राजस्थान, एक ऐसा अद्भुत प्रदेश जिसके लिए कहा जाता है की इसकी यात्रा के बिना आपकी भारत की यात्रा अधूरी ही रहेगी! साथ ही राजस्थान के बारे में आप जितना चाहें जान लें या देख लें, वो हमेशा कम ही रहेगा। यहाँ ऐसी अनेकों जगहें हैं जिन्हें देखकर आप एक बार तो सोच में पड़ जायेंगे। और इसीलिए राजस्थान पर्यटन के विज्ञापन की वो टैग लाइन राजस्थान के लिए एकदम सटीक बैठती है- "जाने क्या दिख जाए.."
अब जैसा की आप जानते हैं कि रामायण काल से जुड़ी अधिकतर जगहें उत्तरप्रदेश और बाकी के कई राज्यों में मौजूद हैं लेकिन राजस्थान से जुड़ी भगवान राम कि कहानियां हमें कम ही सुनने को मिलती हैं। लेकिन आज के इस लेख में हम आपको राजस्थान कि एक ऐसी अद्भुत और रहस्यमयी गुफा के बारे में बताने वाले हैं जिसका इतिहास भगवान राम से जुड़ा है। इस गुफा में एक प्राकृतिक कुंड भी मौजूद है और भगवान राम से जुड़े होने कि वजह से ही इस गुफा को 'राम कुंड' नाम से जाना जाता है।
अब अगर आप सोच रहे हैं कि आखिर यह रहस्यमयी कैसे और आखिर क्या है भगवान् राम से जुड़ी इस गुफा कि कहानी? तो चलिए बताते हैं आपको इसके बारे में पूरी जानकारी...
राम कुंड की भगवान राम से जुड़ी कहानी
राजस्थान में '100 द्वीपों के शहर' के तौर पर जाना जाने वाला बांसवाड़ा शहर वास्तव में पर्यटन दुनिया के लिए एक छिपा हुआ बेहद खूबसूरत शहर है। यहाँ ऐसे कई स्थान हैं जिन्हें देखकर आप विश्वास नहीं करेंगे कि इतनी शानदार जगहें कैसे अभी तक पर्यटकों कि नज़रों से दूर हैं। इसी के साथ बांसवाड़ा को भगवान राम से जुड़े एक पौराणिक किस्से के लिए भी जाना जाता है। बताया जाता है कि रामायण काल में अपने वनवास के दौरान अयोध्या के राजकुमार भगवान राम बांसवाड़ा आये थे। भगवान राम 14 साल के वनवास के दौरान माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ बांसवाड़ा पधारे थे और उसी दौरान वे पहाड़ी के नीचे मौजूद इस गुफा में पहुंचे जहाँ नीचे एक ताज़ा पानी का कुंड भी था। ऐसा बताया जाता है कि प्यास बुझाने के लिए भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने इस गुफा में प्रवेश किया और पानी पीकर कुछ समय इसी शांति भरी गुफा में बिताया।
इसीलिए आज भी आप इस गुफा जायेंगे तो एक अलग ही सुकून और शांति का अनुभव करेंगे।
गुफा से जुड़ा रहस्य
राम कुंड गुफा का इतिहास भगवान राम से तो जुड़ा ही है लेकिन आपको बता दें कि राजस्थान में स्थित यह गुफा एक बेहद रहस्यमयी गुफा के तौर पर भी जानी जाती है। इतनी गहरी गुफा के अंदर मौजूद ये बड़े प्राकृतिक ताज़े पानी के तालाब का नज़ारा वास्तव में आश्चर्यजनक तो है ही लेकिन इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि आप चाहे किसी भी मौसम में चले जाएँ इस गुफा का पानी आपको बर्फ के सामान ठंडा ही मिलेगा। इस कुंड का पानी एकदम साफ़ और शीतल है। चारों ओर पहाड़ों से घिरी इस गुफा में मौजूद पानी में अगर आप हाथ डालोगे तो सच मानिये आपको लगेगा जैसे आपने बर्फ में हाथ डाल रखा है।
