3 अगस्त की दोपहर तक मैने अपने सारे काम निपटा लिए थे और आने वाले 2-3 दिन मैं बिल्कुल फ्री था,अचानक ही मैंने सोचा कि क्यों ना कन्ही घूम के आया जाएं !!
घूम के आया जाएं यह ख्याल तो आ गया लेकिन घूमने कहां जाया जाए, इसमें मैं अभी भी चिंतन में था इस वक्त पूरे भारत देश में मानसून अपने चरम पर था सभी जगह बारिश हो रही थी ऐसे में किसी स्थान का चयन करना बड़ा मुश्किल था।
पर मैंने ठान लिया था कि अब कहीं ना कहीं तो जाना ही है, फटाक से मैंने अपना एक निकाला उसमें कुछ शर्ट उसके साथ कुछ और कपड़े डाले साथ ही साथ खाने के लिए 1-2 बिस्कुट के पैकेट डाले और निकल पड़ा अपने मंजिल की ओर हालांकि अभी तक मंजिल डिसाइड नहीं करी थी.
शाम के 6 बजे मैं और मेरा पिट्ठू बैग दिल्ली के कश्मीरी गेट आईएसबीटी पर खडे होकर ये सोच रहे थे कि जाएं तो जाएं कहां तभी अचानक मैंने देखा कि एक ट्रक में कुछ सामान को भरा जा रहा था और सामान का मालिक ट्रक ड्राईवर को कह रहा था कि इसको शिमला उतार देना फिर आगे चले जाना इस समय मैंने सोचा क्यों ना शिमला की तरफ ही चला जाए!!!.
मैंने आगे बढ़कर ट्रक ड्राइवर से आग्रह किया कि क्या वह मुझे शिमला तक छोड़ सकते हैं?
शुरुआत में उन्होंने कुछ आना-कानी की किंतु बाद में वह ₹200 में मुझे शिमला छोड़ने के लिए राजी हो गए..
मैं फटाक से ड्राइवर के साथ वाले सीट पर जाकर बैठ गया सामान लोड हो गया और गाड़ी निकल पड़ी शिमला की ओर यहां इस तरीके का यह मेरा पहला अनुभव था दिल में थोड़ा सा डर भी था कि क्या मैं सही कर भी रहा हूं कि नहीं? मुझे बस से जाना चाहिए था, वह ज्यादा सुरक्षित था,
बस यही सब दिमाग में चल रहा था।
धीरे-धीरे समय बीतता गया और ट्रक ड्राइवर के साथ मेरी बातचीत भी अच्छी होने लगी उन्होंने मुझे बताया कि किस तरीके से वह ड्राइवरी में आए उन्होंने अपने परिवार के बारे में मुझे बताया।
इसके साथ-साथ उन्होंने मुझे यह भी बताया कि ड्राइवरी के पेशे को भारत में बिल्कुल भी सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता है , चाहे मालिक हो सड़क पर चलने वाले अन्य परिजन हो, या पुलिस वाले हो हर कोई बदतमीजी से ही बात करता है।
हालाकि उन्होंने बताया कि वो अपने काम से संतुष्ट हैं और अपने जीवन में खुश है उनके मुख से यह बात सुनकर तो मुझे भी काफी खुशी 😊 हुई।
पूरे सफर के दौरान उनसे इसी तरीके की खट्टी मीठी बातें होती गई और सुबह होते-होते हम अपनी मंजिल शिमला पहुंच गए!! जैसा कि तय हुआ था, मैंने उन्हें ₹200 देने चाहे किंतु उन्होंने मेरे से पैसे नहीं लिए और मुझे शिमला उतार कर आगे की तरफ चले गए...!
