गुजरात में अध्यात्म ढूंढती सोमनाथ और द्वारका की तीर्थयात्रा

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हमारे देश का पश्चिमी छोर, गुजरात, मंदिरों और उद्यानों की भूमि है।महात्मा गांधी और नरेंद्र मोदी, ढोकला और खाखरा, समुद्र तट और रेगिस्तान का ये संगम सैलानियों को अपनी ओर खींचती है। भारत की पहला ड्राई स्टेट होने के लिए बदनाम, इस राज्य में अनेक अद्भुत चीजें हैं।

Photo of गुजरात में अध्यात्म ढूंढती सोमनाथ और द्वारका की तीर्थयात्रा 1/1 by Manju Dahiya

हिंदुओं के लिए गुजरात एक अहम जगह है क्योंकि ये नगरी है द्वारका धाम की। हिंदू परंपरा के अनुसार, हमारे देश में 4 धार्मिक स्थान हैं जो सबसे अधिक महत्वपूर्ण हैं - उत्तर में बद्रीनाथ (उत्तराखंड), दक्षिण में रामेश्वरम (तमिलनाडु), पश्चिम में द्वारका (गुजरात) और पूर्व में जगन्नाथ पुरी (ओडिशा) । हमारे देश में 12 ज्योतिर्लिंग हैं। जिनमें से दो गुजरात में हैं: शिव के बारह लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंग ‘श्री सोमनाथ’और बारहवाँ ज्योतिर्लिंग ‘श्री नागेश्वर’। इसके साथ ही द्वारका में भगवान कृष्ण का मंदिर भी है।यह सभी तीर्थस्थान हर साल लाखों हिंदु श्रद्धालुओं और शिव भक्तों को आकर्षित करते है। ।

थोड़े ही समय पहले मैं कुछ वरिष्ठ नागरिकों के एक बड़े समूह के साथ, गुजरात के इन धार्मिक स्थलों पर गयी थी, जो मेरी उम्मीद से कहीं ज्यादा मज़ेदार रही।

Photo of सोमनाथ, Gujarat, India by Manju Dahiya

ये यात्रा, दिल्ली से अहमदाबाद के लिए सुबह की उड़ान और अहमदाबाद से सोमनाथ तक 8 घंटे की लंबी सड़क यात्रा के साथ शुरू हुई। हम शाम को 5 बजे सोमनाथ पहुँचे और फैसला किया कि जल्दी से नहाकर और एक-दो कप चाय पीने के बाद हम मंदिर जाएँगे।

श्री सोमनाथ मंदिर की छटा ही निराली है। इस अद्भुत और भव्य मंदिर के चारों ओर एक विशाल परिसर है। इसका गहरा इतिहास इस बात का गवाह है कि इस मंदिर पर आक्रमणकारियों ने बार-बार आक्रमण किया लेकिन इसका पुनर्निर्माण होता रहा ।अरब सागर के तट पर स्थित, सभी का स्वागत करते हुए अपना सीना तान कर खड़ा यह मंदिर, गर्भगृह, सभा मंडप और नृत्य मंडप - तीन अहम भागों में विभाजित है। ये मंंदिर 150 फुट ऊँचा है जिस पर स्थित कलश का भार 10 टन है और चोटी पर लहराता झंडा 27 फुट ऊँचा है। गर्भगृह, जिसमें शिवलिंग हैं, वास्तव में सोने का बना हुआ है। बाकी संरचना को 15 मीटर लम्बे केंद्रीय शिखर के साथ सुनहरे रंग में रंगी दीवारे घेरें हुए हैं। मंदिर के एक तरफ विशाल समुद्र तट है और दूसरी तरफ एक छोटा सा बाज़ार है।

सोमनाथ मंदिर के पीछे समुद्र तट पर सूर्यास्त

Photo of गुजरात में अध्यात्म ढूंढती सोमनाथ और द्वारका की तीर्थयात्रा by Manju Dahiya

तट से सूर्यास्त का दृश्य बहुत मनोरम दिखाई देता है। हमने तीन दिन सोमनाथ में बिताए और सूर्योदय, सूर्यास्त और दोपहर, तीनों अलग अलग समय पर जब मंदिर के दर्शन किए तो हर बार का नज़ारा अलग और अनोखा था।

