2021 एक नया साल और दोस्तों के साथ एक नयी ट्रिप भला नए साल की इससे अच्छी शुरुआत क्या हो सकती है. हम 5 दोस्तों ने मिलकर डिसाइड किया के इस साल की शुरुआत khichan village की trip से करते हैं,क्यु ये आगे आप blog मैं जान जाएंगे.
Transport के लिए एक दोस्त ने अपनी कार ली और इस तरह शुरू हुई नए साल की पहली Trip जो थी तो सिर्फ Day Trip पर जो यादों की validity है वो unlimited रहती है हर Trip की.
हम अपने hometown जोधपुर से सुबह 7 बजे रवाना हुए khichan village के लिए. जनवरी की सर्दी तो साथ थी ही पर उस दिन सर्दी का हमसफर बनने कोहरा भी रास्ते भर साथ देता रहा जिस वज़ह से कार की स्पीड तो कम हुई और visibility भी लगभग zero थी.
रास्ते मैं सबसे पहले लोक देवता paabu जी के मंदिर रुके और दर्शन किए फिर चल दिये अगले पड़ाव की तरफ.
पाबूजी राजस्थान के लोक-देवता हैं। वे १४वीं शताब्दी में राजस्थान में जन्मे थे। पाबु जी को प्लेग रक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है। राजस्थान में ऊँटो के बीमार होने तथा ऊँटो के देवता के रूप में पाबूजी की पूजा होती है।
धीरे-धीरे आखिर हम अपने डेस्टिनेशन khichan village पहुंच ही गए लगभग 11 बजे सुबह.
Khichan village आए थे हम Migratory bird demoiselle crane(Kurja) की sightseeing के लिए.
मंगोलिया, चीन, कजाकिस्तान, रूस से करीब 6000 किमी उड़कर ये पक्षी आते हैं।
डेमोसाइल क्रेन प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। जीवन में एक बार जोड़ा बनाने वाले ये पक्षी साथी की मौत पर खाना-पीना बंद कर देते हैं। जिससे प्राय: दूसरे की भी मौत हो जाती है।
इनकी लंबाई करीब तीन फुट और ऊंचाई ढाई फुट होती है, डेमोसाइल क्रेन चार किलोग्राम वजन का होता है और इनके पंखों का फैलाव छह फीट तक होता है।
Sightseeing time - October to March
पर उस दिन सर्दी कुछ इस तरह हमारे इश्क मैं डूबी थी के सूरज देवता को भी इंतजार करना पड़ रहा था.
Khichan पहुच कर हम तालाब पर पहुचे demoiselle cranes जिसको यहां KURJA भी कहा जाता है को देखने पर हाय रे कोहरा जिसने तालाब को अपने आगोश मैं ले रखा था जिससे सब कुछ छुप गया था... कुछ locals मिले जिनसे बात करने पर पता चला के धूप होने पर ही cranes तालाब पर आते हैं.
Locals ने बताया की कुछ दूर गांव वालों ने chugga ghar बनाया है जहां वो cranes को दाना डालते है. ये सब जान लेने के बाद डिसाइड किया के वहां जाया जाए पर उससे पहले घर से लाए भोजन से पेटपूजा करके आगे जाना decide हुआ.
Chugga ghar जाकर देखा तो वहां भी सिर्फ एक crane मिला जो पेट पूजा मैं व्यस्त था बाकी सब cranes आकाश मैं मंडरा रहे थे.
वहां सेवाराम ji जो की cranes की seva करते है उनकी छत से ये सब देखते रहे इस आशा मैं के शायद cranes उतर जाए but ऐसा हुआ नहीं पर हम भी ziddi सो देखे बिना तो जाने से रहे.
कुछ time के बाद कोहरे ने पीछा छोड़ ही दिया और हम दोस्त फिर से तालाब की तरफ चल दिये.
तब तक सूरज देवता अपने रंग मैं आ चुके थे और cranes भी झुंड मैं तालाब के ऊपर मंडरा रहे थे और फिर धीरे धीरे उतरने लगे.
Demoiselle cranes(Kurja) को अपनी आंखों से सामने देख कर जो खुशी हुई वो शब्दों से परे है.. हमने कुछ पास जाने की कोशिश पर cranes शर्मीले होते है सो लाज के मारे उड़ जाते थे.
खूब photography और कुछ videos बनाने के बाद cranes को अलविदा बोला और चल दिये. पोखरण मैं स्थित लोक देवता बाबा रामदेव के समाधि मंदिर जिसको runicha dhaam/Ramdevra temple भी कहा जाता है के दर्शन को.
बाबा रामदेव को द्वारिकाधीश (श्रीकृष्ण) का अवतार माना जाता है। इन्हें पीरों का पीर 'रामसा पीर' कहा जाता है। सबसे ज्यादा चमत्कारिक और सिद्ध पुरुषों में इनकी गणना की जाती है। हिन्दू-मुस्लिम एकता के प्रतीक बाबा रामदेव के समाधि स्थल रुणिचा में मेला लगता है.
दर्शन के बाद हमने फिर घर जोधपुर की और रुख किया जो वहां से लगभग 200 km का सफर था.
पर रास्ते मैं एक जगह sand dunes देख कर दिल बच्चा बन गया और हमने भी sand dunes के top को फतेह कर ही लिया और ऊपर से जो View मिलता है वो तो ग़ज़ब होता है.
वहां camel ride और jeep safari का भी option था. फिर रवाना होने से पहले sand dunes से दौड़ लगा कर उतरना भी एक adventure था. कभी कभी बच्चा बनकर ही खुशी मिलती है.
आखिर मैं शाम 6 बजे जोधपुर पहुंच कर इस Day Trip का end hua.
Distance from jodhpur to khichan village =Approx 150 km
Distance from khichan village to baba रामदेव समाधि मंदिर =Approx 55 km
Total expenses on petrol+Toll=2360 rs
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