी होगी। यहाँ से आपको बस या कैब मिल जाएगी।
उत्तराखंड: दर्शनीय स्थल जो हैंं रोमांचक
20-22 साल की उम्र ऐसी होती है जहाँ भगवान का नाम सुनकर ज़हन में पूजा, आरती, अर्चना, ज्योति, गीता और प्रेरणा के ही याद आते हैं।
हम्म्म्म्म। आते हैं न ?? ????????
रोमांच भी उतना ही ज़रूरी है जितना भगवान की पूजा। उत्तराखंड घूमने आ रहे हैं आप तो इन जगहों का आनंद लेना बिल्कुल न भूलें। एकदम दिल और दिमाग फ्रेश करने के लिए इन जगहों का आनंद लेना न भूलें।
1.. मसूरी
मसूरी का नाम सुनकर ही दिल बाग़ बाग़ हो जाता है। बर्फ़ की चादर में लिपटी हुई वादियाँ और उस पर स्कींग करते हुए लोगों को देख फिर से बच्चा हो जाने का मन करता है।
उत्तराखंड दर्शन में मसूरी का नाम जोड़ना बिल्कुल न भूलें।
कैसे पहुँचें मसूरी
हवाई मार्ग से यात्रा करने के लिए आपको देहरादून के जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर उतरना पड़ेगा। यह मसूरी से 24 कि.मी. दूर है।
रेल मार्ग से यात्रा करने का मन है तो सबसे नज़दीकी देहरादून रेलवे स्टेशन की टिकट कटा लेना। एक बार आप देहरादून पहुँच गए तो वहाँ से आपको बस और कैब मिल जाएँगी।
2. नैनीताल
नैनीताल कभी निराश नहीं करता। चाहे आप जिस सीज़न में आ जाएँ। पानी से 1938 मीटर की ऊँचाई पर बसा यह हिल स्टेशन अपनी रूमानियत के लिए फुल टाइम फ़ेमस है।
कैसे पहुँचें नैनीताल
काठगोदाम नैनीताल के लिए सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है जो नैनीताल से 34 कि.मी. दूर है। गाड़ी से जाना चाह रहे हैं तो राष्ट्रीय राजमार्ग 9 से आपको क़रीब 7 घंटे में बस या कैब नैनीताल पहुँचा देगी और सबसे नज़दीक पंतनगर हवाई अड्डा है जहाँ से नैनीताल क़रीब 1 घंटे की दूरी पर है।
3. देहरादून
यह हिल स्टेशन सबका फ़ेवरेट है। नए नवेले जोड़ों के लिए, परिवार के लिए या फिर कॉलेज के दोस्तों के लिए; सबका देसीअड्डा है देहरादून।
ताज़गी से भर देने वाली हवाएँ हर दम बहती हैं यहाँ। गुफ़ाएँ, प्राकृतिक झरने सबका लुत्फ़ मिलेगा यहाँ। और उसके ऊपर ट्रेकिंग और बर्डवॉचिंग करने आते हैं लोग यहाँ पर।
बेहतर कनेक्टिविटी, वो भी मिलेगी जनाब। तो बोलो, और क्या चाहिए।
कैसे पहुँचें देहरादून
देहरादून रेलवे स्टेशन के लिए आपको दिल्ली से ट्रेन मिल जाएगी, सहारनपुर रोड से आपको गाड़ी करीब 8 घंटे में पहुँचा देगी और देहरादून के जौली ग्रांट हवाई अड्डे की फ़्लाइट आपको पकड़नी होगी।
4. अल्मोड़ा
जंगलों की रोमांचक फीलिंग वालों के लिए जन्नत है ये जगह। कोसी और सुयाल नदी के बीच में बसा हुआ है अल्मोड़ा। पहाड़ आपको शायर न बना दें तो नाम बदल देना।
कैसे पहुँचें अल्मोड़ा
सबसे नज़दीकी काठगोदाम रेलवे स्टेशन अल्मोड़ा से 90 कि.मी. दूर है। दिल्ली से जाने वालों को पहले रामपुर तक की बस पकड़नी होगी। उसके आगे आपको अल्मोड़ा की बस मिलेगी। ख़ुद की गाड़ी है तो राष्ट्रीय राजमार्ग 24 और 87 से सीधा अल्मोड़ा पहुँचिए। पंतनगर हवाई अड्डा (PGH) अल्मोड़ा से 110 कि.मी. की दूरी पर है।
5. जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय अभयारण्य
देश के सबसे पुराने अभयारण्यों में एक जिम कॉर्बेट 500 वर्ग कि.मी. में फैला है पिछले कुछ दिनों से कुछ ज़्यादा ही प्रसिद्ध हो गया है। कारण आप जानते हैं, बताने की ज़रूरत नहीं है।
आप भी चाहें तो उत्तराखंड की ट्रिप में इसे टिक कर सकते हैं। बस आपकी टाइमिंग नवंबर से फ़रवरी की हो तो बेहतर रहेगा क्योंकि यहाँ पर आपको जिन जंगली जानवरों को देखना है, वो बाकी समय अपने ही मूड में रहते हैं। बस नवंबर से फ़रवरी के मौसम बाहर आते हैं।
कैसे पहुँचें जिम कॉर्बेट नैशनल पार्क
रामनगर रेलवे स्टेशन राष्ट्रीय अभयारण्य से 12 कि.मी. दूर है। दिल्ली से रामनगर के लिए बसें लगातार मिल जाएँगी आपको। पार्क दिल्ली से क़रीब 250 कि.मी. दूर है जो पूरा करने में आपको तकरीबन 7 घंटे लगेंगे। सीधा फ़्लाइट करना चाहते हैं तो देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डासबसे नज़दीकी है।
कुदरत का ख़ज़ाना जिम कॉर्बेट के बारे में यहाँ क्लिक करके विस्तार से पढ़ें।
6. औली
हम्म्म्म। आ गया न दिल को स्वाद। ये जगह है ही मस्त। स्कींग करने वालों से उत्तराखंड में कुछ पूछो तो तपाक से नाम आएगा औली का।
जोशीमठ से औली के लिए केबल कार भी चलती है। ज़मीन से 3 कि.मी. की ऊँचाई में बर्फ़ की चादरों के ऊपर तस्वीरें सहेजता आपका कैमरा और इन ठंडी वादियों में आनंद लेने का सपना यहीं पूरा होता है।
चिनाब झील हो या त्रिशूल की चोटी, स्कींग का लुत्फ़ और ये सब मिनिमम बजट में। स्वागत है आपका औली में।
कैसे पहुँचें औली
अगर आप औली आना चाहते हो तो दिल्ली से जोशीमठ के लिए रात को निकलो। सुबह तक जोशीमठ से सीधा केबल कार करके 22 मिनट में 16कि.मी. दूर औली का सुहाना सफ़र करो। औली के सबसे नज़दीक हरिद्वार रेलवे स्टेशन आपकी जगह से 273 कि.मी. की दूरी पर है। देहरादून का ग्रांट जौली हवाई अड्डा औली से 150 कि.मी. दूर है।
अगर आपके कोई सवाल हैं तो आप हमसे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।