गुफा तक पहुँचने के लिए ट्रेक और बरतने वाली सावधानियां
चूँकि गुफा में स्थित राम कुंड ऊपरी जमीन से करीब 400 मीटर की दूरी पर स्थित है इसलिए आपको 400 मीटर की ये दुरी ट्रेक करके ही तय करनी पड़ेगी। हालाँकि ट्रेक आसानी से किया जा सकता है और अधिकतर रास्ते में सीढियाँ भी आपको मिल जाएगी साथ ही कुछ जगह कच्चा रास्ता भी बना हुआ है। राम कुंड से पहले आपको एक शिवजी का मंदिर दिखेगा जहाँ दर्शन करके आप राम कुंड जो कि वहां से कुछ और नीचे हैं वहां तक जा सकते हैं।
राम कुंड एक गहरी गुफा में है इसलिए यहाँ काफी अँधेरा भी रहता है और इसके साथ ही आपको बता दें कि गुफा का तापमान काफी ठंडा भी रहता है। तो वैसे तो किसी खास सावधानी कि जरुरत नहीं है बस तेज़ बारिश के समय आप इस गुफा में जाना छोड़ सकते हैं क्योंकि गुफा में कई बार तेज़ बारिश के समय ऊपर से पत्थर गिर जाते हैं।
बांसवाड़ा में राम कुंड तक कैसे पहुंचे?
बांसवाड़ा पहुँचने के बाद आप राम कुंड जो कि शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर एक बंजर जैसे इलाके में पहाड़ियों से घिरी हुई जगह पर स्थित है वहां पहुँचने के लिए आप बांसवाड़ा शहर से तलवाड़ा होते हुए प्रसिद्द माता त्रिपुरा सुंदरी मंदिर कि ओर जाते हुए बीच में दाहिने हाथ कि तरफ एक कच्चे मार्ग से वहां के लोकल लोगों से पूछताछ करते हुए जा सकते हैं। इसके अलावा दूसरे विकल्प में आप बांसवाड़ा से तलवाड़ा होते हुए सामगढ़ा वाले मार्ग पर भीम कुंड से करीब 4-5 किलोमीटर दूर इस पवित्र स्थान पर एक कच्चे रास्ते के साथ आसानी से पहुँच सकते हैं।
इसके साथ ही अगर आपको बांसवाड़ा के अन्य पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारियां चाहिए तो आप हमारा बांसवाड़ा का वीडियो भी देख सकते हैं:
बांसवाड़ा कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग द्वारा:
बांसवाड़ा में कोई एयरपोर्ट नहीं है और यहाँ से निकटतम एयरपोर्ट उदयपुर का महाराणा प्रताप हवाई अड्डा है जिसकी दूरी बांसवाड़ा से सिर्फ 156 किलोमीटर है। उदयपुर पहुंचकर आप आसानी से टैक्सी वगैरह करके बांसवाड़ा पहुँच सकते हैं।
रेल मार्ग द्वारा:
अगर निकटतम रेलवे स्टेशन कि बात करें तो मध्यप्रदेश का रतलाम जंक्शन बांसवाड़ा से सिर्फ 85 किलोमीटर दूर है और साथ ही रतलाम स्टेशन कि देश के सभी बड़े शहरों से अच्छी कनेक्टिविटी है तो आप रतलाम स्टेशन आकर वहां से टैक्सी या बस के द्वारा बांसवाड़ा पहुँच सकते हैं। इसके अलावा आप उदयपुर स्टेशन पर पहुंचकर भी बांसवाड़ा बस या टैक्सी से पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा:
बांसवाड़ा नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे से जयपुर, उदयपुर, इंदौर और अहमदाबाद जैसे बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा है तो आपको सड़क मार्ग से बांसवाड़ा पहुँचने में किसी तरह कि कोई परेशानी नहीं आने वाली। जयपुर से बांसवाड़ा करीब 500 किलोमीटर और अहमदाबाद से करीब 250 किलोमीटर दूर है।
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