अब मसला यह था कि शिमला में पहले भी आ चुका था और मेरा मन शिमला भ्रमण को बिल्कुल भी तैयार नहीं था, कुछ देर शिमला बस स्टैंड के आसपास भटकने पर मैंने तय किया कि अब मैं कसोल ही जाऊंगा।
बस फिर क्या था शिमला से बस ली और पहुंच गया अपने डेस्टिनेशन कसोल!!!! शिमला से कसोल की दूरी लगभग 200km है पर ये रास्ता पूरी तरह से प्राकृतिक नजारे से भरपुर हैं चारो तरफ ऊंचे ऊंचे पहाड़ घने घने देवदार के जंगल हर तरफ़ हरियाली ही हरियाली और हल्की हल्की बारिश इन सभी दृश्य का आनंद लेते हुए मैं कब कसोल पहुंच गया, मुझे खुद पता नहीं चला
इस समय यह वैली बिल्कुल शांत और खाली पड़ी थी कुछ गिने-चुने भारतीय टूरिस्ट नजर आ रहे थे पर सबसे ज्यादा तादाद थी इजरायली लोगों की, कहा जाता है कि इसराइली लोगों का कसोल दूसरा घर है( इस जगह को मिनी इजरायल के नाम से भी जाना जाता है)
क्योंकि इस सफर पर मैं सोलो ही आया था तो मैं किसी होटल में रूक कर अपने पैसे ज्यादा खर्च नहीं कर सकता था मैंने किसी हॉस्टल(doormetry) में रुकना ही ज्यादा बेहतर समझा ! मैं फौरन हीं सस्ता सा हॉस्टल तलाश करने लगा।
इस हॉस्टल तलाशी के दौरान मेरी मुलाकात एक महिला से हुई जिनका नाम हिमानी था उनकी उम्र तकरीबन 28 से 30 साल के आस-पास ही होगी वह काफी लंबे समय से यहां रह रही थी और एक होटल में मैनेजर थी उनका होटल मुख्य मार्ग से काफी नजदीक था और बहुत ही शानदार था मुझे अच्छे से पता था कि यह मेरी औकात से बाहर है। फिर भी मैंने जानकारी के लिए रेट पूछा तो पता लगा कि ₹2000 प्रति रात का खर्चा है। अब 2000 का रेट सुनकर तो मेरे प्राण ही सूख गए हालांकि वह अच्छे से भांप गई थी कि मैं इतने पैसे नहीं दे पाऊंगा फिर भी उन्होंने मुझे चाय के लिए पूछा, अब मैं थका हारा था कल रात से कुछ खाया पिया भी नहीं, चाय सुनकर तो मुंह में पानी ही आ गया मैंने फौरन ही हां में सर हिलाया।
मैं उनके साथ ही बैठकर चाय पीने लगा और इस तरीके से हमारी बातचीत शुरू हुई बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि उनकी उच्च स्तरीय शिक्षा दिल्ली से ही हुई है और उन्होंने काफी समय दिल्ली में बिताया भी है उन्होंने बताया कि यह होटल उनके किसी रिश्तेदार का है इसलिए वह यहां पर मैनेजर का काम करती हैं उनसे बातचीत के दौरान मेरा पूरा ध्यान साथ में रखी प्लेट में बिस्किट पर भी था क्योंकि मुझे भूख बहुत जोरों से लगी हुई थी और ना चाहते हुए भी बार-बार मेरा ध्यान इस तरफ ही जा रहा था hahahaha 😂😂 अब तक वह मेरी स्थिति बिल्कुल समझ चुकी थी और हंसते हुए बिस्कुट की प्लेट मेरी तरफ ही बढ़ा दी!!! फिर क्या था, मैंने भी 5-7 बिस्कुट दे दनादन दबा दिए.
