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2017 दिसंबर की छुट्टियों में हम लोग दुनिया के सबसे ऊँचे शिव जी के मंदिर की यात्रा पे गए थे, में आज उस यात्रा की कहानी आपको सुनाने जा रहा हूँ। हमने दिल्ली से ये यात्रा बस से शुरू की थी, ऋषिकेश पहुँच कर वहाँ से एक बाइक किराये पर ली और उससे आगे बढ़ चले। रास्ते में बेहद खूबसूरत नज़ारे देखते हुए हम आगे बढ़ रहे थे। सबसे पहले हमारा सामना हुआ चाँदी (बर्फ से ढके हुए) के पहाड़ों से, अध्भुत नज़ारा था। थोड़ा और आगे बढे और हम पहुँच गए थे देवप्रयाग। ये वही जगह है जहाँ अलकनंदा और भागीरथी के संगम के गंगा नदी बनती हैं। उत्तराखंड स्थित पांच केदारों में से ये एक है।
यहाँ से हम आगे बढे और पहुंचे श्रीनगर, वहाँ रुक कर एक ढाबे पे भोजन करा और फिरसे आगे बढ़ चले, हमारा अगला स्टॉप था कलियासौड़ गांव, इस जगह को आप रिफ्लेक्शन पॉइंट भी कह सकते हैं, यहाँ आपको पानी में हर चीज की परछाईं साफ दिखाई पड़ती है। यहाँ से और आगे बढे और शाम होते होते चोपता के काफी नजदीक पहुँच गए थे। यहाँ से आगे बढ़ने पर हमारा सामना हुआ ब्लैक आइस से, ये बर्फ का वो स्वरुप है जिसपे गाड़ियां फिसलने लगती हैं, खैर जैसे तैसे उससे बचके चोपता में अपने कैंप तक पहुंचे। कैंप तुंगनाथ मंदिर के समीप ही था, यहाँ से केदारनाथ, चौखम्बा पर्वत श्रृंखला एक दम साफ दिखाई देती है।
हमने अपना सामान कैप में रखा और खाना खा कर सोने चल दिए, सुबह हमें दुनिया के सबसे ऊँचे शिव मंदिर के ट्रैक पे जाना था।
ये इस कहानी का पहला भाग है, अगले भाग में लेके चलूँगा आपको तुंगनाथ के दर्शन कराने।
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Fir milege kahi kisi roj ghumte firte :)
#floatingshoes