अगर आप 90 के दशक में भारत में बड़े हो रहे थे, तो आपको पता ही होगा कि मालगुड़ी डेज़ हमारे लिए कितना खास था। 80 के दशक में शूट किया गया यह शो भारत के छोटे शहरों में बचपन का दूसरा नाम बन गया था। मालगुड़ी और उसके आसा पास के इलाके में स्वामी और उसके दोस्तों के मज़ेदार कारनामें देखकर मुझे यही लगता था कि बचपन बिताने के लिए शायद मालगुड़ी से बेहतर कोई जगह नहीं! फिर एक बार रिसर्च करने पर पता लगा कि मालगुड़ी तो एक काल्पनिक शहर है जिसे आर के लक्ष्मण की लिखाई और रचना ने एक सच्चे सपने में तब्दील किया था।
कुछ सालों बाद, मैंने कर्णाटक के एक छोटे से गाँव, अगुम्बे की यात्रा पर राहुल रघुनाथ का Tripoto पर एक यात्रा-वृत्तांत पढ़ा। इस छोटे से गाँव की सुंदरता को देखकर मैं काफी हैरान थी, लेकिन सबसे मज़ेदार बात तो ये थी कि ये वहीं गाँव था जहाँ 80 के दशक में मालगुड़ी डेज़ की शूटिंग हुई थी। प्रतिभाशाली निर्देशक शंकर नाग को टेलीविजन को मालगुड़ी डेज़ जैसा नायाब तोहफा देने का श्रेय तो दिया ही जाना चाहिए, साथ ही इसे शूट करने के लिए अगुम्बे जैसी जगह ढूँढ निकालने पर भी जितनी तारीफ की जाए कम है।
टीवी पर जिस गाँव को देखने के बाद हम सालों से उसकी खोज में लगे थे वो कर्णाटक का अगुम्बे ही है!
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किसी यात्री और मालगुड़ी डेज़ के दीवाने के लिए खुशी की बात है कि अगुम्बे पहुँचकर आप उसी घर पर रह सकते हैं जहाँ मालगुड़ी डेज़ की शूटिंग हुई थी। डोडा मने यानि कस्तूरी अक्का का घर, मालगुड़ी डेज़ के चाहने वालों के लिए किसी टाइम मशीन से कम नहीं है, जो यहाँ पहुँचते ही आपके बचपन की यादें ताज़ा कर देता है। डोडा मने 100 साल से ज्यादा पुराना है और शहर की मुख्य सड़क पर स्थित है। अगर आप स्थानीय लोगों से इसका पता पूछेंगे तो यहाँ पहुँचना मुश्किल नहीं है।
अगुम्बे की जानकारी
अगुम्बे पश्चिमी घाट बेल्ट में समुद्र तल से 249 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक सुंदर गाँव है।
समृद्ध जैव विविधता से परिपूर्ण, अगुम्बे कई सारे वर्षावनों से घिरा हुआ है जैसे, कुंडापुर, श्रृंगेरी, होसानगरा और तीर्थहल्ली, जिन्हें एक साथ अगुम्बे रेनफॉरेस्ट कॉम्प्लेक्स के रूप में जाना जाता है। भारत का एकमात्र वर्षावन अनुसंधान केंद्र कर्नाटक के अगुम्बे में ही है।
ये इलाका में भारत में सबसे ज्यादा बारिश वाले क्षेत्रों में दूसरे नंबर पर आता है और इसलिए इसे 'दक्षिण के चेरापूंजी' भी कहते हैं।
अगुम्बे में घूमने की जगहें
अगर आप पश्चिमी घाट की प्राकृतिक खूबसूरती को देखने चाहते हैं तो अगुम्बे इनसे भरा पड़ा है। पास मौजूद कुंचिकल, बरकना और जोगीगुंडी फॉल्स तो आपका दिल जीत ही लेंगे साथ ही बरनाना फॉल्स भारत का 10वां सबसे ऊँचा वॉटरफॉल है जो आपकी ट्रैवल लिस्ट को और शानदार बना देगा।
ओनेक अब्बे, अगुम्बे के पास एक और शानदार झरना है। ओनेक नाम का कन्नड़ में अर्थ है अनाज को कूटने वाली छड़ी। खूबसूरत हरियाली भरे नज़ारे के बीच ऊँचाईयों के गिरते इस झरने का नज़ारा आँखों से सीधे दिल में जाकर बस जाता है।
इस क्षेत्र में सबसे सुंदर झरना, कूडलु तीर्था अगुम्बे से लगभग 20 कि.मी. दूर है और यहाँ पहुँचने के लिए 3 से 4 कि.मी. की लंबी पैदल यात्रा करनी पड़ती है।
अगुम्बे कैसे पहुँचे
निकटतम हवाई अड्डा: मैंगलोर, अगुम्बे से 108 किलोमीटर दूर
निकटतम रेलवे स्टेशन: शिमोगा 90 कि.मी. दूर है और दूसरा स्टेशन उडुपी, अगुम्बे से 55 कि.मी. दूर है।
सड़क मार्ग से: आप सीधे बेंगलुरू से अगुम्बे के लिए बस लें या तीर्थहल्ली के लिए बस ले और वहाँ से दूसरी बस जो आपको अगुम्बे तक ले जा सकती है।
अगुम्बे यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय
अगुम्बे की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर, दिसंबर, जनवरी और फरवरी के महीने हैं
कहाँ ठहरें
डोडा मने
अगर आपकी अगुम्बे में छुट्टी का मकसद स्वामी के घर पर रहना है, तो आप डोडा मने में रह सकते हैं। यह कस्तूरी अक्का का घर है, जिन्होंने घर पर शो की शूटिंग के लिए कुछ भी चार्ज नहीं किया था। आज जब मेहमान इस घर में पहुँचते हैं, तो उनका गर्मजोशी से स्वागत होता है और उनकी सुविधाओं का अच्छे से खयाल रखा जाता है, जिसके बदले में वो किराए के रूप में कोई भी रकम दे सकते हैं। वह इस घर को चलाने के मेहमानों से आए पैसे का उपयोग करती है, गरीबों को खाना खिलाती है और शहर के लोगों को शिक्षित करती है।
डोडा मने के लिए संपर्क नंबर: 08181- 233075
क्या आप भी मालगुड़ी डेज़ के दिनों को दोबारा जीने के लिए अगुम्बे की यात्रा करना चाहेंगें? हमें कॉमेंट्स में बताएँ।
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