प्रबिसि नगर कीजे सब काजा।
ह्रदय राखि कोसलपुर राजा।।
भगवान का स्मरण करते हुए कार्य आरम्भ करो, सफलता मिलेगी।
ये भारत भूमि है मेरे दोस्त !
जिस देश में कदम भी फूँक फूँक कर रखे जाते हैं , तो सोचो, कि उस देश के लोग कहीं बाहर जाने पर क्या करते होंगे!
हमारे देश में जितने सत्य है, उसे कई ज़्यादा मिथ्या है। यहाँ लोग शुभ अशुभ का बहुत महत्त्व मानते है, और अपने जीवन में इसका कड़ी तौर से पालन भी करते हैं। और ये एक आम बात है, हम भारतीयों के लिए। जितनी भिन्नता के लोग है यहाँ , उससे कई ज़्यादा अचंभित करने वाले है इनके माने हुए शकुन या अपशकुन, जो किसी भी कार्य को शुरू करने से लेकर पूरा करने तक लागू हो सकते हैं।
जैसे की यात्रा करने में। जब भारतीय किसी भी यात्रा के लिए प्रस्थान करते हैं, फिर चाहे वो छोटी हो या बड़ी, उसे शुरू करने से पहले वे ज़रूर अपने पुश्तैनी टोटके आज़माते हैं, और वे सहज ही मानते है कि, इसे करने से उनकी यात्रा अच्छी रहेगी, सफल रहेगी।
1) बिल्ली रास्ता काट गई।
"अरे अरे अरे ! राम राम राम ! शिव शिव शिव ! 'बहुत बड़ा अपशकुन हो गया" ! - कुछ ऐसा ही कहते सुना होगा आपने, अपने आस पास के लोगों को, शायद आप भी उसी में से एक हो। लगभग देश के हर हिस्से में बिल्ली का रास्ता काट जाना अशुभ माना जाता है। खासतौर पर तब ,जब आप किसी काम के लिए ,या फिर किसी यात्रा के लिए प्रस्थान कर रहे हो। इसलिए ऐसा होने पर थोड़ा रुक कर फ़िर जाए , या थोड़ा पानी या चाय पी कर जाए। संकट टल जायेगा।
2) हाय राम! टोक लग गयी।
अरे सुनो ! रुको ! पानी पिलाऊँ ? चाय पी जाते ! कब आओगे ?
ये सभी कथन किसी के घर से बाहर जाने से पहले कहें जाने पर अशुभ माने जाते हैं। इसे टोक लगाना कहा जाता हैं। और यह एक बुरे संकेत के रूप में लिया जाता है। इसलिए,"कोई जाता हो तो , पीछे से उसको ऐसे नहीं , टोकते हैं "।
3) अअआआआआआआआच्छी!
इतिहास के पन्नो में जितना बवाल एक छींक खाने पर हुआ होगा, शायद ही किसी और मान्यता से हुआ होगा। यूँ तो छींक का आना एक प्राकृतिक कारण हैं। मगर किसी काम पर जाने से पहले या किसी यात्रा को शुरू करने से पहले अगर छींक आ जाए तो 2 मिनट रुक कर, या फिर पानी पी कर जाना चाहिये। व्यंग्य की बात यह है कि, यही छींक अगर एक बार आये तो अशुभ कहलाती है, और अगर 2 बार बिना रुके आ जाए तो शुभ मानी जाती है। इसका 2 बार आना यह माना जाता है की काम में सफलता मिलेगी। तो अब से, "छींक खाए , 2 बार खाएँ" !
4) "तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा"!
अब भला 3 नंबर की क्या गलती ? पर मान्यता अनुसार और हमारे भारतीय बुज़ुर्गों के मुताबिक जब भी यात्रा पर जाना हो तीन लोग साथ में न जाएँ। कहाँ जाता है की इससे काम बिगड़ता हैं। और अगर जाना ही पड़े तो एक छोटा पत्थर साथ में ले जायें, ये एक चौथा नंबर मान लिया जाएगा जो यात्रा करने के लिए शुभ होगा। तीन की जगह चार ! समझे बच्चू !
5 ) "किस्मत का सब खेल है सारा, जनाबे आली"!
कब, कौन सी चीज़ दिख पड़े ,"आँखों रखो खुली और मन रखो साफ़", बाकी फिर खुदा की मर्ज़ी !
यात्रा के लिए जाने से पहले किसी सुहागन औरत या गाय का दिख जाना एक शुभ संकेत माना जाता हैं। वहीं खाने में मीठा दही खाना या गुड़ खाकर जाना शुभ माना जाता है। नीलकंठ पक्षी का दिख जाना वैसे तो किसी भी दिन शुभ होता है, पर खास तौर से यात्रा करने समय , जो ये अगर दिख जाए तो समझो काम बन गया।
6 ) 12 बज गए !
कहा जाता है कि , ठीक 12:00 बजे किसी भी काम के लिए या यात्रा के लिए प्रस्थान नहीं करना चाहिये। यह यम का संकेत माना जाता है। थोड़ा रुक कर, दो-तीन मिनट बाद जाएँ।
7 ) पलट पलट मत पलट !
यात्रा पर जाते समय कभी भी पलट कर नहीं देखना चाहिए , ऐसा करने पर काम सफल होने में या यात्रा सफल होने की शंका उत्पन्न हो जाती है। और हो सकता है ये आपके लिए एक बचाव का संकेत हो।
देखो !अब जाना है, तो फिर जाना ही है। शंका कैसी ?
ऐसे कई और भी शकुन अपशकुन है, फेहरिस्त बड़ी लम्बी हैं। इंसान और उसकी बनाई हुई मान्यताओं में ख़ुद इंसान फँस जाता है। अब ये मान्यताएं कितनी हद तक सही हैं, ये तो आपको खुद आज़मा कर पता करनी पड़ेगी।