शाम को सोमनाथ मंदिर और आसपास का परिसर

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श्रेय: बुरसर

Photo of गिर राष्ट्रीय उद्यान, Gujarat, India by Manju Dahiya

सोमनाथ में तीसरे दिन हमने गिर नेशनल पार्क की यात्रा करने का फैसला किया जो एशिया में सिंहों का एकमात्र निवास स्थान है। गिर, सोमनाथ से 80 कि.मी. दूर है और हमने शेरों को देखने के लिए एक दिन की पहले ही यात्रा करने का फैसला किया।सच बताएँ तो जब हम सोमनाथ से चले तो हमें लग रहा था कि शायद हमें शेरों को देखने का मौका नहीं मिलेगा। लेकिन वहाँ पहुँचकर हमारा ये शक खुशी में बदल गया। न सिर्फ हमने एक शेर देखा,बल्कि उसके पूरे झुंड को देखा - एक शेर और तीन शेरनी। यह मेरे जीवन का अद्भुत लम्हा था जब हमने उन्हें एक पेड़ की छाया में सोते हुए देखा। शेर को इतने करीब से देखने की मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

गिर नेशनल पार्क में सोते हुए शेर

Photo of गुजरात में अध्यात्म ढूंढती सोमनाथ और द्वारका की तीर्थयात्रा by Manju Dahiya
Photo of गुजरात में अध्यात्म ढूंढती सोमनाथ और द्वारका की तीर्थयात्रा by Manju Dahiya

चौथी सुबह हमने 5 घंटे में 250कि.मी. की दूरी तय करते हुए द्वारका धाम के लिए प्रस्थान किया। जब हम द्वारका पहुँचे तो हमने सोमनाथ की तरह ही दिन गुज़ारा। हमने नहाया, एक कप चाय पी और मंदिर के लिए रवाना हुए। द्वारका भारत के सात सबसे प्राचीन शहरों में से एक है।यह मंदिर हमारे होटल से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर था और वहाँ तक पैदल जाते हुए एक तरफ समुद्र और दूसरी तरफ बाजारों की हलचल अच्छी लग रही थी।

द्वारका का मंदिर भी सोमनाथ मंदिर के समान बनाया गया है, जिसके चारों ओर एक विशाल परिसर है। भगवान कृष्ण को समर्पित इस मंदिर का नाम 'द्वारकाधीश' है, जिसका अर्थ है "द्वारका के राजा का मंदिर"।

श्रेय: प्रोमार्क ट्रैवल्स

Photo of द्वारका, Gujarat, India by Manju Dahiya

हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था, उन्होंने अपना बचपन वृंदावन में बिताया, किशोरावस्था मथुरा में और उनका संपूर्ण वयस्क जीवन द्वारका में बीता जहाँ उन्होंने अपना शासन स्थापित किया। यह श्री कृष्ण की कर्मभूमि है और भक्त इस मंदिर में निवास करने वाले कृष्ण को "राजाओं का राजा" कहते हैं। मंदिर में सजी हुई कृष्ण प्रतिमा सभी को समान रूप से आकर्षित करती है। दर्शन करने के बाद हमने वहाँ से अपनी अगले दिन के सफर के लिए निकल पड़े।

द्वारका मंदिर के पीछे समुद्र तट पर सूर्यास्त

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Photo of नागेश्वर मंदिर, Dwarka, Gujarat, India by Manju Dahiya

बेट द्वारका और नागेश्वर मंदिर

अगली सुबह हमने अपनी यात्रा के बाकी दो धार्मिक स्थलों का दर्शन किया- बेट/भेंट द्वारका और नागेश्वर। पौराणिक कथाओं के अनुसार, बेट द्वारका, वो जगह है जहाँ कृष्ण ने अपने सबसे प्रिय दोस्त सुदामा से लंबे समय के बाद मुलाकात की थी।

यह एक द्वीप के बीच में बना है जहाँ केवल नाव से पहुँचा जा सकता है। हम नाव से 20 मिनट में वहाँ पहुँच गए। उस 20 मिनट की सवारी के दौरान सीगल पक्षियों का एक विशाल समूह हमारे साथ साथ चलता रहा।यह सुंदर दृश्य मुझे एनिमेटेड फिल्म निमो की याद दिला रहा था। वे पूरे रास्ते हमारी नाव के साथ उड़ते रहे।