चाय समाप्त होने के बाद मैंने उनसे आग्रह किया कि क्या मेरे लिए कोई सस्ता सा हॉस्टल बता सकती हैं उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, जरूर मुझे खुशी होगी ऐसा कर कर आपके लिए फिर उन्होंने फोन पर किसी से बात करी और 350 रुपए में एक बेड एक रात के लिए कंफर्म कर लिया हॉस्टल का नाम ओदीन था और कुछ ही समय में वहां का एक लड़का मुझे बाइक से लेने के लिए आ गया...मैंने अपने दोनों हाथ जोड़कर उस महिला को शुक्रिया कहा और अपने हॉस्टल की तरफ निकल पड़ा!!इसके साथ-साथ मैंने उनकी उदारता के लिए भी उन्हें धन्यवाद कहा..सफर के दौरान मैं किसी ऐसे इंसान से भी मिलुंगा ऐसी कल्पना मैंने पहले कभी नहीं की थी।
यह हॉस्टल काफी अच्छा था एक ही बड़े कमरे में चार बेड लगा दिए गए थ साथ में बड़ा वॉशरूम दिया गया था कुल मिलाकर मेरे लिए एकदम परफेक्ट था हॉस्टल बिल्कुल खाली था कोई भी इंडियन तो नहीं था एक दो केवल इसराइल टूरिस्ट यहां पर रुके हुए थे वो भी अलग रूम में थे
भूख अभी भी बहुत लगी हुई थी मैं जल्दी से नहाया और रेडी होकर हॉस्टल से बाहर आ गया मैं घर से ज्यादा कैश लेकर नहीं आया था और मैं ज्यादा पैसे भी खर्च नहीं करना चाहता था। अपने खाने पीने के ऊपर क्योंकि मैं अपने आप को सर्वाइवल सिचुएशन में देखना चाहता था।मैं वहां की एक दुकान से ₹20 की एक ब्रेड का पैकेट और साथ में ₹20 का ही मक्खन की टिकिया ली और वही साथ में कसोल एडवेंचर पार्क में बैठकर खाने लगा मक्खन को मेल्ट करने के लिए मैंने लाइटर का उपयोग किया जो मैंने पार्क में ही बैठे इजरायल के एक टूरिस्ट से लिया था सच में इस वक्त मैं अपने आप को Bear Grylls(Man VS Wild)जैसा समझ रहा था 😂😂.
इस प्रदेश को पर्वती वैली के नाम से भी जाना जाता है यह वैली अपने आप में ही बहुत सुंदर है, इस तरीके की वैली के खूबसूरत नजारे अब तक किताबें और इंटरनेट पर ही देखे थे। इस तरीके के नजारे अपने आंखों के सामने देखना एक सपन के सच होने जैसा था.
यहां नदी के साथ-साथ एक रास्ता छलाल विलेज की तरफ गया है लगभग 2 से 3 किलोमीटर का यह खूबसूरत ट्रैक मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत ट्रैक था जो मैंने अभी तक किया पूरी ही वैली में एक अलग तरीके का आनंद और सुकून में महसूस कर सकता था इस तरीके के सुखद अनुभव को मैंने हमेशा के लिए अपनी आंखों और दिमाग में बैठा लिया।
धीरे धीरे दिन शाम की तरफ़ ढल रहा था और रास्ते पर बहुत से सिख धर्म के लोग अपने गुरुद्वारे मणिकरण साहेब की तरफ जा रहे थे मैने भी उनकी बाइक पर लिफ्ट मांगी और उनके साथ ही चल पड़ा गुरुद्वारे की ओर गुरुद्वारे के पास का नजारा बहुत डरावना सा लग रहा था क्यों कि उसके बगल से ही पार्वती नदी अपने पूरे वेग से बह रही थी नदी के जल का शोर इतना था कि बस का हॉर्न भी नही सुनाई दे बड़ी हिम्मत करके मैं गुरुद्वारे में गया और हैरान रह गया कि इस तरफ़ पानी की आवाज तक नहीं थी ये सच में किसी करिस्मे से कम ना था मैंने माथा टेका और उसके बाद लंगर हॉल की तरफ चला गया ये पहली बार था जब मैने रोटी खाई अपने सफर के दौरान। गुरूद्वारे में 24घंटे लंगर की वव्यथा है, लंगर खाने के बाद तो अलग ही ऊर्जा संचालित होने लगी क्यों कि इस समय यात्री कम थे तो किसी तरह की जल्दबाजी किसी को नहीं थी ...
वापसी के दौरान मुझे फिर से उन्ही लोगो ने बाइक पर लिफ्ट दे दी और मुझे मेरे हॉस्टल उतार कर आगे चले गए रात के तकरीबन 8 बजे होंगे और मैं हॉस्टल की छत पर एकेले बैठ कर ये सोच रहा था कि अगर मैं इस सफर पर नहीं आता तो अपनी जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल अभी तक जी नही पता ..... ओर इसी तरीके की यादें संजोए मैं सुबह दिल्ली की और वापस चल दिया ....
नोट: हम सभी को अपने जीवन में कम से कम एक यात्रा सोलो जरूर करनी चाहिए ये आप की जिंदगी का कभी ना भुलाए जाने वाला सफर बन जाएगा!!!!
SUKRIYA😊😊🙏