Photo of गुजरात में अध्यात्म ढूंढती सोमनाथ और द्वारका की तीर्थयात्रा by Manju Dahiya

इस तीर्थ पर हमारा अंतिम पड़ाव नागेश्वर मंदिर था। इसके परिसर में भगवान शिव की विशालकाय प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में विराजमान है जो 125 फुट ऊँची और 25 फुट चौड़ी है। मंदिर के तल घर में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग हैं। इस पिंड को नागेश्वर महादेव भी कहा जाता है। हमारे चारों ओर शिव मन्त्रों के जाप गूँज रहे थे जिनसे वहाँ की पवित्र ऊर्जा में एक अलग ही शांति का अनुभव हो रहा था।

मैंने अपनी इस यात्रा को तीर्थयात्रा इसलिए कहा क्योंकि यूँ तो गुजरात में घूमने और देखने की बहुत सारी चीज़ें हैं पर हमने केवल मंदिरों के दर्शन किए और लोगों की भक्ति का अनुभव किया। गिर नेशनल पार्क देखने का उद्देश्य केवल मन के युवा बच्चे को कुछ अलग अनुभव देना था।

बेट द्वारका के रास्ते में सीगल

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सोमनाथ और द्वारका की तीर्थ यात्रा से जुड़ी कुछ ख़ास बातें:

1. उत्तरी भारत के कई मंदिरों की मुकाबले, सोमनाथ, द्वारकाधीश और नागेश्वर तीनों मंदिर बिल्कुल साफ थे। दान की व्यवस्था बहुत सटीक थी और मंदिरों के अंदर कोई पुजारी नहीं थे, जो आपको विशेष दर्शनों का वादा देते या कुछ राशि दान करने के लिए मजबूर करते। मेरा मानना है कि इसका श्रेय गुजरात सरकार और इन मंदिरों का ध्यान रखने वाले ट्रस्टों को जाता है।

2. ये सभी मंदिर गुजरात के छोर और समुद्री तटों पर बने हैं। यही कारण है कि सभी मंदिरों में शाम को लंबे समय क बहती ठंडी समुद्री हवा यहाँ पर वक्त बिताने को और खास बना देती है।

3. गुजरात एक पश्चिमी राज्य है और इन तीनों तीर्थ स्थलों से सूर्यास्त का दृश्य बहुत ही अद्भुत दिखाई देता है, जिसे आपको ज़रूर देखना चाहिए।

4. आपको इन जगहों पर जाने के लिए धार्मिक या हिंदू धर्म का होना की ज़रूरत नहीं है। सिर्फ आपने सिर झुकाना है और मन में धर्म और तीर्थयात्रियों की भक्ति के प्रति सम्मान होना चाहिए। सभी आपको गर्मजोशी और प्यार से स्वीकार करते हैं ।

5. विशेष दर्शनों की पेशकश करने वाले पंडितों की न सुनें। यह मंदिर इस तरह से बनाए गए हैं कि कोई भी तीर्थयात्री, अमीर या गरीब, आसानी से और बिना किसी जुगाड़ के भगवान के दर्शन कर सकता हैं।

मैं 27 साल की एक युवा महिला हूँ और मैंने कभी भी अपने आप से ऐसी तीर्थयात्रा पर जाने की उम्मीद नहीं की थी, लेकिन यह यात्रा बहुत मज़ेदार और ज्ञान से भी थी जिसे शायद मैं फिर से करना चाहूँगी !

सोमनाथ और द्वारका की तीर्थ यात्रा का विवरण:

दिल्ली से अहमदाबाद फ्लाइट - रु 12,000 वापसी सहित

अहमदाबाद से सोमनाथ - 400 किलोमीटर

सोमनाथ से द्वारका - 250 किलोमीटर

द्वारका से अहमदाबाद - 450 किलोमीटर

हमने अहमदाबाद से अहमदाबाद ( राउंड ट्रिप ) के लिए 11 रुपये प्रति कि.मी. की दर से और 6 दिनों में 1800 कि.मी. की अधिकतम दूरी के हिसाब से टैक्सियाँ किराए पर लीं। गुजरात के राजमार्ग बहुत शानदार हैं, जहाँ ड्राइविंग का अनुभव बहुत ही मज़ेदार होता है।

ठहरने के लिए

सोमनाथ में होटल: द फ़र्न रेसिडेंसी

द्वारका में होटल: द मानेक ओशन व्यू

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